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भारतीय राजनीति

एक कानून को निरस्त करना

  • 20 Nov 2021
  • 4 min read

प्रिलिम्स के लिये:

कृषि कानून, अध्यादेश, आतंकवाद विरोधी कानून, आतंकवादी और विघटनकारी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम 1987

मेन्स के लिये:

कानून को निरस्त करने की प्रक्रिया

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि 2020 में पारित किये गए तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में निरस्त कर दिया जाएगा।

प्रमुख बिंदु

  • संविधान का अनुच्छेद 245 संसद को पूरे या भारत के किसी भी हिस्से के लिये कानून बनाने की शक्ति देता है और राज्य विधानसभाओं को राज्य के लिये कानून बनाने की शक्ति देता है।
    • संसद को उसी प्रावधान से कानून को निरस्त करने की शक्ति भी प्राप्त है।
    • निरसन हेतु संसद की शक्ति संविधान के तहत कानून बनाने के समान है।
    • एक कानून को या तो पूरी तरह से या आंशिक रूप से या यहाँ तक ​​कि उस हद तक निरस्त किया जा सकता है जहाँ तक यह अन्य कानूनों का उल्लंघन करता है।
  • सनसेट क्लॉज़: इस विधान में एक सनसेट क्लॉज़ भी हो सकता है, अर्थात् एक विशेष तिथि जिसके बाद उसका अस्तित्व समाप्त हो जाता है।
    • उदाहरण के लिये आतंकवाद विरोधी कानून आतंकवादी और विघटनकारी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम 1987, जिसे आमतौर पर टाडा के रूप में जाना जाता है, में एक सनसेट क्लॉज़ था, वर्ष 1995 में इसे समाप्त करने की अनुमति दी गई थी।
  • निरसन: उन कानूनों के लिये जिनमें ‘सनसेट क्लॉज़’ शामिल नहीं है, संसद को कानून को निरस्त करने के लिये एक और कानून पारित करना होगा।
    • कानूनों को दो तरीकों से निरस्त किया जा सकता है- या तो एक अध्यादेश के माध्यम से या कानून के माध्यम से।
    • अध्यादेश: यदि किसी अध्यादेश का उपयोग किया जाता है, तो उसे छह महीने के भीतर संसद द्वारा पारित कानून से प्रतिस्थापित करने की आवश्यकता होगी।
      • यदि अध्यादेश संसद द्वारा अनुमोदित नहीं होने के कारण व्यपगत हो जाता है, तो निरसित कानून को पुनर्जीवित किया जा सकता है।
    • कानून के माध्यम से निरसन: सरकार को संसद के दोनों सदनों में कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिये कानून पारित करना होगा और इसके लागू होने से पूर्व राष्ट्रपति की सहमति प्राप्त करनी होगी।
      • सभी तीन कृषि कानूनों को एक ही कानून के माध्यम से निरस्त किया जा सकता है।
      • प्रायः इस उद्देश्य के लिये ‘निरसन और संशोधन’ शीर्षक से विधेयक पेश किये जाते हैं। इसे अन्य विधेयकों की तरह ही पूर्ण प्रक्रिया से पारित किया जाता है।
      • इससे पूर्व ‘निरसन और संशोधन’ प्रावधान वर्ष 2019 में लागू किया गया था, जब केंद्र सरकार ने 58 अप्रचलित कानूनों को निरस्त करने और आयकर अधिनियम, 1961 तथा भारतीय प्रबंधन संस्थान अधिनियम, 2017 में मामूली संशोधन किया था।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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