भारतीय अर्थव्यवस्था
रिज़र्व बैंक ने 7 बैंकों पर लगाया जुर्माना
- 13 Feb 2019
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India-RBI) ने सार्वजनिक तथा निजी क्षेत्र के कुल 7 बैंकों पर जुर्माना लगाया है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु
- RBI द्वारा जिन बैंकों पर जुर्माना लगाया गया है उनमें इलाहाबाद बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, इंडियन ओवरसीज़ बैंक, आंध्र बैंक, HDFC, IDBI और कोटक महिंद्रा बैंक शामिल हैं। उल्लेखनीय है कि इलाहाबाद बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और इंडियन ओवरसीज़ बैंक प्रत्येक पर 1.50 करोड़ रुपए जबकि आंध्र बैंक पर 1 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया गया है।
- RBI ने धन के अंतिम उपयोग की निगरानी, अन्य बैंकों के साथ सूचनाओं के आदान-प्रदान, धोखाधड़ी की रिपोर्ट और वर्गीकरण और खातों के पुनर्गठन पर आदि विभिन्न दिशा-निर्देशों के अनुपालन नही करने के लिये सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSB) पर जुर्माना लगाया गया है।
- केंद्रीय बैंक ने HDFC, IDBI और कोटक महिंद्रा बैंक पर 20-20 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है, इन बैंकों पर जुर्माना लगाने का कारण रिज़र्व बैंक द्वारा जारी किये गए नो योर कस्टमर (Know Your Customer-KYC) मानदंडों तथा एंटी मनी लॉन्ड्रिंग (Anti-money laundering) मानकों के लिये जारी विभिन्न निर्देशों का अनुपालन न करना है।
- RBI के के अनुसार, इन सात बैंकों के मामले में लिया गया यह फैसला RBI के नियमों के तहत निहित शक्तियों के अंतर्गत ही लिया गया है। RBI द्वारा यह जुर्माना बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 के तहत लगाया गया है।
भारतीय रिज़र्व बैंक
- भारतीय रिज़र्व बैंक की स्थापना, भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के प्रावधानों के अनुसार 1 अप्रैल, 1935 को हुई।
- रिज़र्व बैंक का केंद्रीय कार्यालय प्रारंभ में कोलकाता में स्थापित किया गया था जिसे 1937 में स्थायी रूप से मुंबई में स्थानांतरित किया गया।
- यद्यपि प्रारंभ में यह निजी स्वामित्व वाला था, 1949 में राष्ट्रीयकरण के बाद से इस पर भारत सरकार का पूर्ण स्वामित्व है।
- वर्तमान में इसके गवर्नर शक्तिकांत दास हैं जिन्होंने उर्जित पटेल का स्थान लिया है।
कार्य
भारतीय रिज़र्व बैंक की प्रस्तावना में बैंक के मूल कार्य इस प्रकार वर्णित किये गए हैं:
- भारत में मौद्रिक स्थिरता की स्थिति प्राप्त करने की दृष्टि से बैंक-नोटों के निर्गम को विनियमित करना तथा प्रारक्षित निधि (Reserves) को बनाए रखना।
- सामान्य रूप से देश के हित में मुद्रा और ऋण प्रणाली संचालित करना।
- अत्यधिक जटिल अर्थव्यवस्था की चुनौती से निपटने के लिये आधुनिक मौद्रिक नीति फ्रेमवर्क तैयार करना।
- वृद्धि के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए मूल्य स्थिरता बनाए रखना।