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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

विद्युत वाहनों हेतु बैटरी से संबंधित अनुसंधान एवं विकास

  • 23 Dec 2017
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?
भारत सरकार के भारी उद्योग एवं सार्वजनिक उद्यम मंत्रालय द्वारा हाइब्रिड वाहनों सहित सभी विद्युत वाहनों के लिये एक मिशन प्लान अर्थात् एन.ई.एम.एम.पी. (National Electric Mobility Mission Plan 2020 - NEMMP), 2020 तैयार किया गया है।

प्रमुख बिंदु

  • एन.ई.एम.एम.पी. के अंतर्गत विभिन्न माध्यमों से विद्युत एवं हाइब्रिड वाहनों के निर्माण तथा उपयोग में सुविधा हेतु एक रोडमैप तैयार करने का उल्लेख किया गया है, ताकि बैटरी प्रौद्योगिकी सहित अन्य तकनीकों में अनुसंधान एवं विकास के लिये सहायता दी जा सके।
  • इन वाहनों की मांग में वृद्धि करने की दिशा में आवश्यक प्रयास किये जाएंगे ताकि वर्ष 2020 तक इन वाहनों के निर्माण में उल्लेखनीय वृद्धि की जा सके।
  • एन.ई.एम.एम.पी. के अंतर्गत सरकार ने वर्ष 2020 तक 6 से 7 मिलियन हाइब्रिड एवं विद्युत् वाहनों की बिक्री का महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है। 

फेम इंडिया स्कीम

  • इस मिशन के तहत भारी उद्योग एवं सार्वजनिक उद्यम मंत्रालय द्वारा 1 अप्रैल, 2015 से क्रियान्वयन के लिये फेम इंडिया स्कीम [Faster Adoption and Manufacturing of (Hybrid) Electric Vehicles in India]  को अधिसूचित किया गया है।
  • यह योजना वर्ष 2020 तक, 6 वर्षों की अवधि के लिये क्रियान्वित की गई है। इसके तहत हाइब्रिड/विद्युत वाहन (hybrid/electric vehicles) बाज़ार के साथ-साथ इनके विनिर्माण में भी सहायता प्रदान की जाएगी 
  • वर्तमान में इस योजना के प्रथम चरण का क्रियान्वयन प्रगति पर है। पहले इस चरण की समयावधि 1 अप्रैल 2015 से 31 मार्च 2017 तक थी, परंतु बाद में इसे बढ़ाकर 31 मार्च 2018 कर दिया गया।
  • यह योजना भारत सरकार की हरित पहलों में से एक है, जो कि निकट भविष्य में सड़क परिवहन क्षेत्र जनित प्रदूषण को कम करने में काफी सहायक साबित होगी। 

इस योजना के चार प्रमुख फोकस क्षेत्र निम्नलिखित हैं-  

  • तकनीकी विकास (Technology Development) 
  • मांग निर्माण (Demand Creation) 
  • पायलट परियोजनाएँ (Pilot Projects) 
  • चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर (Charging Infrastructure) 

ध्यातव्य है कि हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा यह घोषणा की गई है कि ‘फेम इंडिया स्कीम’ के अंतर्गत दिये जा रहे प्रोत्साहनों का लाभ उठाने के लिये मूल उपकरण निर्माताओं [Original equipment manufacturers (OEMs)] को इलेक्ट्रिक बसों की आपूर्ति करने के प्रस्ताव को स्वीकारने से पूर्व भारी उद्योग विभाग [Department of Heavy Industry (DHI)] से अनुमोदन प्राप्त करना अनिवार्य होगा। 

  • अर्थात् डी.एच.आई. की मंज़ूरी के पश्चात् OEMs प्रोत्साहनों के लाभ उठाने के पात्र बन पाएंगे, जिसका उद्देश्य फेम इंडिया स्कीम के तहत ई-बसों के लिये सरल रोल-आउट और मांग प्रोत्साहन का प्रबंधन करना है। 
  • हालाँकि, भारी उद्योग एवं सार्वजनिक उद्यम मंत्रालय द्वारा इस संबंध में मांग पूरी करने के लिये बैटरी क्षमता की सलाना आवश्यकता के आकलन हेतु कोई विशेष अध्ययन नहीं कराया गया है।

इस संबंध में कुछ आवश्यक महत्त्वपूर्ण सुझाव 

  • इलेक्ट्रिक वाहनों के लिये विशेष छूट जैसे कर छूट, शीघ्र पर्यावरणीय मंजू़री, सब्सिडी प्रदान करना आदि के माध्यम से प्रोत्साहन देकर इन वाहनों की आपूर्ति को बढ़ाया जा सकता है। 
  • उपभोक्ता सब्सिडी प्रदान कर जैसे सड़क कर एवं पंजीकरण शुल्क में छूट देकर, निःशुल्क पार्किंग व्यवस्था आदि के माध्यम से इन वाहनों की मांग को बढ़ाया जा सकता है। 
  • इलेक्ट्रिक वाहनों के लिये आधारभूत ढाँचा बढ़ाना चाहिये, जिनमें सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशनों, इन स्टेशनों के लिये समर्पित विद्युत आपूर्ति लाइनों एवं बेटरी बदलने के लिये स्टेशनों की व्यवस्था हो। 
  • इसके अलावा, इस क्षेत्र में अनुसंधान प्रयोगशालाएँ स्थापित करने वाली निजी संस्थाओं को टैक्स क्रेडिट प्रदान करना चाहिये।
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