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भारतीय राजनीति

कृषि अध्यादेश का विरोध

  • 29 Aug 2020
  • 9 min read

प्रीलिम्स के लिये:

विद्युत (संशोधन) विधेयक, आत्मनिर्भर भारत अभियान, कृषि अवसंरचना कोष , ‘ई-नाम’

मेन्स के लिये:

सहकारी संघवाद, केंद्र और राज्य सरकार की शक्तियों से संबंधित प्रश्न

चर्चा में क्यों?

हाल ही में पंजाब सरकार ने विधानसभा में एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तुत कृषि अध्यादेशों और प्रस्तावित विद्युत (संशोधन) विधेयक, 2020 को खारिज कर दिया है।

प्रमुख बिंदु:

  • गौरतलब है कि COVID-19 महामारी से निपटने हेतु केंद्र सरकार द्वारा आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत कृषि क्षेत्र में 11 महत्त्वपूर्ण सुधारों की घोषणा की गई थी।
  • केंद्र सरकार द्वारा ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मज़बूत बनाने और कृषि आय को दोगुना करने के लक्ष्य की प्राप्ति हेतु इन सुधारों के तहत कृषि क्षेत्र के लिये एक लाख करोड़ रुपए के फंड की घोषणा के साथ कुछ कानूनी सुधारों की भी घोषणा की गई थी।
  • ‘कृषि उपज वाणिज्य एवं व्यापार (संवर्द्धन एवं सुविधा) अध्यादेश 2020’:
    • इस अध्यादेश का उद्देश्य किसानों और व्यापारियों को कृषि उत्पाद विपणन समिति’ (Agricultural Produce Market Committee- APMC) की सीमाओं से बाहर व्यापार के अतिरिक्त अवसर उपलब्ध करना था
    • यह अध्यादेश राज्य कृषि उत्पादन विपणन संघों के तहत अधिसूचित बाज़ारों के बाहर अवरोध मुक्त अंतर-राजकीय व्यापार और वाणिज्य को भी बढ़ावा देता है।
    • साथ ही या किसानों को अपनी सुविधा के अनुसार कृषि उत्पाद खरीदने और बेचने की स्वतंत्रता प्रदान करता है।
  • ‘मूल्य आश्वासन पर किसान (बंदोबस्ती और सुरक्षा) समझौता और कृषि सेवा अध्यादेश, 2020’:
    • इस अध्यादेश में भारतीय कृषि क्षेत्र की प्रमुख चुनौतियों (छोटी जोत, मौसम पर निर्भरता और बाज़ार की अनिश्चितता आदि) को दूर करने के उद्देश्य से कुछ सुधार प्रस्तावित किये गए हैं।
    • इस अध्यादेश में किसानों को अपनी उपज की बिक्री हेतु सीधे प्रसंस्करणकर्त्ताओं, थोक विक्रेताओं, बड़े खुदरा कारोबारियों, निर्यातकों आदि से जुड़ने की व्यवस्था दी गई है।
  • आवश्यक वस्तु (संशोधन) अध्यादेश, 2020:
    • इस अध्यादेश के माध्यम से सरकार ने अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेलों, प्‍याज और आलू आदि को आवश्यक वस्तुओं की सूची से हटाने का प्रस्ताव किया था।
  • विद्युत (संशोधन) विधेयक, 2020:
    • केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तुत विद्युत (संशोधन) विधेयक, 2020 में राज्य विद्युत नियामक आयोगों के अध्यक्ष और अन्य सदस्यों की नियुक्ति हेतु अलग-अलग चयन समिति के स्थान पर एक राष्ट्रीय चयन समिति के गठन का प्रस्ताव किया गया। साथ ही इस विधेयक में विद्युत् वितरण प्रणाली को मज़बूत बनाने हेतु डिस्कॉम (DISCOM) कंपनियों को राज्य विद्युत नियामक आयोग की अनुमति के आधार पर किसी क्षेत्र विशेष में सब-लाइसेंस जारी करने का विकल्प प्रदान किया गया।

आपत्तियाँ:

  • ‘मूल्य आश्वासन पर किसान (बंदोबस्ती और सुरक्षा) समझौता और कृषि सेवा अध्यादेश, 2020’, के तहत राज्य सरकारों को इस अध्यादेश के तहत किये गए किसी भी कारोबार के लिये किसानों, व्यापारियों या इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म पर किसी भी प्रकार का शुल्क या उपकर लगाने से प्रतिबंधित करता है।
  • विशेषज्ञों के अनुसार, कृषि क्षेत्र में केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित अध्यादेशों से कृषि उपज से राज्यों को होने वाली आय के साथ राज्य सरकारों के हस्तक्षेप की शक्ति में कटौती होगी।
  • कई राज्यों ने विद्युत संशोधन विधेयक में राष्ट्रीय चयन समिति के गठन के प्रावधान को शक्ति के केंद्रीकरण का प्रयास बताया है।
  • पंजाब के मुख्यमंत्री ने विधानसभा में इस प्रस्ताव को प्रस्तुत करते हुए केंद्र सरकार द्वारा पारित अध्यादेशों और विद्युत (संशोधन) विधेयक को राज्य के लोगों (विशेषकर किसानों और मज़दूरों) के हितों के साथ भारतीय संविधान के खिलाफ बताया है।
  • उन्होंने कहा कि संविधान की सूची-II (राज्य सूची) की प्रविष्टि-14 के तहत कृषि को राज्य के विषय के रूप में शामिल किया गया है , अतः केंद्र सरकार का निर्णय राज्य के कार्यों में हस्तक्षेप के साथ संविधान में निहित सहकारी संघवाद (Cooperative Federalism) की भावना के खिलाफ है।
  • पंजाब सरकार ने केंद्र सरकार से इन अध्यादेशों को वापस लेते हुए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खाद्यान्न और अन्य कृषि उत्पादों की खरीद हेतु नए अध्यादेश जारी करने का आग्रह किया है।

आगे की राह:

  • वर्तमान में भी देश में किसानों की एक बड़ी आबादी के पास छोटी जोत है और उनके पास आधुनिक उपकरणों का अभाव है, ऐसे में सरकार को कृषि में वैज्ञानिक पद्धति के उपयोग और नवीन उपकरणों हेतु आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने का प्रयास करना चाहिये।
  • सरकार द्वारा कृषि अवसंरचना कोष (Agriculture Infrastructure Fund-AIF) की स्थापना का निर्णय इस दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम है।
  • कृषि क्षेत्र में निजी क्षेत्र को बढ़ावा दिये जाने के साथ APMC में आवश्यक सुधारों के साथ ‘ई-नाम’ (e-NAM) जैसे नवीन प्रयासों को आगे ले जाने पर विशेष बल देना चाहिये।
  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 246 के तहत राज्य और केंद्र सरकार की विधायी शक्तियों की व्याख्या की गई है।
  • संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत तीन प्रकार की सूचियों को शामिल किया गया है।
    1. संघ सूची (Union List)
    2. राज्य सूची (State List)
    3. समवर्ती सूची (Concurrent List)

संघ सूची (Union List): इस सूची में राष्ट्रीय महत्त्व के ऐसे विषयों को शामिल किया गया है। इस सूची में शामिल विषयों पर केवल संसद को कानून बनाये का अधिकार दिया गया है। इस सूची में रक्षा, विदेशी मामलों, बैंकिंग,संचार और मुद्रा आदिको शामिल किया गया है।

राज्य सूची (State List): स्थानीय महत्व के विषय (जैसे पुलिस, व्यापार, वाणिज्य, कृषि और सिंचाईआदि) को शामिल किया गया है। इस सूची में शामिल विषयों पर राज्य विधान सभा को कानून बनाने का अधिकार दिया गया है।

समवर्ती सूची (Concurrent List): इस सूची में उन विषयों को शामिल किया गया , है जिनमें केंद्र व राज्य दोनों की ही भागीदारी की आवश्यकता होती है। समवर्ती सूची में शामिल विषयों पर संसद और राज्य विधानसभा दोनों को कानून बनाने का अधिकार है। इस सूची में शिक्षा, वन, व्यापार संघ, विवाह आदि विषयों को शामिल किया गया है।

स्रोत: द हिंदू

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