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भारतीय राजनीति

रेंग्मा नगा तथा स्वायत्त ज़िला परिषद की मांग

  • 12 Jun 2021
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

रेंग्मा नगा पीपुल्स काउंसिल, स्वायत्त ज़िला परिषद, रेंग्मा नगा जनजाति

मेन्स के लिये:

उत्तर-पूर्व की नृजातीय समस्याएँ

चर्चा में क्यों?

रेंग्मा नगा पीपुल्स काउंसिल (RNPC) या रेंग्मा नगाओं ने असम में एक स्वायत्त ज़िला परिषद (ADC) की मांग की है।

  • केंद्र और राज्य सरकारों ने हाल ही में ‘कार्बी आंगलोंग ऑटोनॉमस काउंसिल’ (KAAC) और ‘नॉर्थ कछार हिल्स ऑटोनॉमस काउंसिल’ (NCHAC) को ‘बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल’ जैसी क्षेत्रीय परिषदों में उन्नत किया है।
    • 'प्रादेशिक परिषद का दर्जा' उन्हें अधिक स्वायत्तता और वित्तीय अनुदान प्रदान करेगा।
  • यह आरोप लगाया जाता है कि इन रेंग्मा आदिवासी परिषदों के निर्माण से नगाओं को जो कि इस भूमि के "वैध स्वामी" हैं, को भूमि से वंचित कर दिया गया। KAAC और NCHAC दोनों नगालैंड के साथ सीमा साझा करते हैं।

Rengma-Nagas

प्रमुख बिंदु:

रेंग्मा नगा जनजाति:

  • रेंग्मा नगालैंड, असम और अरुणाचल प्रदेश में पाई जाने वाली एक नगा जनजाति है।
  • इतिहास:
    • असम के कार्बी हिल्स (तब मिकिर हिल्स के रूप में जाना जाता था) में रहने वाले रेंग्मा नगाओं की पहली आधिकारिक रिकॉर्डिंग वर्ष 1855 में पूर्वोत्तर क्षेत्र में तैनात एक ब्रिटिश अधिकारी मेजर जॉन बटलर द्वारा की गई थी।
    • बटलर ने बताया कि रेंग्मा कार्बी आंगलोंग में 18वीं शताब्दी के शुरुआती हिस्से में नगा पहाड़ियों से चले गए थे, इन्होने अपने कई आदिवासी रीति-रिवाजों को त्याग दिया और स्थानीय समुदायों के भीतर शादी की।
  • त्योहार: रेंग्माओं के फसल उत्सव को ‘नगड़ा’ कहा जाता है।

स्वायत्त ज़िला परिषद (ADC):

  • संविधान की छठी अनुसूची चार पूर्वोत्तर राज्यों असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिज़ोरम में जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन से संबंधित है।
    • संविधान के अनुच्छेद 244 (2) और अनुच्छेद 275 के तहत विशेष प्रावधान प्रदान किया गया है।
  • आदिवासियों को स्वायत्त क्षेत्रीय परिषद और ADCs के माध्यम से विधायी और कार्यकारी शक्तियों का प्रयोग करने की स्वतंत्रता दी गई है।
  • स्वायत्त परिषदों की संरचना:
    • प्रत्येक स्वायत्त ज़िला और क्षेत्रीय परिषद में 30 से अधिक सदस्य नहीं होते हैं, जिनमें से चार राज्यपाल द्वारा मनोनीत और बाकी चुनावों के माध्यम से निर्वाचित होते हैं। ये सभी पाँच वर्ष के कार्यकाल के लिये सत्ता में बने रहते हैं।
    • हालाँकि बोडोलैंड प्रादेशिक परिषद एक अपवाद है क्योंकि इसमें अधिकतम 46 सदस्य हो सकते हैं।
  • राज्यपाल का नियंत्रण:
    • स्वायत्तता की विभिन्न डिग्री के बावजूद छठी अनुसूची क्षेत्र संबंधित राज्य के कार्यकारी प्राधिकरण के बाहर नहीं आता है।
    • राज्यपाल को स्वायत्त ज़िलों को व्यवस्थित और पुनर्गठित करने का अधिकार है। 
  • केंद्रीय और राज्य कानूनों की प्रयोज्यता:
    • संसद और राज्य विधानसभाओं द्वारा पारित अधिनियम इन क्षेत्रों में तब तक लागू किये जा सकते हैं या नहीं लागू किये जा सकते हैं जब तक कि राष्ट्रपति और राज्यपाल स्वायत्त क्षेत्रों के कानूनों में संशोधनों के साथ या बिना संशोधन के उसे या उसकी मंज़ूरी नहीं देते।
  • सिविल और आपराधिक न्यायिक शक्तियाँ: परिषदों को व्यापक दीवानी और आपराधिक न्यायिक शक्तियाँ भी प्रदान की गई हैं, उदाहरण के लिये- गाँव में अदालतों की स्थापना आदि।
    • हालाँकि इन परिषदों का अधिकार क्षेत्र संबंधित उच्च न्यायालय के अधिकार क्षेत्र के अधीन है।
  • मौजूदा स्वायत्त परिषद: संविधान की छठी अनुसूची में 4 राज्यों में 10 स्वायत्त ज़िला परिषदें शामिल हैं। ये हैं:
    • असम: बोडोलैंड प्रादेशिक परिषद, कार्बी आंगलोंग स्वायत्त परिषद और उत्तरी कछार हिल्स/दीमा हसाओ स्वायत्त परिषद।
    • मेघालय: गारो हिल्स स्वायत्त ज़िला परिषद, जयंतिया हिल्स स्वायत्त ज़िला परिषद और खासी हिल्स स्वायत्त ज़िला परिषद।
    • त्रिपुरा: त्रिपुरा जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त ज़िला परिषद।
    • मिज़ोरम: चकमा स्वायत्त ज़िला परिषद, लाई स्वायत्त ज़िला परिषद, मारा स्वायत्त ज़िला परिषद।

रेंग्मा नगा पीपुल्स काउंसिल (RNPC) के तर्क:

  • रेंग्मा असम के पहले आदिवासी थे जिन्होंने वर्ष 1839 में अंग्रेजों का सामना किया था।
    • लेकिन मौजूदा रेंग्मा हिल्स को राज्य के राजनीतिक मानचित्र से हटा दिया गया और वर्ष 1951 में मिकिर हिल्स (अब कार्बी आंगलोंग) के साथ बदल दिया गया।
  • वर्ष 1816 और 1819 में असम में बर्मी आक्रमणों के दौरान रेंग्माओं ने अहोम शरणार्थियों को आश्रय दिया।
    • अहोम भारतीय राज्यों असम और अरुणाचल प्रदेश का एक जातीय समूह है।
  • वर्ष 1951 तक रेंग्मा हिल्स और मिकिर हिल्स दो अलग-अलग संस्थाएँ थीं। रेंग्मा हिल्स का विभाजन वर्ष 1963 में असम और नगालैंड के बीच हुआ था।
    • रेंग्मा हिल्स में कार्बीज़ का कोई इतिहास नहीं है।
    • नगालैंड राज्य के निर्माण के समय वर्ष 1976 तक कार्बी को मिकिर के नाम से जाना जाता था।
      • वे मिकिर हिल्स के स्वदेशी आदिवासी लोग थे।
  • कार्बी आंगलोंग स्वायत्त परिषद (KAAC) की आबादी लगभग 12 लाख है और कार्बी केवल 3 लाख हैं, शेष गैर-कार्बी हैं, जिनमें रेंग्मा नगा भी शामिल हैं, जिनकी आबादी लगभग 22,000 है। 

NSCN (I-M) का पक्ष:

  • ‘नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड या ‘एनएससीएन (इसाक-मुइवा)’ ने कहा है कि रेंग्मा मुद्दा "इंडो-नगा राजनीतिक वार्ता" के महत्त्वपूर्ण एजेंडे में से एक था और किसी भी प्राधिकरण को अपने हितों को खत्म करने के लिये इतनी दूर नहीं जाना चाहिये।
  • NSCN (IM) ने अगस्त 2015 में भारत सरकार के साथ एक नगा शांति समझौते पर हस्ताक्षर किये थे, लेकिन समझौते को अंतिम रूप दिया जाना बाकी है।
    • NSCN (IM) की सबसे विवादास्पद मांगों में से एक एकीकृत नगा मातृभूमि का निर्माण था, जिसे नगालैंड के साथ असम, मणिपुर और अरुणाचल के नगा-आबादी क्षेत्रों को एकीकृत करके 'ग्रेटर नगालिम' कहा जाता था।

स्रोत: द हिंदू

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