भारतीय अर्थव्यवस्था
खुदरा महँगाई दर में कमी
- 15 Apr 2020
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प्रीलिम्स के लियेमुद्रास्फीति के कारण, नियंत्रण के उपाय मेन्स के लियेमुद्रास्फीति में कमी के कारण, प्रभाव |
चर्चा में क्यों?
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (National Statistical Office-NSO) द्वारा जारी आँकड़ों के अनुसार खुदरा महँगाई दर मार्च महीने में घटकर 5.91% रही, जो पिछले चार महीनों का सर्वाधिक निचला स्तर है। फरवरी माह में यह दर 6.58% रही थी।
प्रमुख बिंदु:
- मार्च महीने में मुद्रास्फीति दर भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा निर्धारित उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) मुद्रास्फीति लक्ष्य (2%-6%) के भीतर रही।
- देश भर में COVID - 19 के कारण लॉकडाउन की वजह से मार्च माह से कीमत संग्रह के लिये फील्डवर्क को निलंबित कर दिया गया था। लगभग 66% डेटा कीमत उद्धरण से, जबकि शेष डेटा सिमुलेशन विधि से लिये गए।
- जारी आँकड़ों के अनुसार, देश के शहरी क्षेत्रों में खुदरा मुद्रास्फीति 5.56% तथा ग्रामीण क्षेत्रों में 6.09% रही।
मुद्रास्फीति
- मुद्रास्फीति कीमतों के सामान्य स्तर में सतत् वृद्धि है। अगर किसी एक वस्तु या सेवा के दाम बढ़ जाए तो वह मुद्रास्फीति नहीं है।
- मुद्रास्फीति दर को मूल्य सूचकांक के आधार पर मापा जाता है, जो दो प्रकार के होते हैं-
- थोक मूल्य सूचकांक (Wholesale Price Index-WPI)
- उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (Consumer Price Index-CPI)
- मुद्रास्फीति के कारण:
- मांग जनित कारण
- लागत जनित कारण
- नियंत्रण के उपाय:
- अर्थव्यवस्था में मुद्रा के प्रवाह को कम करना।
- उत्पादन में वृद्धि अथवा उत्पादों का आयात करना।
- उत्पादन तकनीक में सुधार कर उत्पादों की लागत कम करना।
मुद्रा स्फीति के कम होने के कारण:
- देशव्यापी लॉकडाउन के कारण मार्च महीने में उत्पादन सामग्री और कच्चे माल तथा उत्पादों की कीमत में वृद्धि कम हुई है।
- COVID-19 के तीव्र प्रसार तथा मौजूदा लॉकडाउन के समय उच्च अनिश्चितता की स्थिति वर्तमान प्रत्याशित मांग तथा ‘कोर मुद्रास्फीति’ में कमी ला सकती है।
- प्रत्याशित मांग में कमी के प्रमुख कारण बेरोज़गारी तथा वेतन में कटौती, ऋण भार में वृद्धि, सार्वजनिक व्यय में कमी की वजह से बाज़ार में तरलता का अभाव है।
- लॉकडाउन के समय ‘समाजिक दूरी’ के परिणामस्वरूप सेवा क्षेत्र में परिवहन, मनोरंजन तथा संचार का प्रभावित होना भी मुद्रास्फीति के कम होने का प्रमुख कारण है।
संभावित प्रभाव
- RBI के लिये अर्थव्यवस्था को उबारने के लिये गैर-परंपरागत कदम उठाने या नीतिगत दर में कटौती की संभावना बनेगी।
- ‘लॉकडाउन के कारण मार्च महीने में उत्पादन सामग्री, कच्चे माल और उत्पादों की कीमत में कम वृद्धि होने से आने वाले समय में खुदरा मुद्रास्फीति में और कमी आ सकती है।
आगे की राह:
- मार्च में खुदरा महँगाई दर के मोर्चे पर मिली राहत निकट भविष्य में बदल सकती है।
- देशव्यापी बंद के दौरान शहरी खुदरा महंगाई दर में वृद्धि की संभावना है। हालाँकि, स्थिति सामान्य होने पर इसमें सुधार आ सकता है।