भारतीय अर्थव्यवस्था
श्रम संबंधी संसदीय समिति की रिपोर्ट
- 24 Apr 2020
- 5 min read
प्रीलिम्स के लिये:औद्योगिक संबंध संहिता अधिनियम, 2019 मेन्स के लिये:श्रम संबंधी संसदीय समिति की रिपोर्ट से संबंधित मुद्दे |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में श्रम संबंधी संसदीय समिति ने नियम-280 के तहत औद्योगिक संबंध संहिता अधिनियम, 2019 (The Industrial Relations Code-2019) पर लोकसभा अध्यक्ष के समक्ष एक रिपोर्ट प्रस्तुत की है।
प्रमुख बिंदु:
- "छंटनी और तालाबंदी" से संबंधित प्रावधानों की जाँच कर रिपोर्ट में कहा गया है कि समिति मंत्रालय के इस तर्क से सहमत है कि बिजली, कोयले इत्यादि की कमी मज़दूरों की वजह से नहीं होती है, इसलिये उनकी अनुपलब्धता के कारण कामकाज ठप होने की स्थिति में श्रमिकों को मुआवजा दिया जाना चाहिये।
- समिति का मानना है कि बिजली की कमी, मशीनरी के टूटने की स्थिति में मज़दूरों को 45 दिनों के लिये 50% मज़दूरी का भुगतान उचित हो सकता है। नियोक्ता और कर्मचारियों के बीच एक समझौते के बाद इस अवधि को बढ़ाया भी जा सकता है।
- हालाँकि श्रम संबंधी संसदीय समिति का मानना है कि प्राकृतिक आपदाओं के दौरान श्रमिकों की मज़दूरी का भुगतान तब तक अनुचित होगा जब तक उद्योग पुनः पूर्ण रूप से संचालित न होने लगे। इन प्राकृतिक आपदाओं में भूकंप, बाढ़, सुपर साइक्लोन इत्यादि शामिल हैं।
- कानून सभी के लिये उचित और न्यायसंगत होना चाहिये और किसी भी ऐसी परिस्थिति में जो नियोक्ता के नियंत्रण से परे हो, उसे वेतन का इतना हिस्सा प्रदान करने हेतु मजबूर नहीं किया जाना चाहिये क्योंकि यह न केवल कर्मचारियों को बल्कि नियोक्ताओं को भी प्रभावित करता है।
- ध्यातव्य है की COVID-19 की वजह से देशभर में लॉकडाउन चल रहा है। अतः समिति ने COVID-19 को प्राकृतिक आपदा में शामिल करने का सुझाव दिया है।
- समिति ने सरकार से उद्योगों को हर संभव मदद करने का सुझाव प्रस्तुत किया है।
औद्योगिक संबंध संहिता अधिनियम, 2019
(The Industrial Relations Code- 2019):
- इस अधिनियम में ट्रेड यूनियन अधिनियम, 1926 (Trade Union Act of 1926), औद्योगिक रोज़गार (स्थायी आदेश) अधिनियम, 1946 (Industrial Employment (Standing Order) Act of 1946) तथा औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 (Industrial Disputes Act of 1947) के प्रासंगिक प्रावधानों को मिश्रित, सरलीकृत तथा तर्कसंगत बना कर समाहित किया गया है।
- इस अधिनियम के तहत कंपनियाँ श्रमिकों को प्रत्यक्ष तौर पर एक निश्चित अवधि (Fixed Term Employment) के लिये अनुबंधित कर सकती हैं।
- इस अधिनियम के तहत किसी कंपनी में 100 या उससे अधिक कर्मचारी कार्य कर रहे हों तो कर्मचारियों की संख्या में कमी करने हेतु सरकार से अनुमति लेनी आवश्यक होगी।
- ध्यातव्य है कि वर्ष 2018 में औद्योगिक संबंध संहिता विधेयक के प्रस्तावित मसौदे में यह सीमा 300 कर्मचारियों की थी।
- हालाँकि, इसमें जोड़े गए एक प्रावधान के तहत कर्मचारियों की इस संख्या को सरकार अधिसूचना के माध्यम से बदल सकती है।
- इस अधिनियम की महत्त्वपूर्ण विशेषता निश्चित अवधि के रोज़गार की अवधारणा को वैधानिकता प्रदान करना है।
- अनुबंध अवधि के दौरान श्रमिकों को स्थायी कर्मचारियों की तरह ही सामाजिक सुरक्षा का लाभ देने का प्रावधान है।
आगे की राह:
- प्राकृतिक आपदा से देश की अर्थव्यवस्था को बचाने की ज़रूरत है परंतु वर्तमान समय में COVID-19 जैसी महामरी को ध्यान में रहते हुए श्रमिकों/कर्मचारियों के हित में भी निर्णय लेना चाहिये। साथ ही प्राकृतिक आपदा से बचाव की तैयारी न केवल सरकार का उत्तरदायित्त्व है बल्कि सभी व्यक्तियों को एक-दूसरे की मदद करनी चाहिये।