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सुपर-स्पेशलिटी मेडिकल पाठ्यक्रमों में आरक्षण: सर्वोच्च न्यायालय

  • 27 Nov 2020
  • 5 min read

मेन्स के लिये:

सरकारी कॉलेजों में सुपर-स्पेशलिटी मेडिकल पाठ्यक्रमों में दिये जा रहे 50% इन-सर्विस आरक्षण से संबंधित मुद्दा

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य सरकारों द्वारा सरकारी कॉलेजों में वर्ष 2020-21 के लिये सुपर-स्पेशलिटी मेडिकल पाठ्यक्रमों (Doctorate of Medicine/DM and Master of Chirurgiae/M. Ch.) में दिये जा रहे 50% इन-सर्विस आरक्षण पर अपना आदेश सुरक्षित रखा है।

प्रमुख बिंदु

  • अगस्त 2020 में, सर्वोच्च न्यायालय ने राज्यों को इन-सर्विस डॉक्टरों को राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET) स्नातकोत्तर (PG) डिग्री पाठ्यक्रमों में सीटों के आरक्षण का लाभ प्रदान करने की अनुमति दी।
  • निर्णय में कहा गया कि राज्य को सूची-III की प्रविष्टि 25 के तहत स्नातकोत्तर डिग्री/डिप्लोमा पाठ्यक्रमों में प्रवेश के इच्छुक इन-सर्विस उम्मीदवारों के लिये प्रवेश का एक अलग स्रोत प्रदान करने की शक्ति प्राप्त है।
    • सूची-III की प्रविष्टि संख्या 25: शिक्षा (तकनीकी शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा और विश्वविद्यालयों सहित) संबंधी प्रावधान प्रविष्टि संख्या 63, 64, 65 के विषय हैं।
      • संविधान संघ और राज्यों के बीच विधायी विषयों को सातवीं अनुसूची के तहत तीन स्तरों पर विभाजित करता है, जो सूची-I (संघ सूची), सूची-II (राज्य सूची) और सूची-III (समवर्ती सूची) में वर्णित हैं।
  • नवंबर 2020 में, तमिलनाडु सरकार ने सरकारी मेडिकल कॉलेजों में 50% सुपर-स्पेशियलिटी सीटों के लिये राज्य के इन-सर्विस उम्मीदवारों की काउंसलिंग कर इसे भरने की अनुमति दी।
    • ये सीटें उन उम्मीदवारों द्वारा भरी जाएंगी जो NEET- सुपर स्पेशलिटी पाठ्यक्रम (SS) में सफल हुए हों। इसके लिये चिकित्सा शिक्षा निदेशालय की चयन समिति मेरिट सूची तैयार करेगी और काउंसलिंग आयोजित करेगी।
    • राज्य सरकार ने यह तर्क दिया है कि चिकित्सा शिक्षा और व्यवहार में सुपर-स्पेशलाइज़्ड योग्य डॉक्टरों की अत्यंत आवश्यकता थी।
    • DM/M. Ch. पाठ्यक्रमों में 50% सीटें इन-सर्विस उम्मीदवारों को आवंटित किये जाने के बाद शेष सीटों को स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (DGHS) को सौंप दिया जाएगा।
      • DGHS सार्वजनिक स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य देख-भाल से संबंधित तकनीकी ज्ञान का भंडार है। यह स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय का एक संलग्न संगठन है।
  • डॉक्टरों सहित NEET 2020 में सफल होने वाले PG धारकों ने इस निर्णय को चुनौती देते हुए कहा कि सुपर-स्पेशियलिटी पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिये किसी भी प्रकार के आरक्षण की कोई अवधारणा विद्यमान नहीं है।
    • निर्णय को चुनौती देने वाले डॉक्टरों ने प्रीति श्रीवास्तव (डॉ.) बनाम मध्य प्रदेश राज्य, 1999 मामले में दिये गए फैसले का उल्लेख किया जिसमें यह माना गया था कि "योग्यता और केवल योग्यता ही सुपर-स्पेशियलिटी स्तर पर प्रवेश का आधार है"।
  • उनके द्वारा की गई अपील में तर्क तर्क दिया गया कि राज्य का आदेश 2019 के स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा (संशोधन) विनियमों (Postgraduate Medical Education (Amendment) Regulations of 2019) के विपरीत था, जिसमें यह कहा गया था कि DGHS को प्रवेश प्रक्रिया का प्रभारी होना चाहिये।
    • ये विनियम केंद्र और राज्य सरकारों के सभी चिकित्सा शिक्षण संस्थानों, डीम्ड विश्वविद्यालयों तथा नगर निकायों एवं न्यासों आदि द्वारा स्थापित चिकित्सा शिक्षण संस्थानों में सभी सुपर स्पेशियलिटी पाठ्यक्रमों के लिये काउंसलिंग आयोजित कराने हेतु DGHS को सशक्त बनाते हैं।

स्रोत: द हिंदू

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