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रियल एस्टेट अधिनियम से उत्पन्न चुनौतियाँ

  • 16 Aug 2017
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?
हाल ही में लंदन में रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (Confederation of Real Estate Developers’ Associations of India (CREDAI) परिसंघ की उद्योग प्रतिनिधियों (industry representatives) के साथ वर्तमान में चल रहे प्रोजेक्टों पर रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम (Real Estate (Regulation and Development) Act) 2016, जिसे रेरा के नाम से जाना जाता है, के प्रभाव के विषय में विशेष चर्चा आयोजित की गई । 

  • उल्लेखनीय है कि इस बैठक में भाग लेने वाले सी.आर.ई.डी.ए.आई. के प्रतिनिधियों के द्वारा भारतीय रियल एस्टेट बाज़ार की गतिशीलता एवं वैश्विक परिदृश्य में आते बदलाव के कारण बनने वाले अवसरों के संबंध में विस्तार से चर्चा की गई। 
  • इसके अतिरिक्त इस बैठक के अंतर्गत ब्रिटेन में भारतीय रियल एस्टेट उद्योग के भविष्यगामी अवसरों के विषय में भी विचार-विर्मश किया गया। 

मामले की वास्तविक स्थिति

  • वास्तविक रूप में रेरा को घर खरीदने के इच्छुक लोगों के हितों की सुरक्षा तथा दीर्घावधि के लिये रियल एस्टेट क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लाया गया था।
  • इससे संबंधित सभी नियमों को सभी राज्यों द्वारा व्यक्तिगत स्तर पर 90 दिनों के भीतर लागू किया जाना सुनिश्चित किया गया।
  • इस अधिनियम का सी.आर.ई.डी.ए.आई. द्वारा इस आधार पर स्वागत किया गया कि यह बेईमान डेवलपर्स के झाँसे से लोगों को बाहर निकलने में मदद करेगा, साथ ही यह इस क्षेत्र में उच्च मानकों को भी स्थापित करेगा।
  • तथापि, सी.आर.ई.डी.ए.आई. के सदस्यों द्वारा इस अधिनियम के अनुपालन से मौजूदा परियोजनाओं पर पड़ने वाले इसके प्रभावों के विषय में भी चिंता व्यक्त की गई। 
  • इनके अनुसार, इस अधिनियम में प्रावधानों का रियल एस्टेट उद्योग पर दीर्घावधि  के लिये नकारात्मक प्रभाव पड़ने की संभावना है। 

चिंता का विषय

  • इस समस्या का एक कारण मौजूदा परियोजना के संबंध में अधिनियम की अस्पष्टता है। 
  • इस अधिनियम के तहत, डेवलपर्स को वर्तमान में चल रही परियोजनाओं को पंजीकृत करने के लिये 90 दिनों का समय दिया गया है। परंतु, ऐसे कई राज्य जिन्होंने इन नियमों को लागू करने के लिये इस समय-सीमा को कम कर दिया है।
  • ऐसे राज्यों में (उदाहरण के लिये महाराष्ट्र) डेवलपर्स को 90- दिन की पंजीकरण प्रक्रिया के संबंध में कईं प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। 
  • स्पष्ट रूप से ऐसी स्थिति में वे इस कानून के मध्य फंस कर रह गए हैं, वे न तो अपनी परियोजनाओं को बेच ही सकते हैं और न ही उन्हें खरीदने में ही समर्थ हैं।
  • हालाँकि, सी.आर.ई.डी.ए.आई. द्वारा राज्यों के इस व्यवहार की कड़ी आलोचना की गई है।

इस संबंध में व्यावहारिक समाधान खोजने की आवश्यकता  पर बल 

  • सी.आर.ई.डी.ए.आई. द्वारा इस समस्या के समाधान के लिये जल्द से जल्द विचार करने पर बल दिया गया है, ताकि समय रहते डेवलपर्स को इन परेशानियों से बचाया जा सके। ऐसा इसलिये भी कहा गया है, क्योंकि इससे भविष्य में सुरक्षित एवं किफायती आवासों की उपलब्धता के संदर्भ में गंभीर समस्या उत्पन्न होने की संभावना है।
  • वस्तुतः यदि डेवलपर्स समय पर अपने सभी दस्तावेज़ों को पंजीकृत नहीं कराता है तो इस अधिनियम के अंतर्गत ऐसा कोई प्रावधान नहीं निहित है कि उन्हें बिजली, पानी इत्यादि के कनेक्शन प्रदान किये जाएँ। 
  • स्पष्ट रूप से इस संबंध में दस्तावेज़ों की कमी होने के कारण सभी के लिये आवास के लक्ष्य को प्राप्त करने की समय-सीमा को वर्ष 2022 सुनिश्चित किया गया है। 

रेरा क्या है?

  • रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम, 2016 के अंतर्गत घरेलू खरीदारों के हितों की रक्षा करने तथा अचल संपत्ति उद्योग में निवेश को बढ़ावा देने संबंधी प्रावधान किये गए हैं।
  • इस विधेयक को 10 मार्च, 2016 को राज्यसभा द्वारा और 15 मार्च 2016 को लोकसभा द्वारा  पारित किया गया। 
  • उल्लेखनीय है कि केंद्रीय एवं राज्य सरकारें छह महीने की सांविधिक अवधि के भीतर इस अधिनियम के तहत वर्णित सभी नियमों को सूचित करने के लिये पूर्ण रूप से उत्तरदायी हैं।
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