सामाजिक न्याय
UNGA का संकल्प 75/260: HIV/AIDS
- 14 Jun 2021
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प्रीलिम्स के लियेHIV/AIDS, संयुक्त राष्ट्र महासभा, HIV/AIDS निवारण एवं नियंत्रण अधिनियम, 2017, सतत् विकास लक्ष्य मेन्स के लियेHIV/AIDS रोकथाम मॉडल |
चर्चा में क्यों?
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने HIV/AIDS की रोकथाम पर संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations General Assembly- UNGA) के 75वें सत्र को संबोधित किया।
- UNGA का संकल्प 75/260 HIV/AIDS पर प्रतिबद्धता की घोषणा और HIV/AIDS पर राजनीतिक घोषणाओं के कार्यान्वयन से संबंधित है।
प्रमुख बिंदु
- HIV/AIDS रोकथाम मॉडल: भारत का अद्वितीय HIV निवारण मॉडल 'सामाजिक अनुबंध' (Social Contracting) की अवधारणा पर केंद्रित है, जिसके माध्यम से नागरिक समाज के समर्थन से 'लक्षित हस्तक्षेप कार्यक्रम (Targeted Interventions Program)' लागू किया जाता है।
- इस कार्यक्रम का उद्देश्य HIV की देखभाल के लिये व्यवहार परिवर्तन, संचार, आउटरीच, सेवा वितरण, परामर्श एवं परीक्षण तथा लिंकेज सुनिश्चित करना है।
- कानूनी ढाँचा: HIV/AIDS निवारण एवं नियंत्रण अधिनियम, 2017 संक्रमित और प्रभावित आबादी के मानवाधिकारों की रक्षा के लिये एक कानूनी और सक्षम ढाँचा प्रदान करता है।
- मुफ्त इलाज: भारत करीब 14 लाख लोगों को मुफ्त एंटी-रेट्रो-वायरल उपचार मुहैया करा रहा है।
- एंटी-रेट्रो-वायरल उपचार: यह दैनिक आधार पर दवाओं का एक संयोजन है जो वायरस को प्रजनन करने से रोकता है।
- यह उपचार CD-4 कोशिकाओं की रक्षा करने में मदद करती है और इस प्रकार रोग से लड़ने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली को पर्याप्त मज़बूत रखती है।
- यह HIV के संचरण के जोखिम को कम करने के अलावा एड्स (HIV के कारण संक्रमण से होने वाली स्थितियों का एक स्पेक्ट्रम) को रोकने में भी मदद करता है।
- राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम:
- राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (NACO) ने राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम के पहले चरण की शुरुआत (1992-1999) की थी।
- वर्ष 1992 में भारत का पहला राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम (1992-1999) शुरू किया गया था और कार्यक्रम को लागू करने के लिये राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (NACO) का गठन किया गया था।
- NACO स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय का एक प्रभाग है।
- इसका गठन वर्ष 1992 में 35 HIV/AIDS रोकथाम और नियंत्रण समितियों के माध्यम से भारत में HIV/AIDS नियंत्रण कार्यक्रमों को नेतृत्त्व प्रदान करने के लिये किया गया था।
- भारत धीरे-धीरे HIV से पीड़ित लोगों को डोलटेग्रेविर (एक सुरक्षित और प्रभावोत्पादक एंटी-रेट्रो-वायरल दवा आहार) में परिवर्तित कर रहा है।
- माँ से बच्चे में HIV संक्रमण के उन्मूलन का लक्ष्य: इसके लिये वायरल लोड परीक्षण सुविधाओं को बढ़ाया गया है और HIV काउंसलिंग एवं जाँच एवं प्रारंभिक निदान के लिये समुदाय आधारित स्क्रीनिंग में तेज़ी लाई गई है।
सतत् विकास लक्ष्य (SDG) और HIV/AIDS: HIV प्रतिक्रिया से संबंधित कई SDG हैं:
- SDG 3: सभी आयु के लोगों में स्वास्थ्य, सुरक्षा और स्वस्थ जीवन को बढ़ावा देना।
- SDG 3.3: वर्ष 2030 तक एड्स को एक सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरे के रूप में समाप्त करना।
- SDG 4: गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, जिसमें व्यापक यौन और प्रजनन स्वास्थ्य (Sexual and Reproductive Health- SRH) शिक्षा तथा जीवन कौशल पर लक्ष्य शामिल हैं।
- SDG 5: लैंगिक समानता, जिसमें यौन और प्रजनन स्वास्थ्य एवं अधिकार (Sexual and Reproductive Health and Rights) पर लक्ष्य, हिंसा का उन्मूलन, हानिकारक लैंगिक मानदंड तथा प्रथाएँ शामिल हैं।
- SDG 10: भेदभाव के खिलाफ सुरक्षा का लक्ष्य और अपने अधिकारों का दावा करने तथा HIV सेवाओं तक पहुँच बढ़ाने के लिये लोगों के सशक्तीकरण सहित असमानताओं को कम करना।
- SDG 16: प्रमुख आबादी और HIV के साथ रहने वाले लोगों के खिलाफ कम हिंसा सहित शांति, न्याय और मज़बूत संस्थान।
अन्य पहलें:
- सनराइज़ परियोजना: स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा वर्ष 2016 में भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों में विशेषकर ड्रग्स का इंजेक्शन लगाने वाले लोगों में बढ़ते HIV प्रसार से निपटने के लिये यह पहल शुरू की गई थी।
- लाल रिबन: लाल रिबन (Red Ribbon) HIV से पीड़ित लोगों के लिये जागरूकता और समर्थन का सार्वभौमिक प्रतीक है।
- विश्व एड्स दिवस से पहले और उसके दौरान जागरूकता बढ़ाने के लिए रिबन पहनना एक बेहतर तरीका है।
- 90-90-90: देश में HIV पॉज़िटिव लोगों में से 90 प्रतिशत लोग अपनी HIV स्थिति जान सकें, पॉज़िटिव HIV वाले 90 प्रतिशत लोगों तक स्वास्थ्य सुविधाएँ पहुँच सकें और इलाज तक पहुँच प्राप्त 90 प्रतिशत लोगों में इस वायरस के दबाव को कम किया जा सके।
- एड्स, तपेदिक और मलेरिया से लड़ने के लिये वैश्विक कोष (GFATM): वैश्विक कोष 21वीं सदी का एक साझेदारी संगठन है जिसे महामारी के रूप में एड्स, तपेदिक और मलेरिया की समाप्ति में तेज़ी लाने के लिये बनाया गया है।
ह्यूमन इम्यूनोडिफिसिएंसी वायरस (HIV)
- HIV शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली में CD-4, जो कि एक प्रकार का व्हाइट ब्लड सेल (T-Cells) होता है, पर हमला करता है। टी-कोशिकाएँ वे कोशिकाएँ होती हैं जो कोशिकाओं में विसंगतियों और संक्रमण का पता लगाने के लिये शरीर में घूमती रहती हैं।
- शरीर में प्रवेश करने के बाद HIV वायरस की संख्या में तीव्र वृद्धि होती है और यह CD-4 कोशिकाओं को नष्ट करने लगता है, इस प्रकार यह मानव प्रतिरक्षा प्रणाली (Human Immune System) को गंभीर रूप से नुकसान पहुँचाता है। एक बार जब यह वायरस शरीर में प्रवेश कर जाता है तो इसे कभी नहीं हटाया जा सकता है।
- HIV से संक्रमित व्यक्ति की CD-4 की संख्या में काफी कमी आ जाती है। एक स्वस्थ शरीर में CD-4 की संख्या 500-1600 के बीच होती है, लेकिन एक संक्रमित शरीर में यह संख्या 200 तक कम हो सकती है।
- कमज़ोर प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण एक व्यक्ति में संक्रमण और कैंसर की संभावना अधिक रहती है। इस वायरस से संक्रमित व्यक्ति के लिये मामूली चोट या बीमारी से भी उबरना मुश्किल हो जाता है।
- समुचित उपचार से HIV के गंभीर प्रभाव को रोका जा सकता है।