आर्थिक एवं सामाजिक विकास के अहम कारक | 05 Feb 2018
चर्चा में क्यों ?
हाल ही में केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट मामलों के मंत्री अरुण जेटली द्वारा संसद के पटल पर आर्थिक सर्वेक्षण 2017-18 प्रस्तुत किया गया। आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, समावेशी रोज़गार केंद्रित उद्योगों को प्रोत्साहन एवं गतिशील अवसंरचना का निर्माण आर्थिक एवं सामाजिक विकास के अहम कारक है। सरकार द्वारा इस दिशा में कई विशिष्ट कदम उठाए जा रहे हैं।
प्रमुख बिंदु
- वस्तु एवं सेवा कर, दिवाला एवं दिवालियापन संहिता एवं व्यवसाय करने की सुगमता को बढ़ाने जैसे संरचनागत सुधारों के अतिरिक्त, सर्वेक्षण में रेखांकित किया गया है कि सरकार ने इस्पात, परिधान, चमड़ा एवं बिजली क्षेत्र से जुड़ी विशिष्ट चुनौतियों का समाधान करने के लिये इनमें से प्रत्येक क्षेत्र में कुछ विशिष्ट सुधार आरंभ किये हैं।
- आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि पिछले तीन वर्षों के दौरान आरंभ किये गए विभिन्न सुधारों को मूडीज़ इंवेस्टर्स सर्विस जैसी अंतर्राष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी द्वारा मान्यता दी गई है, जबकि विश्व बैंक की 2018 की रिपोर्ट में ‘व्यवसाय करने की सुगमता’ की रैकिंग में बढ़ोतरी की गई है।
- आर्थिक सर्वेक्षण 2017-18 में यह भी कहा गया है कि औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (Index of Industrial Production-IIP), जो कि 2011-12 के आधार वर्ष के साथ एक वॉल्यूम सूचकांक है, में 2017-18 में अप्रैल-नवंबर के दौरान (औद्योगिक उत्पादन में) 3.2% की वृद्धि प्रदर्शित की गई है।
- आर्थिक सर्वेक्षण 2017-18 के अनुसार, कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, पेट्रोलियम, रिफाइनरी उत्पाद, उर्वरक, इस्पात, सीमेंट एवं बिजली जैसे आठ प्रमुख अवसंरचना समर्थक उद्योगों में 2017-18 के अप्रैल नवंबर के दौरान 3.9% की संचयी वृद्धि दर्ज की गई।
- इस अवधि के दौरान कोयला, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, स्टील, सीमेंट एवं बिजली की उत्पादन वृद्धि सकारात्मक रही।
- इस्पात उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई जबकि कच्चे तेल एवं उर्वरक उत्पादन में इस अवधि के दौरान मामूली गिरावट दर्ज की गई।
- सर्वेक्षण के अनुसार, उद्योग को सामान्य शेष ऋण वृद्धि नवंबर 2017 में पहली बार सकारात्मक होकर 1% रही जो कि अक्टूबर 2016 से नकारात्मक वृद्धि दर्ज कर रही थी।
- ऋण मंदी के बाद भारतीय कंपनियों द्वारा निधियों की मांग की पूर्ति कुछ हद तक कॉरपोरेट बॉण्डों एवं कॉमर्शियल पेपर जैसे वैकल्पिक स्रोतों द्वारा की गई है।
- बजट पूर्व आर्थिक सर्वेक्षण 2017-18 में यह भी कहा गया है कि कुल विदेशी प्रत्यक्ष निवेश आवक में 8% की वृद्धि हुई अर्थात् यह पिछले वर्ष के 55.56 बिलियन डॉलर की तुलना में 2016-17 के दौरान 60.08 बिलियन डॉलर हो गया।
- 2017-18 (अप्रैल-सितंबर) में कुल एफडीआई की आवक 33.75 बिलियन डॉलर की रही।
व्यवसाय करने संबंधी सरलता के विषय में
- आर्थिक सर्वेक्षण 2017-18 में रेखांकित किया गया है कि विश्व बैंक की व्यवसाय करने की सुगमता रिपोर्ट 2018 में भारत ने पहले की अपनी 130वीं रैकिंग के मुकाबले 30 स्थानों की ऊँची छलांग लगाई है।
- क्रेडिट रेटिंग कंपनी मूडीज़ इंवेस्टर्स सर्विस ने भी भारत की रैकिंग को बीएए3 के न्यूनतम निवेश ग्रेड से बढ़ाकर बीएए2 कर दिया है।
- यह सरकार द्वारा वस्तु एवं सेवा कर, दिवाला एवं दिवालियापन संहिता एवं बैंक पुन: पूंजीकरण के क्रियान्वयन समेत सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों से संभव हो पाया है।
- औद्योगिक वृद्धि को बढ़ाने के कई कदमों में मेक इन इंडिया कार्यक्रम, स्टार्टअप इंडिया एवं बौद्धिक संपदा नीति शामिल है।
क्षेत्रवार पहलों की सूची
- इस्पात
► चीन, दक्षिण कोरिया एवं यूक्रेन से सस्ते इस्पात आयातों की डंपिंग रोकने के लिये सरकार ने फरवरी 2016 में सीमा शुल्क कर में बढ़ोतरी की और एंटी डंपिंग शुल्क लगाया है।
► कई वस्तुओं पर न्यूनतम आयात मूल्य (एमआईपी) लगाया।
सरकार ने मई 2017 में एक नई इस्पात नीति भी आरंभ की है। - एमएसएमई क्षेत्र
► भारत में एमएसएमई क्षेत्र बड़े उद्योगों की तुलना में निम्नपूंजी लागत पर बड़े स्तर पर रोज़गार अवसर उपलब्ध कराने में तथा ग्रामीण एवं पिछड़े क्षेत्रों के औद्योगीकरण में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
► सरकार ने इस क्षेत्र के लिये कई योजनाएँ और विशेष रूप से 2016-17 में सूक्ष्म औद्योगिक इकाइयों से संबंधित विकास एवं पुनर्वित कार्यकलापों के लिये प्रधानमंत्री मुद्रा योजना आरंभ की। - कपड़ा एवं परिधान
► परिधान कंपनियों के सामने आने वाली कुछ बाधाओं को दूर करने के लिये केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जून 2016 में परिधान क्षेत्र के लिये 6000 करोड़ रुपए के पैकेज की घोषणा की थी।
► सरकार ने दिसंबर 2017 में वर्ष 2017-2018 से 2019-2020 की अवधि के लिये 1300 करोड़ रुपए के साथ कपड़ा क्षेत्र में क्षमता निर्माण के लिये योजना (एससीबीटीएस) को मंजू़री दी। - चमड़ा क्षेत्र
► चमड़ा एवं फुटवियर क्षेत्र में रोज़गार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सरकार ने दिसंबर 2017 में 2017-18 से 2019-2020 के तीन वित्त वर्षों के लिये 2600 करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ एक योजना आरंभ की है। - रत्न एवं जवाहरात
► रत्न एवं जवाहरात क्षेत्र का निर्यात 2014-15 के 0.7% से बढ़कर 2016-17 में 12.8% पहुँच गया है।
अवसंरचना विकास
सड़क और परिवहन
- वैश्विक अवसंरचना आउटलुक में अनुमान लगाया गया है कि आर्थिक विकास एवं सामुदायिक कल्याण में बेहतरी लाने के लिये अवसंरचना का विकास करने हेतु भारत द्वारा 2040 तक 4.5 ट्रिलियन डॉलर के बराबर निवेश की आवश्यकता है।
- सरकार भारत के दीर्घावधि विकास के लिये अवसंरचना विकास में अत्यधिक निवेश कर रही है।
- गुणवत्तापूर्ण परिवहन से संबंधित अवसंरचना क्षेत्र में भारत कई विकासशील अर्थव्यवस्थाओं से आगे है।
- नए राष्ट्रीय राजमार्गों (एनएच) का निर्माण और राज्य उच्च पथों (एसएच) को राजमार्गों में परिवर्तन करना सरकार का प्राथमिक एजेंडा है।
- सितम्बर, 2017 में राष्ट्रीय राजमार्गों/एक्सप्रेसवे की कुल लम्बाई 1,15,530 किलोमीटर थी, जो सड़कों की कुल लम्बाई का 2.06% है।
- दूसरी तरफ राज्य उच्च पथों की कुल लम्बाई 2015-16 में 1,76,166 किलोमीटर थी। सरकार को विभिन्न राज्य सरकारों से 64,000 किलोमीटर के उच्च पथों को राष्ट्रीय राजमार्गों में परिवर्तित करने का प्रस्ताव प्राप्त हुआ।
- सड़क और परिवहन मंत्रालय ने 10,000 किलोमीटर की सड़कों को नए राष्ट्रीय राजमार्ग में परिवर्तित करने की घोषणा की है।
- बिहार, ओडिशा, छ्त्तीसगढ़, झारखंड, जम्मू कश्मीर, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश जैसे निम्न सकल राज्य घरेलू उत्पाद वाले अविकसित राज्यों में अन्य लोक निर्माण विभाग (ओपीडब्ल्यूडी) सड़क/ज़िला सड़क का घनत्व बहुत निम्न है।
- ज़िलों को जोड़ने वाली सड़कों सहित ओपीडब्ल्यूडी रोड को विकसित करने की आवश्यकता है ताकि आवागमन को बेहतर बनाया जा सके। इससे आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि होगी।
- विलंब से चल रही परियोजनाओं को तेज गति से पूरा करने के लिये कई कदम उठाए गए हैं। इनमें भूमि अधिग्रहण और पर्यावरण मंजू़री शामिल है।
- नई महत्त्वाकांक्षी भारत माला परियोजना का लक्ष्य राजमार्ग विकास के लिये अधिकतम संसाधन आवंटन प्राप्त करना है।
रेलवे
- रेलवे के संबंध में सर्वेक्षण कहता है कि 2017-18 (सितम्बर 2017 तक) के दौरान भारतीय रेल ने 558.10 मिलियन टन माल ढुलाई की, जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में यह 531.23 मिलियन टन थी, जो 5.06% की वृद्धि दिखाता है।
- रेलवे अवसंचरना विकास पर विशेष ध्यान देने के अंतर्गत बड़ी लाइन निर्माण तथा रेल मार्गों के विद्युतीकरण में तेज़ी लाई गई है।
- भारत सरकार की वित्तीय सहायता से वर्तमान में 425 किलोमीटर लंबी मेट्रो रेल प्रणाली संचालन में है और देश के विभिन्न शहरों में 684 किलोमीटर की मेट्रो रेल लाइन निर्माण के विभिन्न चरणों में है।
- सागरमाला योजना के तहत 2.17 लाख करोड़ रुपए मूल्य के 289 परियोजनाएँ निर्माण के विभिन्न चरणों में हैं।
दूर संचार विकास
- सर्वेक्षण के अनुसार, दूर संचार क्षेत्र में भारत नेट और डिजिटल इंडिया जैसे कार्यक्रम भारत को एक डिजिटल अर्थव्यवस्था में परिवर्तित कर देंगे।
- सितम्बर 2017 के अंत तक कुल मोबाइल कनेक्शन की संख्या 1207.04 मिलियन थी। इनमें से 501.99 मिलियन ग्रामीण क्षेत्रों में तथा 705.05 मिलियन शहरी क्षेत्रों में थे।
विमानन विकास
- विमानन क्षेत्र के बारे में आर्थिक सर्वेक्षण कहता है कि 2017-18 में घरेलू हवाई यात्रियों की संख्या 57.5 मिलियन थी। इसमें पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 16% की वृद्धि दर्ज की गई।
- सरकार हवाई सेवाओं को उदार बनाने, हवाई अड्डों को विकसित करने और उड़ान जैसी योजना के माध्यम से क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को बढ़ाने का प्रयास कर रही है।
- ऊर्जा क्षेत्र की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए सर्वेक्षण कहता है कि भारत की ऊर्जा क्षमता 3,30,860.6 मेगावाट हो गई है।
- 15,183 गाँवों के विद्युतीकरण का काम पूरा हो गया है। सितम्बर, 2017 में एक नई योजना सौभाग्य (प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना) का शुभारम्भ किया गया। इस योजना के लिये 16,320 करोड़ रुपए की धनराशि निर्धारित की गई है।
लॉजिस्टिक उद्योग
- सर्वेक्षण के अनुसार, 160 बिलियन ड़ॉलर का लॉजिस्टिक उद्योग 7.8% की वार्षिक दर से बढ़ोत्तरी कर रहा है। यह क्षेत्र 22 मिलियन से ज्यादा लोगों को रोज़गार उपलब्ध कराता है।
- सम्पूर्ण लॉजिस्टिक प्रदर्शन के आधार पर भारत जो 2014 में 54वें पायदान पर था, वह 2016 में 35वें पायदान पर आ गया है (विश्व बैंक 2016 लॉजिस्टिक प्रदर्शन सूचकांक)।