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रिडबर्ग पोलरॉन्स : पदार्थ की नई अवस्था

  • 21 Mar 2018
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

  • भौतिकविदों की एक अंतर्राष्ट्रीय टीम ने पदार्थ की एक नई अवस्था का विकास करने में सफलता हासिल की है। इस प्रोजेक्ट से जुड़े वैज्ञानिकों के अनुसार दुर्बल बंध से निर्मित पदार्थ की इस अवस्था से अतिशीतित परमाणुओं की भौतिकी को समझने में सहायता मिलेगी। 

क्या है पदार्थ की नई अवस्था?

  • वैज्ञानिकों ने पदार्थ की इस नई अवस्था को ‘रिडबर्ग पोलरॉन्स’ (Rydberg Polarons) नाम दिया है। 
  • इसके लिये उन्होंने एक विशाल परमाणु का निर्माण किया और इसे सामान्य परमाणुओं से भर दिया।
  • दूसरे शब्दों में कहें तो यदि इलेक्ट्रॉन अपने नाभिक से इतनी दूरी पर चक्कर लगाए की इनके बीच की कक्षा में अन्य परमाणुओं को रखा जा सके और ये एक दुर्बल बंध से आपस में जुड़ जाएँ तो पदार्थ की इस नवीन अवस्था को प्राप्त किया जा सकता है। 
  • रिडबर्ग पोलरॉन्स में परमाणु एक कमज़ोर बंध द्वारा एक साथ जुड़े हुए होते है और इसे बहुत निम्न ताप पर ही बनाया जा सकता है।
  • इसमें परमाणु तेज़ी से गतिशील रहते हैं और ताप बढ़ने पर ये दुर्बल बंध टूट जाते हैं।

इसे बनाया कैसे गया था?

  • यह एक जटिल प्रयोग है जो पिछले दो दशकों से हासिल की गई उपलब्धियों पर आधारित है।
  • यह दो अलग-अलग क्षेत्रों की अवधारणाओं - बोस आइंस्टीन कंडेनसेशन और रिडबर्ग परमाणु का उपयोग करता है।
  • बोस आइंस्टीन कंडेनसेट (Bose Einstein Condensate-BEC) अति-निम्न ताप पर प्राप्त होने वाली पदार्थ की तरल जैसी अवस्था है।
  • एक झील पर बनने वाली उर्मिकाओं अथवा तरंगों (Ripples) की तरह ही BEC में विक्षोभ उत्त्पन्न करने के लिये इसे उत्तेजित किया जा सकता है। इस प्रयोग में शोधकर्त्ताओं ने स्ट्रोंटियम (Strontium) परमाणु के BEC का इस्तेमाल किया था।
  • एक सामान्य परमाणु में इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर चक्कर लगाते हैं। एक 'रिडबर्ग परमाणु' ऐसा परमाणु होता है जिसमें एक इलेक्ट्रॉन को उत्तेजित कर उच्च-ऊर्जा स्तर की तरफ भेज दिया जाता है जिससे उस इलेक्ट्रान की मुख्य क्वांटम संख्या (n) का मान बढ़ जाता है। 
  • इस प्रयोग में स्ट्रोंटियम परमाणुओं के BEC पर लेजर लाइट का इस्तेमाल किया गया ताकि यह एक समय में एक ही स्ट्रोंटियम परमाणु पर जाकर गिरे।
  • इससे एक इलेक्ट्रॉन उत्तेजित होकर उच्च ऊर्जा स्तर में संक्रमण कर जाता है और एक रिडबर्ग परमाणु का निर्माण होता है।
  • इस तरह निर्मित कक्षा में कई अन्य स्ट्रोंटियम परमाणुओं को स्थापित किया जा सकता है।
  • जैसे ही यह इलेक्ट्रॉन कई स्ट्रोंटियम परमाणुओं का चक्कर लगाता है, यह BEC की तरंगों को उत्पन्न करता है।
  • रिडबर्ग परमाणु इन तरंगों के साथ जटिल रूप से मिश्रित हो जाता है और एक नया सुपर-परमाणु बनाता है जिसे 'रिडबर्ग पोलरॉन' कहा जाता है।

रिडबर्ग पोलरॉन का उपयोग 

  • इनका ब्रह्माण्ड विज्ञान अर्थात् कोस्मोलॉजी के लिये विशेष निहितार्थ है।
  • ऐसा माना जाता है कि हमारा ब्रह्माण्ड एक रहस्यमय 'डार्क मैटर' से भरा हुआ है जो दूसरे पदार्थों पर गुरुत्वाकर्षण बल लगाता है।
  • डार्क मैटर संबंधी कुछ सिद्धांतों का मानना ​​है कि यह एक ब्रह्मांडीय बोस आइंस्टीन कंडेनसेट है जो अभी तक अज्ञात प्रकार के कणों से निर्मित है।
  • यदि हम वास्तव में एक अदृश्य व्यापक बोस आइंस्टीन कंडेनसेट में रह रहे हैं तो यह प्रयोग इसका पता लगाने में सहायक हो सकता है।
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