परस्पर वैधानिक सहायता के लिये संशोधित दिशा-निर्देश | 10 Jan 2020
प्रीलिम्स के लिये:परस्पर वैधानिक सहायता मेन्स के लिये:संशोधित दिशा-निर्देशों का उद्देश्य व महत्त्व |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में गृह मंत्रालय ने अपराध के प्रति ‘शून्य सहनशीलता’ (Zero Tolerance) की नीति को आगे बढ़ाते हुए शीघ्र न्याय दिलाने के प्रयास के अंतर्गत, आपराधिक मामलों में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर परस्पर वैधानिक सहायता (Mutual Legal Assistance-MLA) प्रक्रिया में तेजी लाने तथा उसे सुसंगत बनाने की दिशा में कदम उठाए हैं।
संशोधित दिशा-निर्देश:
- सामान्यतः एक देश से दूसरे देश में किये जाने वाले अपराधों और डिजिटल प्रसार के कारण आपराधिक गतिविधियों के लिये भौगोलिक सीमाएँ समाप्त हो गई हैं। विभिन्न देशों के सार्वभौमिक क्षेत्राधिकार के बाहर साक्ष्य एवं अपराधियों की मौजूदगी के कारण पारंपरिक जांच की संभावना एवं प्रकृति में बदलाव की अनिवार्यता आवश्यक हो गई है।
- अधिकांश मध्यस्थ और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे फेसबुक, व्हाट्सएप, गूगल, याहू, ट्विटर और यूट्यूब आदि के सर्वर भारत के बाहर हैं। इस प्रकार भारतीय जाँच एजेंसियों को इन प्लेटफार्मों से डेटा तक पहुँचने के लिये एक विशेष प्रक्रिया का पालन करने की आवश्यकता होती है ।
- संशोधित मानदंड हाल ही में संसद में पेश किये गए व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2019 की पृष्ठभूमि में आए हैं ।
संशोधित मानदंड:
- संशोधित दिशा-निर्देशों में अनुरोध पत्र के प्रारूपण और प्रसंस्करण, परस्पर कानूनी सहायता अनुरोध और सेवा से संबंधित समन, नोटिस तथा अन्य न्यायिक दस्तावेजों को जारी करने की प्रक्रिया भी शामिल है।
- इसके अंतर्गत विभिन्न वैधानिक एवं प्रौद्योगिकीय बदलावों को लागू किया गया है और दस्तावेज़ो को संक्षिप्त एवं केंद्रित किये जाने के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय आवश्यकताओं के अनुकूल बनाने का लक्ष्य रखा गया है।
- संशोधित दिशा-निर्देश विदेश में रहने वाले लोगों के बारे में दस्तावेज़ संबंधी सेवाओं में शीघ्र एवं समयानुसार प्रत्युत्तर हेतु विभिन्न न्यायालयों द्वारा व्यक्त की गई चिंताओं को भी संबोधित करता है।
- इसके अंतर्गत जाँचकर्त्ताओं, अभियोजन पक्ष तथा न्यायिक अधिकारियों के लिये आपराधिक मामलों में परस्पर वैधानिक सहायता के क्षेत्र में प्रशिक्षण को भी शामिल किया गया है।
- भारत ने 42 देशों के साथ परस्पर वैधानिक सहायता संधि/समझौते किये हैं ।
- सामान्य तौर पर, विदेश में रहने वाले लोगों के बारे में परस्पर वैधानिक सहायता अनुरोध/साक्ष्य हेतु प्रार्थना पत्र और सूचना सेवा/सूचनाओं/न्यायिक दस्तावेजों के रूप में सहायता मांगी जाती है तथा प्राप्त की जाती है।
- इस प्रकार की गतिविधियों के लिये गृह मंत्रालय को नोडल मंत्रालय और केंद्रीय प्राधिकरण का दर्ज़ा दिया गया है।