नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


जैव विविधता और पर्यावरण

वर्षावनों का पुनर्जीवन

  • 01 Oct 2019
  • 3 min read

चर्चा में क्यों ?

प्रकृति संरक्षण फाउंडेशन (Nature Conservation Foundation) और कोलंबिया विश्वविद्यालय (University of Columbia) के पारिस्थितिकीविदों द्वारा दो दशक तक किये गए लंबे अध्ययन से पता चला कि सात से पंद्रह वर्षों तक किये गए सक्रिय प्रयासों से उष्णकटिबंधीय वर्षावनों (Tropical rainforest) को पुनर्जीवित किया जा सका था।

प्रमुख बिंदु :

  • वर्ष 2002 में यह अध्ययन शुरू हुआ जो पश्चिमी घाट के अन्नामलाई हिल्स में वर्षावनों के अवशेषों पर केंद्रित था।पारिस्थितिक सुधार के अंतर्गत आक्रामक खरपतवारों के चुने हुए क्षेत्रों को साफ करना तथा देशी प्रजातियों के विविध प्रकारों को शामिल किया गया था।
  • अध्ययन से पता चलता है कि उष्णकटिबंधीय वर्षावनों में इस तरह के पुनर्जीवन का प्रयास अधिक प्रभावी होगा।
  • पुनर्जीवन की प्रक्रिया में वन संरचना के साथ-साथ कार्बन भंडारण में सुधार भी शामिल था।
  • पारिस्थितिकीविदों ने पाया कि सक्रिय रूप से पुनर्जीवित किये गए क्षेत्रों में निष्क्रिय रूप से पुनर्जीवित क्षेत्रों की तुलना में सुधार हुआ है जो मानक के रूप में स्थापित प्रतिशत से मेल खाते हैं।

Rainforest

  • सात से पंद्रह वर्षों तक किये गए जीर्णोद्धार के बाद इन अवक्रमित जंगलों में पेड़ों की संख्या में बढ़ोतरी दर्ज की गई।
  • पेड़ों की प्रजातियों की संख्या में 49% और किसी निश्चित क्षेत्र के लिये संगृहीत कार्बन की मात्रा में 47% की वृद्धि हुई।
  • पारिस्थितिकी पुनर्बहाली का सबसे अच्छा तरीका उन महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों की पहचान करना होगा जो पुनर्बहाली के प्रयासों से लाभान्वित होंगे- इसमें वे स्थान शामिल होंगे जो जंगलों के सन्निहित पथों से दूर होंगे या जो जानवरों या पौधों की आवाजाही के लिये महत्वपूर्ण होंगे।
  • अपेक्षाकृत घने जंगलों के बड़े पथों के आस-पास पेड़ों की संख्या में कमी होती हैं तो बेहतर होगा कि उनकी रक्षा करें और उन्हें प्राकृतिक रूप से पुनर्जीवित होने के लिये छोड़ दें, क्योंकि यह प्रक्रिया लागत प्रभावी सिद्ध होगी।

स्रोत : द हिंदू

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow