भारतीय अर्थव्यवस्था
बैंकिंग धोखाधड़ी की निगरानी हेतु विशेष विंग
- 06 Apr 2020
- 5 min read
प्रीलिम्स के लियेभारतीय रिज़र्व बैंक, यस बैंक संकट मेन्स के लियेबैंकिंग धोखाधड़ी का बैंकिंग व्यवस्था पर प्रभाव |
चर्चा में क्यों?
भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India-RBI) बैंकिंग धोखाधड़ी की निगरानी करने के लिये एक विशेष विंग स्थापित करने की प्रक्रिया में है, इस विंग में मेटा-डेटा (Meta-Data) प्रोसेसिंग और विश्लेषण, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और रिस्क असेसमेंट (Risk Assessment) से संबंधित टीमें होंगी।
प्रमुख बिंदु
- इसके अलावा रिज़र्व बैंक निजी क्षेत्र से विशिष्ट विषयों (मेटा-डेटा प्रोसेसिंग और विश्लेषण, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रिस्क असेसमेंट आदि) पर कार्य करने वाले विशेषज्ञों की भी सहायता लेने पर विचार कर रहा है, ताकि इस विंग में शामिल होने वाले नए सदस्यों को प्रशिक्षित किया जा सके।
- आधिकारिक सूचना के अनुसार, इस विंग का गठन आगामी माह तक किया जाएगा और इसकी क्षमता लगभग 600 अधिकारियों की होगी।
कारण
- ध्यातव्य है कि बीते दिनों ‘यस बैंक’ संकट काफी चर्चा में रहा था और ‘यस बैंक’ गंभीर वित्त समस्याओं का सामना कर रहा था, जिसके कारण बैंक के खाताधारकों पर 50000 रुपए प्रतिमाह निकासी की सीमा आरोपित कर दी गई थी।
- ऐसे में खाताधारकों के सामने मुद्रा का संकट गहरा गया है।
- उल्लेखनीय है कि बीते कुछ वर्षों में बैंकों द्वारा दिये जा रहे ऋण गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (Non Performing Assets-NPAs) में बदल गए हैं। ‘यस बैंक’ द्वारा भी रिलायंस ग्रुप, IL&FS, DHFL, जेट एयरवेज़, एस्सार शिपिंग, कैफे कॉफी डे जैसी कंपनियों को लोन दिया गया, जो बाद में NPA में बदल गया।
- विश्लेषकों के अनुसार, ‘यस बैंक’ संकट के पश्चात् ही बैंकिंग धोखाधड़ी की निगरानी हेतु विंग की स्थापना का विचार और प्रबल हो गया है।
पृष्ठभूमि
- RBI के शीर्ष प्रबंधन द्वारा सर्वप्रथम अक्तूबर 2019 में बैंकिंग धोखाधड़ी विंग के गठन पर विचार किया गया था।
- हालाँकि, उस समय कार्य की परिस्थितियाँ काफी सख्त थीं, जिसके कारण किसी भी इतने बड़े दल का गठन नहीं किया जा सकता था।
- इस समस्या से निपटने के लिये RBI ने संपूर्ण विंग के गठन और उसमें नए लोगों को नियुक्त करने पर विचार शुरू किया, जिसमें उद्योग के विशेषज्ञ भी शामिल होंगे और टीमों का नेतृत्व करेंगे।
- RBI के अनुसार, विंग की नई टीमों को नवीनतम तकनीकों में प्रशिक्षण भी दिया जाएगा, ताकि वे एक नए ‘यस बैंक’ संकट का जन्म होने से रोक सकें।
‘यस बैंक’ संकट
- वित्तीय संकट के पश्चात् RBI ने 5 मार्च को ‘यस बैंक’ के बोर्ड को निरस्त कर दिया था। साथ ही बैंक के नकद निकासी की सीमा भी निर्धारित कर दी थी।
- साथ ही RBI ने भारतीय स्टेट बैंक (State Bank of India-SBI) के पूर्व मुख्य वित्तीय अधिकारी प्रशांत कुमार को ‘यस बैंक’ का प्रशासक नियुक्त कर दिया।
- इसके पश्चात् RBI ने ‘यस बैंक’ के लिये एक पुनर्निर्माण योजना का खुलासा किया, जिसमें SBI द्वारा ‘यस बैंक’ की 49 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने की संभावना व्यक्त की गई।
- बाद में SBI ने ‘यस बैंक’ में 7,250 करोड़ रुपए तक के निवेश की प्रतिबद्धता व्यक्त की।
आगे की राह
- बैंकिंग धोखाधड़ी की निगरानी के लिये गठित की जा रही विंग अवश्य ही भविष्य में बैंकिंग धोखाधड़ी को रोकने में सहायक होगी।
- आवश्यक है कि इस विंग के गठन और इसके क्रियान्वयन पर यथासंभव ध्यान दिया जाए, ताकि यह विंग भारत की बैंकिंग व्यवस्था के विकास में अपना योगदान दे सके।