भारत-विश्व
भारत और मोरक्को के बीच हवाई सेवाओं के समझौते को मंत्रिमंडल की मंज़ूरी
- 30 Aug 2018
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चर्चा में क्यों?
प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत और मोरक्को के बीच हवाई सेवाओं के लिये संशोधित समझौते को मंज़ूरी दे दी है।
लाभ
- नया समझौता नागरिक उड्डयन के क्षेत्र में भारत और मोरक्को के बीच सहयोग के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगा।
- इससे दोनों देशों के बीच व्यापार निवेश, पर्यटन और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा मिलेगा।
- यह समझौता व्यापक सुरक्षा और संरक्षा सुनिश्चित करने के साथ ही दोनों देशों की विमान सेवाओं के लिये व्यापारिक संभावनाओं हेतु अवसर उपलब्ध कराएगा और निर्बाध हवाई संपर्क प्रदान करने के लिये अनुकूल वातावरण भी तैयार करेगा।
समझौते की प्रमुख विशेषताएँ
- दोनों देशों की विमानन कंपनियाँ विभिन्न तरह की सेवाओं को एक-दूसरे से हस्तांतरण सकती हैं।
- प्रत्येक पक्ष की निर्दिष्ट एयर लाइन विपणन के लिये परस्पर करार कर सकती हैं।
- ये कम्पनियाँ दूसरे पक्ष या तीसरी पार्टी के साथ भी ऐसा समझौता कर सकती हैं।
- इस समझौते के ज़रिये दोनों देशों की कोई भी निर्दिष्ट एयरलाइन हवाई सेवाओं की बिक्री और विज्ञापन के लिये एक-दूसरे के यहाँ अपने कार्यालय खोल सकती हैं।
- इस व्यवस्था के तहत भारत की निर्दिष्ट एयरलाइनें मोरक्को के कासाब्लांका, रबात, माराकेश, अगादीर, तांगीर और फेज़ तक आने-जाने के लिये अपनी सेवाएँ दे सकती हैं।
- इसी तरह मोरक्को की निर्दिष्ट एयरलाइनें नई दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बंगलूरू और हैदराबाद आने जाने के लिये अपनी सेवाएँ उपलब्ध करा सकती हैं।
- हवाई सेवा समझौते में विमान सेवाओं के संचालन की अनुमति, संचालन नियमों, व्यावासायिक संभावनाओं तथा सुरक्षा और संरक्षा से जुड़ी व्यवस्थाओं को निलंबित करने या खत्म करने की भी व्यवस्था है।
पृष्ठभूमि
- नागरिक उड्डयन के क्षेत्र में बढ़ते अवसरों तथा दोनों देशों के बीच हवाई सेवाओं के आधुनिकीकरण और इन्हें निर्बाध जारी रखने के उद्देश्य से मौजूदा हवाई सेवा समझौते में संशोधन किया जा रहा है।
- भारत और मोरक्को के बीच हवाई सेवा समझौता 2004 में किया गया था। इस नए समझौते के प्रभावी होने के साथ ही दिसंबर 2004 में किया गया यह समझौता स्वत: निष्प्रभावी हो जाएगा।
- उल्लेखनीय है कि पूर्व में निर्दिष्ट व्यवस्था में एयरलाइनों की सुरक्षा, संरक्षा और वाणिज्यिक गतिविधियों से जुड़े प्रावधानों में समय के अनुरूप बदलाव की व्यवस्था नहीं थी।