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शासन व्यवस्था

इलेक्ट्रिक वाहनों के लिये संशोधित सब्सिडी

  • 16 Jun 2021
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये

फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स अथवा फेम योजना

मेन्स के लिये

भारत की इलेक्ट्रिक वाहन नीति

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्र सरकार ने इको-फ्रेंडली वाहनों को अपनाने हेतु उन्हें प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से FAME-II (फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स) योजना के तहत इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर्स पर सब्सिडी को 50 प्रतिशत तक बढ़ाने का निर्णय लिया है।

प्रमुख बिंदु

नए संशोधित प्रावधान

  • केंद्र ने FAME-II नियमों में आंशिक संशोधन किया है, जिसमें इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों के लिये मांग प्रोत्साहन को बढ़ाकर 15,000 रुपए किलोवाट प्रति घंटा करना शामिल है, जो कि पूर्व में बसों के अतिरिक्त सभी इलेक्ट्रिक वाहनों (प्लग-इन हाइब्रिड और स्ट्रोंग हाइब्रिड समेत) के लिये 10,000 रुपए किलोवाट प्रति घंटा था। 
  • सरकार ने इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर्स के लिये इंसेंटिव या प्रोत्साहन को वाहनों की लागत के 40 प्रतिशत तक कर दिया है, जो कि पूर्व में 20 प्रतिशत था।

महत्त्व 

  • यह इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की कीमतों को पारंपरिक आंतरिक दहन इंजन वाले वाहनों के करीब लाएगा और इससे इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की बिक्री में उच्च मूल्य संबंधी सबसे बड़ी बाधा को समाप्त किया जा सकेगा।
  • अन्य महत्त्वपूर्ण कारकों जैसे- कम परिचालन लागत, कम रखरखाव लागत और शून्य उत्सर्जन आदि के कारण इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की मांग में बढ़ोतरी हो सकेगी।

‘फेम-2’ योजना

  • पृष्ठभूमि
    • ‘फेम इंडिया’ नेशनल इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन (NEMM) का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है। ‘फेम’ का मुख्य ज़ोर सब्सिडी प्रदान करके इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहित करना है।
      • नेशनल इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन का उद्देश्य हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री को प्रोत्साहित करना है ताकि वे पारंपरिक वाहनों को प्रतिस्थापित कर सकें और इस प्रकार देश में तरल ईंधन की खपत को कम किया जा सके।
    • योजना के दो चरण
      • चरण I: वर्ष 2015 में शुरू हुआ और 31 मार्च, 2019 को पूरा हो गया।
      • चरण II: अप्रैल, 2019 से शुरू हुआ और 31 मार्च, 2022 तक पूरा किया जाएगा।
    • इस योजना में हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक तकनीक जैसे- माइल्ड हाइब्रिड, स्ट्रांग हाइब्रिड, प्लग इन हाइब्रिड और बैटरी इलेक्ट्रिक वाहन शामिल हैं।
    • निगरानी प्राधिकरण: भारी उद्योग विभाग (भारी उद्योग एवं लोक उद्यम मंत्रालय)
    • फेम इंडिया योजना के चार मुख्य क्षेत्र हैं:
      • प्रौद्योगिकी विकास
      • मांग सृजन
      • पायलट प्रोजेक्ट
      • चार्जिंग अवसंरचना
    • इस योजना के तहत खरीद के समय खरीदारों (अंतिम उपयोगकर्त्ताओं/ उपभोक्ताओं) द्वारा मांग प्रोत्साहन का लाभ उठाया जाएगा और इसकी मासिक आधार पर भारी उद्योग विभाग द्वारा निर्माताओं को इसकी प्रतिपूर्ति की जाएगी।
  • ‘फेम-II’ की मुख्य विशेषताएँ:
    • सार्वजनिक परिवहन के विद्युतीकरण पर ज़ोर देना, जिसमें साझा परिवहन भी शामिल है।
    • सब्सिडी के माध्यम से लगभग 7000 ई-बसों, 5 लाख ई-थ्री व्हीलर, 55000 ई-फोर व्हीलर पैसेंजर कारों और 10 लाख ई-टू व्हीलर को सहायता प्रदान करने का लक्ष्य।
    • 3-व्हील और 4-व्हील सेगमेंट में प्रोत्साहन मुख्य रूप से सार्वजनिक परिवहन के लिये उपयोग किये जाने वाहनों वाले या वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए पंजीकृत वाहनों पर ही लागू होंगे।
    • वहीं 2-व्हील सेगमेंट में निजी वाहनों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
    • उन्नत प्रौद्योगिकियों को प्रोत्साहित करने के लिये इस योजना के तहत प्रोत्साहन का लाभ केवल उन वाहनों को मिलेगा जो लिथियम आयन बैटरी और अन्य नवीन प्रौद्योगिकियों आदि से सुसज्जित हैं।
    • इसके तहत चार्जिंग अवसंरचना की स्थापना का भी प्रावधान किया गया है, जिसमें देश भर के महानगरों, एक मिलियन से अधिक जनसंख्या वाले शहरों, स्मार्ट सिटीज़ और पहाड़ी राज्यों के शहरों में लगभग 2700 चार्जिंग स्टेशन स्थापित किये जाएंगे, जिससे 3 किलोमीटर x 3 किलोमीटर के एक ग्रिड में कम-से-कम एक चार्जिंग स्टेशन की उपलब्धता हो सकेगी।
    • प्रमुख शहर को जोड़ने वाले मुख्य राजमार्गों पर भी चार्जिंग स्टेशनों की स्थापना का प्रस्ताव है। 

चिंताएँ

  • इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाना विभिन्न कारकों पर निर्भर करता है, जिसमें बेहतर चार्जिंग अवसंरचना, आसान वित्तपोषण और व्यावहारिक जगत में वाहन का पर्याप्त प्रदर्शन आदि शामिल हैं। इसके लिये सरकारी हस्तक्षेप और नियोजन की आवश्यकता है, विशेष रूप से तब जब यह क्षेत्र अपने शुरुआती चरण में है।
  • ई-रिक्शा चालक भी अपने वाहनों को चार्ज करने के लिये असुरक्षित और अवैध बिजली के स्रोतों पर निर्भर रहते हैं। प्रायः ई-रिक्शा चालकों द्वारा असुरक्षित परिस्थितियों में चार्जिंग की जाती है, जिससे ड्राइवर और यात्री दोनों को खतरा होता है।

आगे की राह

  • सरकार द्वारा जन-जागरूकता अभियान चलाने और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों द्वारा आसान वित्तपोषण प्रदान किये जाने के साथ इस तरह की पहलों के माध्यम से आगामी पाँच वर्षों में दोपहिया बाज़ार को 30% इलेक्ट्रिक वाहन युक्त बनाने के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है।
  • इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने हेतु सरकार का निरंतर समर्थन और स्थानीय रूप से निर्मित इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों पर विशेष ध्यान देने से भारत को इलेक्ट्रिक वाहनों के विनिर्माण का महत्त्वपूर्ण केंद्र बनाया जा सकेगा।
  • इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग के तीन स्तंभों यानी शहरी नियोजन, परिवहन और बिजली क्षेत्रों के बीच सही समन्वय स्थापित करने से इलेक्ट्रिक वाहनों को व्यवस्थित रूप से अपनाने में मदद मिलेगी।

स्रोत: द हिंदू

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