जैव विविधता और पर्यावरण
जलवायु संकेतक और सतत् विकास पर रिपोर्ट: डब्ल्यूएमओ
- 25 Sep 2021
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प्रिलिम्स के लिये:विश्व मौसम विज्ञान संगठन, संयुक्त राष्ट्र महासभा, सतत् विकास लक्ष्य, अल नीनो, जलवायु संकेतक और सतत् विकास पर रिपोर्ट मेन्स के लिये:जलवायु परिवर्तन का प्रभाव एवं समाधान |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में विश्व मौसम विज्ञान संगठन (World Meteorological Organization- WMO) ने जलवायु संकेतकों और सतत् विकास: अंतर्संबंधों का प्रदर्शन (Climate Indicators and Sustainable Development: Demonstrating the Interconnection) पर एक नई रिपोर्ट प्रकाशित की है।
- डब्ल्यूएमओ ने सात जलवायु संकेतकों (कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) सांद्रता, तापमान, महासागरीय अम्लीकरण और गर्मी, समुद्री बर्फ की सीमा, ग्लेशियर का पिघलना तथा समुद्र के स्तर में वृद्धि) का अध्ययन किया।
- इसका प्रकाशन संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations General Assembly) के वार्षिक सत्र और सितंबर 2021 में सतत् विकास लक्ष्यों (Sustainable Development Goal-SDG) के कार्य क्षेत्र के साथ मेल खाता है, जो एसडीजी पर कार्रवाई में तेज़ी लाने के लिये समर्पित है।
प्रमुख बिंदु
- उद्देश्य:
- सतत् विकास के एजेंडे में योगदान करना और वैश्विक नेताओं को साहसिक जलवायु कार्रवाई करने के लिये प्रेरित करना।
- महत्त्व:
- इससे जलवायु परिवर्तन, गरीबी, असमानता और पर्यावरणीय गिरावट, जलवायु तथा अंतर्राष्ट्रीय विकास के बीच संबंधों को समझने में सहायता मिलती है।
- बढ़ते तापमान के परिणामस्वरूप वैश्विक और क्षेत्रीय परिवर्तन होंगे, जिससे वर्षा के पैटर्न तथा कृषि मौसम में बदलाव आएगा। अल नीनो (El Niño) की घटनाओं की तीव्रता भी अधिक सूखा एवं बाढ़ की स्थिति पैदा कर रही है।
- कार्बन डाइआक्साइड का बढ़ता संकेंद्रण:
- संयुक्त राष्ट्र के सभी 17 एसडीजी लक्ष्यों को CO2 की बढ़ती सांद्रता प्रभावित करेगी।
- मानव गतिविधियों के कारण बढ़ती CO2 सांद्रता वैश्विक जलवायु परिवर्तन का प्रमुख कारक है।
- एसडीजी पर प्रभाव:
- अगर बढ़ते CO2 की सांद्रता और वैश्विक तापमान को अनियंत्रित छोड़ दिया जाता है तो इससे एसडीजी 13 के अंतर्गत जलवायु परिवर्तन से निपटने के प्रयासों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
- यह वर्ष 2030 तक एसडीजी 13 के अलावा अन्य 16 एसडीजी की उपलब्धि के लिये भी खतरा पैदा कर सकता है।
- ऐसा इसलिये है क्योंकि अनियंत्रित बढ़ता CO2 उत्सर्जन परोक्ष रूप से शेष छह (तापमान, महासागरीय अम्लीकरण और गर्मी, समुद्री बर्फ की सीमा, ग्लेशियर पिघलना और समुद्र-स्तर में वृद्धि) जलवायु संकेतकों से संबंधित जोखिमों के लिये ज़िम्मेदार होगा।
- उदाहरण के लिये वातावरण में CO2 की बढ़ती सांद्रता से पोषक तत्त्वों की मात्रा में कमी आएगी, जिससे खाद्य सुरक्षा या एसडीजी संकेतक 2.1.2 प्रभावित होगा।
- यह गरीबी से निपटने के वैश्विक लक्ष्य (एसडीजी 1) को भी प्रभावित करेगा।
- पानी में CO2 बढ़ने से समुद्र का अम्लीकरण होगा, यह सीधे तौर पर एसडीजी संकेतक 14.3.1 को प्रभावित करेगा जो समुद्री अम्लता को संबोधित करता है।
- खाद्य असुरक्षा और आजीविका की हानि दोनों ही संसाधन प्रबंधन से संबंधित संघर्षों को बढ़ावा दे सकते हैं, जिससे क्षेत्रीय शांति तथा स्थिरता को खतरा हो सकता है (एसडीजी 16.1)।
- बढ़ते तापमान के लिये ज़िम्मेदार चरम घटनाएँ वर्षा पैटर्न और भूजल उपलब्धता को प्रभावित करती हैं, जिसके कारण पानी की कमी का उच्च जोखिम होता है जो सीधे एसडीजी 6 को को प्रभावित करता है।
- अगर बढ़ते CO2 की सांद्रता और वैश्विक तापमान को अनियंत्रित छोड़ दिया जाता है तो इससे एसडीजी 13 के अंतर्गत जलवायु परिवर्तन से निपटने के प्रयासों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
- सुझाव:
- जलवायु जोखिमों को कम करने के लिये डब्ल्यूएमओ ने निम्नलिखित की सिफारिश की है:
- बेहतर शिक्षा (एसडीजी 4)।
- वैश्विक भागीदारी (एसडीजी 17)।
- सतत् खपत (एसडीजी 12)।
- जलवायु जोखिमों को कम करने के लिये डब्ल्यूएमओ ने निम्नलिखित की सिफारिश की है: