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सामाजिक न्याय

'शहरी भारत में हेल्थ केयर इक्विटी' पर रिपोर्ट

  • 23 Nov 2021
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

हाल की एक रिपोर्ट के अनुसार, शहरी क्षेत्रों के सबसे अमीर लोगों की तुलना में पुरुषों और महिलाओं में सबसे गरीब लोगों की जीवन प्रत्याशा क्रमशः 9.1 वर्ष और  6.2 वर्ष कम है।

Health-count

प्रमुख बिंदु

  • रिपोर्ट के संदर्भ में:
    • यह रिपोर्ट भारत के शहरों में स्वास्थ्य कमज़ोरियों और असमानताओं को दर्शाती है।
    • यह अगले दशक में स्वास्थ्य सुविधाओं की उपलब्धता, पहुँच और लागत तथा फ्यूचर-प्रूफिंग (Future-Proofing) सेवाओं में संभावनाओं पर भी ध्यान देती है।
    • इसे हाल ही में अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय द्वारा पूरे भारत में 17 क्षेत्रीय गैर-सरकारी संगठनों के सहयोग से जारी किया गया था।
  • रिपोर्ट के निष्कर्ष:
    • शहरी लोगों की संख्या:
      • भारत के एक-तिहाई लोग अब शहरी क्षेत्रों में रहते हैं, इस खंड में लगभग 18% (वर्ष 1960) से 34% (वर्ष 2019 में) तक की तीव्र वृद्धि देखी जा रही है।
      • शहरी क्षेत्रों में रहने वाले लगभग 30% लोग गरीब हैं।
    • अराजक शहरी स्वास्थ्य शासन:
      • रिपोर्ट में गरीबों पर रोगों के अधिक बोझ का पता लगाने के अलावा एक अराजक शहरी स्वास्थ्य शासन की ओर भी इशारा किया गया है, जहाँ बिना समन्वय के सरकार के भीतर और बाहर स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं की बहुलता शहरी स्वास्थ्य शासन के लिये चुनौती है।
    • गरीबों पर भारी वित्तीय बोझ:
      • गरीबों पर भारी वित्तीय बोझ और शहरी स्थानीय निकायों द्वारा स्वास्थ्य देखभाल में कम निवेश भी एक बड़ी चुनौती है।
  • सुझाव:
    • सामुदायिक भागीदारी और शासन को मज़बूत करना।
    • कमज़ोर वर्ग की आबादी, विभिन्न प्रकार की सहरुग्णता सहित स्वास्थ्य और पोषण की स्थिति पर एक व्यापक व गतिशील डेटाबेस तैयार करना; राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन के माध्यम से विशेष रूप से प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं के लिये स्वास्थ्य देखभाल प्रावधान को मज़बूत करना।
    • गरीबों के वित्तीय बोझ को कम करने के लिये नीतिगत उपाय करना।
    • समन्वित सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं के लिये एक बेहतर तंत्र और निजी स्वास्थ्य  देखभाल संस्थानों के लिये एक सुव्यवस्थित शासन का निर्माण करना
    • कोविड-19 महामारी ने एक मज़बूत और संसाधन वाली स्वास्थ्य प्रणाली की आवश्यकता पर ध्यान दिया है। इसका समाधान किये जाने से सबसे कमज़ोर वर्गों को लाभ होगा और आय समूहों में शहरवासियों को महत्त्वपूर्ण सेवाएँ प्रदान की जाएंगी।

भारत में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति:

  • भारत की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली काफी समय से विभिन्न मुद्दों से जूझ रही है, जिसमें संस्थानों की कम संख्या और पर्याप्त से कम मानव संसाधन शामिल हैं।
  • मुख्यत: एक त्रि-स्तरीय संरचना (प्राथमिक, माध्यमिक और तृतीयक देखभाल सेवाएँ) द्वारा भारतीय स्वास्थ्य प्रणाली को परिभाषित किया जाता है।
    • भारतीय सार्वजनिक स्वास्थ्य मानक (IPHS) के अनुसार, प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल की सुविधाएँ उप-केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) के माध्यम से ग्रामीण आबादी को प्रदान की जाती हैं, जबकि माध्यमिक देखभाल ज़िला और उप-ज़िला अस्पताल के माध्यम से प्रदान की जाती है। 
    • दूसरी ओर, क्षेत्रीय/केंद्रीय स्तर के संस्थानों या सुपर स्पेशियलिटी अस्पतालों में तृतीयक देखभाल प्रदान की जाती है।
  • जबकि प्राथमिक, माध्यमिक और तृतीयक स्वास्थ्य देखभाल के तीनों स्तरों पर ध्यान केंद्रित करने की तत्काल आवश्यकता है, यह अनिवार्य है कि सरकार सार्वजनिक कल्याण के लिये प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल संबंधी सुविधाओं में सुधार करे। 

सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र के लिये पहल

  • आपातकालीन प्रतिक्रिया और स्वास्थ्य प्रणाली तैयारी पैकेज:
    • राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के तहत सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं में सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को मज़बूत करने के लिये राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
  • आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB PM-JAY):
    • 23 सितंबर, 2018 को लॉन्च की गई आयुष्मान भारत PM-JAY दुनिया की सबसे बड़ी सरकार द्वारा वित्तपोषित स्वास्थ्य आश्वासन/बीमा योजना है।
    • PM-JAY एक केंद्र प्रायोजित योजना है।
  • प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (PMSSY):
    • PMSSY की घोषणा वर्ष 2003 में सस्ती/विश्वसनीय तृतीयक स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता में क्षेत्रीय असंतुलन को दूर करने और देश में गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा शिक्षा के लिये सुविधाओं को बढ़ाने के उद्देश्य से की गई थी।

स्रोत-द हिंदू

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