सामाजिक न्याय
मानवाधिकार रक्षकों और अनुचित व्यावसायिक अभ्यास पर रिपोर्ट
- 12 May 2023
- 13 min read
प्रिलिम्स के लिये:मानव अधिकार, मानवाधिकार रक्षक, न्यायिक उत्पीड़न, मानवाधिकार रक्षकों पर संयुक्त राष्ट्र घोषणा मेन्स के लिये:मानवाधिकार रक्षक और वर्ष 2022 में व्यवसाय, व्यवसाय और मानवाधिकारों का उल्लंघन |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में बिज़नेस एंड ह्यूमन राइट्स रिसोर्स सेंटर (BHRRC) ने "मानवाधिकार रक्षक और वर्ष 2022 में व्यवसाय: हमारे ग्रह की रक्षा के लिये कॉर्पोरेट शक्ति को चुनौती देने वाले लोग" शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें गैर-ज़िम्मेदार व्यावसायिक अभ्यासों के कारण "मानव समुदायों, पर्यावरण और आजीविका” पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में जागरूकता फैलाने वाले कार्यकर्त्ताओं पर हमलों की जाँच करने का आह्वान किया गया है।
- बिज़नेस एंड ह्यूमन राइट्स रिसोर्स सेंटर ब्रिटेन स्थित एक केंद्र है जो व्यापार में मानवाधिकारों को मज़बूत करने और शोषण को खत्म करने के लिये प्रतिबद्ध है।
रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु:
- वैश्विक:
- कुल हमले:
- जनवरी 2015 से लेकर मार्च 2023 तक हानिकारक व्यावसायिक अभ्यास के बारे में चिंता जताने वाले मानवाधिकार रक्षकों पर लगभग 4,700 हमले हुए हैं।
- उनमें से 555 लोगों पर वर्ष 2022 में हमले हुए थे, “यह खुलासा करते हुए कि गैर-ज़िम्मेदार व्यावसायिक गतिविधि के बारे में वैध चिंता जताने के लिये हर सप्ताह औसतन 10 से अधिक रक्षकों पर हमला किया गया था।
- खनन क्षेत्र:
- मानवाधिकार रक्षकों के लिये खनन क्षेत्र सबसे खतरनाक है, वर्ष 2022 में हुए कुल हमलों में से 30% इस क्षेत्र से संबंधित हैं।
- स्वदेशी रक्षकों के लिये यह क्षेत्र और भी खतरनाक है, वर्ष 2022 में स्वदेशी लोगों पर हुए 41% हमले खनन से संबंधित थे।
- गैर-घातक हमलों को लेकर कोई जाँच नहीं:
- निगमों द्वारा मानवाधिकारों के उल्लंघन और पर्यावरणीय अपराधों के खिलाफ लड़ने वाले लोगों को कई हमलों का सामना करना पड़ा है, जिनमें से 86% गैर-घातक हमले थे। हालाँकि ये हमले गंभीर हिंसा की स्थिति को बढ़ावा दे सकते हैं।
- गैर-घातक हमलों की अक्सर जाँच और मुकदमा नहीं चलाया जाता है, जो रक्षकों को उनके महत्वपूर्ण कार्य करने से हतोत्साहित कर सकता है और गंभीर अपराधिक हिंसा के वातावरण को बढ़ावा दे सकता है।
- प्रमुख हमले:
- न्यायिक उत्पीड़न, जिसमें मनमाने ढंग से गिरफ्तारी, अनुचित सुनवाई और सार्वजनिक भागीदारी के खिलाफ रणनीतिक मुकदमे शामिल हैं, दुनिया भर में प्रदर्शनकारियों के खिलाफ हमले का सबसे आम रूप था।
- संगठन द्वारा ट्रैक किये गए हमलों के लगभग आधे मामले इसी प्रकृति के थे।
- न्यायिक उत्पीड़न मानव अधिकारों की वकालत करने वालों को नुकसान पहुँचाकर परेशान कर सकता है, उनको बेरोज़गार बनाने के साथ ही उनके संसाधनों को सीमित कर सकता है।
- इसका एक भयानक प्रभाव हो सकता है, दूसरों को दुरुपयोग के खिलाफ बोलने से रोक सकता है।
- न्यायिक उत्पीड़न, जिसमें मनमाने ढंग से गिरफ्तारी, अनुचित सुनवाई और सार्वजनिक भागीदारी के खिलाफ रणनीतिक मुकदमे शामिल हैं, दुनिया भर में प्रदर्शनकारियों के खिलाफ हमले का सबसे आम रूप था।
- महिलाओं पर हमले:
- लगभग एक-चौथाई हमले महिलाओं के खिलाफ थे, जिन्होंने "कॉर्पोरेट शक्ति और पितृसत्तात्मक लिंग मानदंड दोनों" को चुनौती दी थी।
- इनमें से कई हमले ऑनलाइन धमकी और मिथ्या थे जिससे उन्हें दीर्घकालिक मनोवैज्ञानिक नुकसान हुआ।
- यह रणनीति महिला रक्षकों को बदनाम करने, अलग-थलग करने और चुप कराने के लिये अपनाई गई।
- कुल हमले:
- भारत:
- भारत ने 2022 में हानिकारक व्यावसायिक प्रथाओं का विरोध करने वाले रक्षकों पर हमलों की दूसरी सबसे बड़ी संख्या दर्ज की। भारत ने हमलों (जिसने एक या अधिक व्यक्तियों को प्रभावित किया) की ऐसी 54 घटनाएँ देखीं।
- 63 ऐसी घटनाओं के साथ भारत से खराब प्रदर्शन करने वाला एकमात्र देश ब्राज़ील था।
- मेक्सिको, कंबोडिया और फिलीपींस में क्रमशः 44, 40 और 32 हमले किये गए।
- भारत में हमलों से जुड़ी कंपनियों की सबसे बड़ी संख्या थी।
- भारत ने 2022 में हानिकारक व्यावसायिक प्रथाओं का विरोध करने वाले रक्षकों पर हमलों की दूसरी सबसे बड़ी संख्या दर्ज की। भारत ने हमलों (जिसने एक या अधिक व्यक्तियों को प्रभावित किया) की ऐसी 54 घटनाएँ देखीं।
- सिफारिश:
- राज्यों को मानवाधिकारों, सतत् विकास और एक स्वस्थ वातावरण को बढ़ावा देने तथा हमलों के लिये शून्य-सहिष्णुता के प्रति वचनबद्धता, अधिकारों की रक्षा के अधिकार एवं व्यक्तिगत व सामूहिक दोनों की महत्त्वपूर्ण भूमिका को मान्यता देने वाले कानून को पारित और कार्यान्वित करना चाहिये।
- अधिक प्रभावी सुरक्षा तंत्रों को सूचित करने के लिये गैर-घातक और घातक हमलों का डेटा एकत्र कर रिपोर्ट की जानी चाहिये। कंपनियों द्वारा रक्षकों को चुप कराने से रोकने के लिये SLAPP (सार्वजनिक भागीदारी के खिलाफ रणनीतिक मुकदमा) कानून पारित करना चाहिये।
- उल्लंघन की स्थिति में प्रभावी उपाय सुनिश्चित करना, जिसमें रक्षकों के खिलाफ प्रतिशोध के कृत्यों हेतु व्यवसायों को जवाबदेह बनाने के लिये न्यायिक प्रणाली को सुदृढ़ करना और हमलों के लिये ज़िम्मेदार लोगों की जाँच तथा अभियोजन में सक्रिय रूप से भाग लेना शामिल है।
- व्यापार और मानवाधिकारों पर एक बाध्यकारी संयुक्त राष्ट्र संधि का समर्थन करने के साथ यह सुनिश्चित करना चाहिये कि यह स्पष्ट रूप से उन सभी जोखिमों की पहचान करता है जिसके लिये मानवाधिकारों की रक्षा का अधिकार प्राप्त है।
व्यवसायों में मानव अधिकारों का उल्लंघन:
- श्रम अधिकारों का उल्लंघन: व्यवसाय जबरन श्रम, बाल श्रम, लिंग आधारित भेदभाव, और संघ की स्वतंत्रता एवं सामूहिक सौदेबाज़ी के अधिकारों के उल्लंघन जैसी प्रथाओं में संलग्न होकर अपने श्रमिकों के अधिकारों का उल्लंघन कर सकते हैं।
- पर्यावरणीय प्रभाव: व्यवसाय प्रदूषण, वनों की कटाई और अन्य गतिविधियों के माध्यम से पर्यावरणीय नुकसान में योगदान दे सकते हैं जो स्थानीय समुदायों एवं स्वच्छ हवा, जल और स्वस्थ वातावरण के अधिकारों को नुकसान पहुँचा सकता है।
- आपूर्ति शृंखलाओं में मानवाधिकारों का हनन: कंपनियाँ अपने उत्पादों या सेवाओं को उन आपूर्तिकर्त्ताओं से प्राप्त कर सकती हैं जो मानव अधिकारों का उल्लंघन करते हैं, जैसे कि मानव तस्करी या शोषण आदि।
- भूमि अधिकारों का उल्लंघन: वे व्यवसायिक भूमि अधिग्रहण या विकास परियोजनाओं में शामिल होने के साथ-साथ स्थानीय समुदायों को विस्थापित करते हैं, भूमि अधिकारों का उल्लंघन करते हैं, या उनकी आजीविका को नुकसान पहुँचाते हैं।
- भ्रष्टाचार: वे रिश्वतखोरी, जबरन वसूली या धन शोधन जैसे भ्रष्ट आचरणों में लिप्त हो सकते हैं, जो वैधानिक शासन और नागरिकों के अधिकारों को कमज़ोर कर सकता है।
मानवाधिकार रक्षकों की सुरक्षा संबंधी प्रयास:
- मानवाधिकार रक्षकों पर संयुक्त राष्ट्र की घोषणा:
- यह घोषणा वर्ष 1998 में मानवाधिकार रक्षकों के लिये संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा आम सहमति से अपनाई गई थी।
- इसमें यह कहा गया है, मानवाधिकार रक्षक वे लोग या समूह हैं जो शांतिपूर्वक मानव अधिकारों को बढ़ावा देने और उनकी रक्षा करने के लिये कार्य करते हैं। वे यह सुनिश्चित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं कि उन अधिकारों का पालन किया जा रहा है या नहीं, जो कि अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार समझौतों में उल्लिखित हैं।
- यह घोषणा वर्ष 1998 में मानवाधिकार रक्षकों के लिये संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा आम सहमति से अपनाई गई थी।
- इस घोषणा को "सार्वभौमिक रूप से मान्यता प्राप्त मानव अधिकारों और मौलिक स्वतंत्रता को बढ़ावा देने तथा संरक्षित करने के लिये व्यक्तियों, समूहों एवं समाज के अंगों के अधिकार और उत्तरदायित्व पर घोषणा" कहा जाता है।
- यह कानूनी रूप से बाध्यकारी साधन नहीं है, लेकिन इसमें ऐसे सिद्धांत और अधिकार शामिल हैं जो कानूनी रूप से बाध्यकारी अंतर्राष्ट्रीय साधनों में निहित मानवाधिकार मानकों पर आधारित हैं।
- नोट: भारत में मानवाधिकार रक्षकों को सुरक्षा प्रदान करने के लिये कोई विशिष्ट कानून नहीं है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग देश में मानवाधिकारों के प्रचार और संरक्षण के अपने जनादेश को अक्षरश: पूर्ण करने के लिये मानवाधिकार रक्षकों के साथ मिलकर कार्य करता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. मूल अधिकारों के अतिरिक्त भारत के संविधान का निम्नलिखित में से कौन-सा/से भाग मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा (1948) के सिद्धांतों और प्रावधानों को प्रतिबिंबित करता/करते है/हैं? (2020)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (d) प्रश्न. एमनेस्टी इंटरनेशनल क्या है? (2015) (a) गृहयुद्धों के शरणार्थियों की मदद करने के लिये संयुक्त राष्ट्र का एक अभिकरण उत्तर: (b) प्रश्न. यद्धपि मानवाधिकार अयोगों ने भारत में मानव अधिकारों के संरक्षण में काफी हद तक योगदान दिया है फिर भी वे ताकतवर और प्रभावशालियों के विरुद्ध अधिकार जताने में असफल रहे हैं। इनकी संरचनात्मक और व्यावहारिक सीमाओं का विश्लेषण करते हुए सुधारात्मक उपायों का सुझाव दीजिये। (मुख्य परीक्षा, 2021) |