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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

कश्मीर पर यूएन रिपोर्ट विवादित क्यों?

  • 21 Jun 2018
  • 6 min read

संदर्भ

हाल ही में पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर पर मानवाधिकारों के संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त (UN High Commissioner for Human rights-OHCHR) के कार्यालय द्वारा एक रिपोर्ट प्रकाशित की गई, जिसमें ‘जून 2016 से अप्रैल 2018’  तक भारतीय राज्य जम्मू-कश्मीर में घटनाक्रम और आज़ाद जम्मू-कश्मीर तथा गिलगित-बाल्टिस्तान में मानवाधिकार से जुड़ी आम चिंताएँ’  विषय को शामिल किया गया| हिंसा की एक नई लहर ने कश्मीर घाटी पर उस समय हमला किया था,  जब हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादी बुरहान वानी की हत्या के विरोध में प्रदर्शन के दौरान सुरक्षा बलों द्वारा बल प्रयोग किया गया था| उसके बाद के महीनों में करीब 51 प्रदर्शनकारियों और नागरिकों की मौत हो गई,  जबकि हथगोलों और गोलियों से 9,000 से ज़्यादा लोग घायल हुए। नतीजतन, OHCRC ने भारत और पाकिस्तान से अपनी टीमों को वहाँ पहुँचने की अनुमति देने के लिये अनुरोध किया जिसे अस्वीकार कर दिया गया था।

यह रिपोर्ट भारत के लिये विवादास्पद क्यों है?

  • रिपोर्ट में कथित हत्याओं तथा विरोध प्रदर्शनों की आलोचना से परेशान विदेश मंत्रालय मिलिटेंटों का वर्णन करने के लिये उपयोग की जाने वाली शब्दावलियों से भी परेशान है।
  • उदाहरण के लिये  हिजबुल मुजाहिदीन,  जिसे भारत द्वारा एक आतंकवादी संगठन के रूप में जाना जाता है,  को रिपोर्ट में "सशस्त्र समूह" के रूप में वर्णित किया गया है।
  • भारतीय सुरक्षा बलों द्वारा आतंकवादी माना जाने वाला वानी को संगठन के "नेता" के रूप में वर्णित किया गया है।
  • भारत ने अपने आधिकारिक बयान में कहा कि रिपोर्ट "आतंकवाद के लिये शून्य सहनशीलता पर संयुक्त राष्ट्र की अगुवाई वाली सर्वसम्मति को कमज़ोर करती है"।
  • भारत ने सशस्त्र बल (जम्मू-कश्मीर) विशेषाधिकार कानून, 1990 को तुरंत निरस्त करने और मानवाधिकार उल्लंघन के आरोपी सुरक्षा बलों के खिलाफ अदालतों में मुकदमा चलाने के लिये केंद्र सरकार से पूर्व अनुमति की बाध्यता को भी हटाने की सिफारिश की है|
  • हालाँकि भारत ने अपने तात्कालिक प्रतिक्रिया में इस रिपोर्ट को ‘भ्रामक’, ‘विवादास्पद’ और ‘दुर्भावना से प्रेरित’ बताया है| विदेश मंत्रालय ने इसे अपने ‘आंतरिक मामलों में दख़लंदाज़ी’  और भारत की ‘प्रभुसत्ता का उल्लंघन’  भी करार दिया है|
  • प्रत्यक्ष साक्षात्कार की अनुपस्थिति में  OHCHR ने स्थानीय स्रोतों से रिपोर्ट तैयार करने के लिये "रिमोट मॉनीटरिंग" का इस्तेमाल किया।

क्या रिपोर्ट का राजनीतिक या राजनयिक निहितार्थ है जो लंबे समय तक भारत को चोट पहुँचा सकता है?

  • भारत ने कहा है कि रिपोर्ट "संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता" का उल्लंघन करती है क्योंकि इसमें पाकिस्तानी नियंत्रण के तहत राज्य के हिस्से का वर्णन करने के लिये "आज़ाद जम्मू-कश्मीर" और "गिलगित बाल्टिस्तान" जैसे शब्दों का प्रयोग किया गया है।
  • भारत कश्मीर के एक हिस्से पर पाकिस्तान के नियंत्रण को वैध नहीं मानता है और इस क्षेत्र का वर्णन पाकिस्तान अधिगृहीत कश्मीर के रूप में करता है।
  • दशकों बाद पाकिस्तान ने 27 मई, 2018 को भारत के सख्त विरोध के बावजूद गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र को अपने संघीय ढाँचे में एकीकृत किया।
  • रिपोर्ट में ऐसी शब्दावली का उपयोग करने के लिये OHCHR के निर्णय को इन क्षेत्रों को पाकिस्तान के हिस्से के रूप में मान्यता दिये जाने के संकेत के रूप में माना जा सकता है।

क्या रिपोर्ट विशेष रूप से भारत पर केंद्रित है और पाकिस्तान का बचाव करती है?

  • यद्यपि रिपोर्ट का प्राथमिक ध्यान जम्मू-कश्मीर में बिगड़ती मानवाधिकार की स्थिति पर है, इसमें पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) की जनता के साथ बातचीत में पाकिस्तानी सुरक्षा बलों के अतिक्रमण पर भी बात की गई है।

भारत ने रिपोर्ट पर इतनी दृढ़ता से प्रतिक्रिया क्यों दी?

  • भारत की प्रतिक्रिया को शायद इस तथ्य से समझा जा सकता है कि रिपोर्ट कश्मीर मुद्दे के अंतिम राजनीतिक समाधान को संदर्भित करती है ताकि दोनों पक्ष, भारत और पाकिस्तान निरंतर मानवाधिकारों के दुरुपयोग से बच सकें।
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