भारतीय अर्थव्यवस्था
भारत में क्विक कॉमर्स का उदय
- 17 Mar 2025
- 15 min read
प्रिलिम्स के लिये:क्विक कॉमर्स, ई-कॉमर्स, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग, ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स मेन्स के लिये:भारतीय खुदरा क्षेत्र पर क्विक कॉमर्स का प्रभाव, भारतीय खुदरा पारिस्थितिकी तंत्र |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
क्विक कॉमर्स (क्यू-कॉमर्स) की सहायता से मिनटों के भीतर डिलीवरी की सुविधा से शहरी क्षेत्रों में खरीदारी की प्रवृत्तियों में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन हुआ है।
- हालाँकि यह सुविधा और विभिन्न ब्रांड लाभ प्रदान करता है, लेकिन इससे संबंधित निम्नतम कीमत निर्धारण (Predatory Pricing), डेटा गोपनीयता और परंपरागत खुदरा विक्रेताओं के विस्थापन संबंधी चिंताओं के कारण विनियामक जाँच किये जाने की आवश्यकता है।
क्विक कॉमर्स क्या है?
- परिचय: क्यू-कॉमर्स, ई-कॉमर्स का एक उपवर्ग, एक ऑन-डिमांड डिलीवरी मॉडल है, जहाँ ऑर्डर करने के 10 से 30 मिनट की अवधि में वस्तुओं और सेवाओं की सुपुर्दगी की जाती हैं।
- इसमें लघु, उच्च मांग वाली वस्तुओं जैसे किराने का सामान, स्टेशनरी और ओवर-द-काउंटर दवाओं पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।
- कार्य मॉडल: क्यू-कॉमर्स प्लेटफॉर्म डार्क स्टोर्स (केवल ऑनलाइन पूर्ति के लिये डिज़ाइन किये गए स्थानीय गोदाम) पर निर्भर करते हैं, जो द्रुत गति से प्रेषण करने के उद्देश्य से उच्च मांग वाले क्षेत्रों में रणनीतिक रूप से अवस्थित होते हैं।
- उपभोक्ता मांग का पूर्वानुमान लगाने, इन्वेंट्री को अनुकूलित करने और सुझावों को वैयक्तिकृत करने हेतु सामान्यतः प्लेटफॉर्म AI-संचालित एनालिटिक्स का उपयोग करते हैं, जबकि स्वचालित आपूर्ति शृंखलाएँ स्टॉकआउट का समाधान करती हैं।
- एक निश्चित इन्वेंट्री आधारित मॉडल वाले पारंपरिक खुदरा के विपरीत, क्यू-कॉमर्स के अंतर्गत वास्तविक समय में उपभोक्ता रुझानों के आधार पर स्टॉक आपूर्ति को गतिशील रूप से समायोजित किया जाता है।
- कार्य कुशलता के लिये निकटता-आधारित मार्ग एल्गोरिदम के माध्यम से ऑर्डर असाइन करते हुए उच्च घनत्व वाले क्षेत्रों में डिलीवरी अधिकारी तत्काल प्रेषण को सक्षम बनाते हैं।
- निश्चित समय वाले पारंपरिक स्टोरों के विपरीत, क्यू-कॉमर्स तत्काल आवश्यकताओं की पूर्ति करने के उद्देश्य से दिन-रात संचालित होते हैं।
- उपभोक्ता मांग का पूर्वानुमान लगाने, इन्वेंट्री को अनुकूलित करने और सुझावों को वैयक्तिकृत करने हेतु सामान्यतः प्लेटफॉर्म AI-संचालित एनालिटिक्स का उपयोग करते हैं, जबकि स्वचालित आपूर्ति शृंखलाएँ स्टॉकआउट का समाधान करती हैं।
- उपभोक्ताओं पर प्रभाव: तत्काल और सुविधापूर्ण खरीदारी हेतु, विशेष रूप से भोजन, पेय पदार्थ और दैनिक आवश्यक वस्तुओं के लिये उपभोक्ता क्यू-कॉमर्स को वरीयता देते हैं।
- पारंपरिक स्टोर समय (रात्रि काल में 8 के पश्चात्) से परे ऑर्डर करने की क्षमता ने इन प्लेटफॉर्मों को शहरी उपभोक्ताओं के लिये अपरिहार्य बना दिया है।
- निःशुल्क डिलीवरी के लिये न्यूनतम कार्ट मूल्य, तथा आकर्षक छूट के परिणामस्वरूप उपभोक्ता इसका इस्तेमाल करने हेतु अधिक प्रोत्साहित होते हैं।
- NeilsenIQ सर्वेक्षण (2024) के अनुसार 12% शहरी उपभोक्ता वर्तमान में क्विक कॉमर्स पसंद करते हैं, जो आँकड़ा दो वर्ष पूर्व केवल 5% था।
- भारत में वृद्धि और विस्तार: भारतीय क्यू-कॉमर्स बाज़ार का मूल्य 3.34 बिलियन अमेरिकी डॉलर (वित्त वर्ष 2024) है और अनुमानतः वर्ष 2029 तक यह 76% वार्षिक वृद्धि के साथ 9.95 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक हो जाएगा।
- फ्लिपकार्ट, ओला, ब्लिंकिट, बिगबास्केट और जेप्टो जैसी प्रमुख कंपनियों ने AI-संचालित इन्वेंट्री प्रबंधन में निवेश करते हुए क्यू-कॉमर्स में महत्त्वपूर्ण विस्तार किया है।
- क्यू-कॉमर्स का वर्तमान में बड़े फास्ट-मूविंग कंज़्यूमर गुड्स (FMCG) ब्रांडों की कुल ई-कॉमर्स बिक्री में 35% का योगदान है।
नोट: भारत में इन्वेंट्री आधारित ई-कॉमर्स मॉडल में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) प्रतिबंधित है। हालाँकि, मार्केटप्लेस मॉडल के तहत संचालन करने वाले क्यू-कॉमर्स प्लेटफॉर्म स्वचालित रूट के तहत 100% FDI के लिये पात्र हैं।
विशेषता |
पारंपरिक ई-कॉमर्स |
क्विक कॉमर्स |
डिलीवरी का समय |
3-4 दिन अथवा उससे अधिक |
10 से 30 मिनट |
ऑर्डर प्रकार |
थोक एवं नियोजित खरीदारी |
लघु, बारंबार, सुविधा अनुसार खरीदारी |
उत्पाद रेंज |
विस्तृत सूची |
सीमित, उच्च-मांग वाली आवश्यक वस्तुएँ |
भंडारण |
बड़े गोदाम |
स्थानीय सूक्ष्म-पूर्ति केंद्र |
परिचालन मॉडल |
रसद-संचालित |
हाइपरलोकल और AI-संचालित |
क्विक कॉमर्स संबंधी चिंताएँ क्या हैं?
- निम्नतम कीमत निर्धारण और बाज़ार में हेरफेर: अखिल भारतीय उपभोक्ता उत्पाद वितरण महासंघ (AICPDF) ने क्यू-कॉमर्स प्लेटफॉर्मों पर पारंपरिक खुदरा विक्रेताओं को व्यवसाय से बाहर करने के उद्देश्य से लैंडिंग लागत से कम कीमत पर वस्तुओं का विक्रय किये जाने का आरोप लगाया है।
- इस क्रम में जब प्रतिस्पर्द्धा कम हो जाती है, तो प्लेटफॉर्म कथित तौर पर शुरुआती नुकसान की भरपाई के लिये कीमतें बढ़ा देते हैं, जिसे "मूल्य वृद्धि" कहते हैं।
- डेटा दुरुपयोग और एल्गोरिद्म मूल्य निर्धारण: क्यू-कॉमर्स प्लेटफॉर्म बिग डेटा और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) संचालित मूल्य निर्धारण मॉडल का लाभ उठाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप स्थान (समृद्ध क्षेत्रों में उच्च मूल्य), डिवाइस प्रकार (प्रीमियम फोन उपयोगकर्त्ताओं को उच्च मूल्य मिल सकते हैं) और खरीदारी पैटर्न (दोबारा खरीदारों को नए उपयोगकर्त्ताओं की तुलना में अलग मूल्य मिल सकता है) के आधार पर विभेदक मूल्य निर्धारण हो सकता है।
- छोटे खुदरा विक्रेताओं और रोज़गार पर प्रभाव: पारंपरिक खुदरा विक्रेताओं, विशेष रूप से छोटी किराना दुकानों को क्यू-कॉमर्स प्लेटफार्मों द्वारा दी जाने वाली छूट के खिलाफ प्रतिस्पर्द्धा करने में संघर्ष करना पड़ता है।
- चूँकि इन खुदरा विक्रेताओं का कारोबार घट रहा है, इसलिये इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर बेरोज़गारी की चिंता उत्पन्न हो रही है।
- कई वितरकों और छोटे खुदरा विक्रेताओं का तर्क है कि डिजिटल प्लेटफॉर्म के साथ-साथ उनके अस्तित्व को सुनिश्चित करने के लिये "समान अवसर" होना चाहिये।
- पर्यावरणीय प्रभाव: क्विक कॉमर्स के विकास से एकल-उपयोग प्लास्टिक अपशिष्ट और डिलीवरी बाइक से होने वाला प्रदूषण बढ़ता है।
- गिग वर्कर शोषण: डिलीवरी एजेंटों को कम वेतन का सामना करना पड़ता है, वाहन चलाते समय उनके पास सुरक्षात्मक उपकरण नहीं होते, उन्हें उच्च-डिलीवरी लक्ष्यों को पूरा करने का दबाव झेलना पड़ता है, तथा उनमें से अधिकांश के पास कोई सामाजिक सुरक्षा नहीं होती।
- शहरी-केंद्रित विकास: क्यू-कॉमर्स टियर-1 शहरों में तो तेज़ी से बढ़ रहा है, लेकिन टियर-2 और टियर-3 शहरों में डिजिटल पहुँच की कमी, कम मांग और लॉजिस्टिक बाधाओं के कारण संघर्ष कर रहा है। सीमित विस्तार के कारण यह शहरी केंद्रों तक ही सीमित है।
क्यू-कॉमर्स कैसे सतत् और समावेशी हो सकता है?
- विनियामक निरीक्षण और बाज़ार निष्पक्षता: भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग (CCI) को क्यू -कॉमर्स में अनुचित मूल्य निर्धारण और एकाधिकार प्रथाओं को विनियमित करना चाहिये।
- प्रस्तावित राष्ट्रीय ई-कॉमर्स नीति के तहत मूल्य निर्धारण, डेटा गोपनीयता और प्रतिस्पर्द्धा की देखरेख के लिये एक राष्ट्रीय क्यू-कॉमर्स नियामक प्राधिकरण की स्थापना की जा सकती है।
- पारंपरिक खुदरा व्यापार के साथ सह-अस्तित्व: क्यू-कॉमर्स प्लेटफॉर्म किराना स्टोर्स के साथ प्रतिस्पर्द्धा करने के बजाय उनके साथ साझेदारी कर सकते हैं।
- "किराना संचालित डार्क स्टोर्स" जैसे हाइब्रिड मॉडल एक स्थायी पारिस्थितिकी तंत्र बना सकते हैं, जहाँ छोटे खुदरा विक्रेताओं को डिजिटल लॉजिस्टिक्स से लाभ मिलेगा, जो तकनीक-संचालित दक्षता के साथ अति-स्थानीय (Hyperlocal) विशेषज्ञता को मिश्रित करेगा।
- सरकारी नीतियाँ तकनीक-संचालित वाणिज्य और पारंपरिक व्यवसाय स्थिरता के बीच संतुलन बनाने के लिये सहयोगी खुदरा ढाँचे को प्रोत्साहित कर सकती हैं।
- ONDC फ्रेमवर्क: ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC) छोटे खुदरा विक्रेताओं को प्रमुख क्यू-कॉमर्स फर्मों पर निर्भर हुए बिना डिजिटल प्लेटफॉर्म तक पहुँच प्रदान कर सकता है।
- उचित वेतन और सामाजिक सुरक्षा: सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 को पूरी तरह से लागू किया जाना चाहिये ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि गिग श्रमिकों को न्यूनतम वेतन, बीमा और दुर्घटना कवरेज़ मिले।
- अत्यधिक गति और चालक की थकान को रोकने के लिये गैर-आवश्यक सामानों की उचित डिलीवरी विंडो होनी चाहिये।
- मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम, 2019 में गिग श्रमिकों के लिये सुरक्षा मानदंड शामिल किए जाने चाहिये और वाहनों को व्यावसायिक या व्यक्तिगत उपयोग के आधार पर वर्गीकृत किया जाना चाहिये, तथा लक्षित प्रदूषण नियंत्रण उपायों को सुनिश्चित किया जाना चाहिये।
- सतत् लॉजिस्टिक्स: प्लास्टिक अपशिष्ट को कम करने के लिये पुनर्चक्रणीय और जैवनिम्नीकरणीय पैकेजिंग के लिये अनिवार्यताएँ लागू करना, इलेक्ट्रिक वाहनों के तीव्र अंगीकरण और विनिर्माण (FAME) योजना के अंतर्गत वितरण के लिये इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहित करना।
- डेटा गोपनीयता: डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम, 2023 को यह सुनिश्चित करना चाहिये कि क्यू-कॉमर्स कंपनियाँ अनुचित मूल्य निर्धारण रणनीतियों के लिये उपभोक्ता डेटा का दुरुपयोग न कर सकें।
निष्कर्ष
क्यू-कॉमर्स ने शहरी खुदरा व्यापार को नया स्वरूप दिया है, गति और सुविधा प्रदान की है, लेकिन निष्पक्ष प्रतिस्पर्द्धा को लेकर चिंताएँ भी उत्पन्न की हैं। सतत विकास सुनिश्चित करने के लिये, नियामक ढाँचे, निष्पक्ष श्रम प्रथाओं और हाइब्रिड खुदरा मॉडल को अपनाया जाना चाहिये, जिसमें समावेशिता के साथ नवाचार को संतुलित किया जाना चाहिये।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न: क्विक कॉमर्स भारतीय खुदरा पारिस्थितिकी तंत्र को नया आकार दे रहा है। इसके प्रभाव का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिये और विनियामक उपाय सुझाइए। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न: भारत में कार्य कर रही विदेशी-स्वामित्व की e-वाणिज्य फर्मों के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों में कौन-सा/से सही है/हैं? (2022)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (b) |