भारतीय राजव्यवस्था
उपराष्ट्रपति को पद से हटाना
- 18 Dec 2024
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प्रिलिम्स के लिये:भारत के उपराष्ट्रपति, संबंधित संवैधानिक प्रावधान मेन्स के लिये:भारत के उपराष्ट्रपति की चुनाव प्रक्रिया और संबंधित मुद्दे। |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
हाल ही में विपक्षी दलों ने उपराष्ट्रपति, जो राज्य सभा के सभापति के रूप में भी कार्य करते हैं, के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिये (अनुच्छेद 67 (b) के तहत) नोटिस प्रस्तुत करने का निर्णय लिया गया है।
- राज्य सभा के संबंध में अविश्वास प्रस्ताव एक अनौपचारिक शब्द है जिसका उल्लेख संविधान में नहीं है।
अविश्वास प्रस्ताव
- सरकार के समर्थन का आकलन करने के लिये अविश्वास प्रस्ताव लोकसभा में (राज्यसभा में नहीं) पेश किया जाता है।
- इस पर विचार करने के लिये 50 सदस्यों के समर्थन की आवश्यकता होती है और यदि यह पारित हो जाता है तो सरकार को इस्तीफा देना पड़ता है।
- ये प्रस्ताव आमतौर पर तब लाया जाता है, जब ऐसा लगता है कि सरकार ने अपना बहुमत खो दिया है।
उपराष्ट्रपति के संबंध में संवैधानिक प्रावधान क्या हैं?
- उपाध्यक्ष:
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 63 में कहा गया है कि भारत का एक उपराष्ट्रपति होगा।
- अनुच्छेद 64 में कहा गया है कि उपराष्ट्रपति राज्य सभा के पदेन सभापति के रूप में भी कार्य करता है तथा वह कोई अन्य लाभ का पद नहीं धारण कर सकता है।
- जब उपराष्ट्रपति भारत के संविधान के अनुच्छेद 65 के तहत राष्ट्रपति की भूमिका या कर्त्तव्यों को ग्रहण करता है, तो वह राज्य सभा के सभापति के दायित्वों का निर्वहन और अनुच्छेद 97 के तहत सभापति के लिये निर्दिष्ट वेतन या भत्ते प्राप्त नहीं करेगा।
- पद से त्यागपत्र देने के लिये भारत के राष्ट्रपति को एक पत्र प्रस्तुत करना आवश्यक है, जो स्वीकृति के पश्चात प्रभावी होगा।
- पद हेतु योग्यता: अनुच्छेद 66 में उपराष्ट्रपति के पद के लिये आवश्यक योग्यताएँ निर्दिष्ट की गई हैं। जो निम्नलिखित हैं-
- भारतीय नागरिक होना चाहिये।
- आयु कम-से-कम 35 वर्ष होनी चाहिये।
- राज्य सभा के सदस्य के रूप में निर्वाचन के लिये पात्र होना चाहिये।
- संघ या राज्य सरकारों, स्थानीय प्राधिकरणों या किसी अन्य सार्वजनिक प्राधिकरण के अधीन किसी लाभ के पद पर नहीं होना चाहिये।
- चुनाव:
- रिक्ति: संविधान के अनुच्छेद 68 में यह प्रावधान है कि कार्यकाल समाप्ति के कारण उपराष्ट्रपति के रिक्त पद को भरने के लिये चुनाव वर्तमान कार्यकाल समाप्त होने से पहले पूरा किया जाना चाहिये।
- संविधान का अनुच्छेद 324 भारत के चुनाव आयोग को उपराष्ट्रपति के चुनाव प्रक्रिया की देखरेख, निर्देशन और नियंत्रण का अधिकार प्रदान करता है।
- रिक्ति: संविधान के अनुच्छेद 68 में यह प्रावधान है कि कार्यकाल समाप्ति के कारण उपराष्ट्रपति के रिक्त पद को भरने के लिये चुनाव वर्तमान कार्यकाल समाप्त होने से पहले पूरा किया जाना चाहिये।
- प्रतिभागी: अनुच्छेद 66 में कहा गया है कि उपराष्ट्रपति का चुनाव एक निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाना चाहिये, जिसमें संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित और मनोनीत सदस्य शामिल होते हैं।
- चुनाव एकल संक्रमणीय मत का उपयोग करते हुए आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली का अनुसरण करता है, तथा मतदान गुप्त मतदान द्वारा किया जाता है।
- शपथ:
- अनुच्छेद 69 के अनुसार, उपराष्ट्रपति को पद ग्रहण करने से पहले राष्ट्रपति या उसके नियुक्त प्रतिनिधि के समक्ष शपथ लेनी होगी या प्रतिज्ञान करना होगा।
- कार्यकाल:
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 67 के अनुसार उपराष्ट्रपति का कार्यकाल पद ग्रहण करने की तिथि से पाँच वर्षों का होता है।
- उपराष्ट्रपति का पद दूसरा सर्वोच्च संवैधानिक पद होता है और वह अपने उत्तराधिकारी के पदभार ग्रहण करने तक अपने पद पर बना रहता है।
- पद से हटाना:
- अनुच्छेद 67(b) के अनुसार उपराष्ट्रपति को पद से हटाया जा सकता है यदि "राज्यसभा के सभी तत्कालीन सदस्य" प्रभावी बहुमत से प्रस्ताव पारित करते हैं, जिस पर लोकसभा को "सहमति" देनी होगी तथा प्रस्ताव लाने से पहले कम से कम 14 दिन का नोटिस देना होगा।
- 14 दिन की अवधि समाप्त होने पर राज्यसभा अनुच्छेद 67(b) में उल्लिखित प्रक्रिया का पालन करते हुए प्रस्ताव पर चर्चा करेगी।
- इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि अगले सत्र में इस प्रस्ताव पर विचार किया जा सकता है या नहीं।
- संविधान के अनुच्छेद 92 के तहत स्पष्ट रूप से अध्यक्ष या उपसभापति को सदन की अध्यक्षता करने से रोका गया है, जब तक कि उन्हें हटाने का प्रस्ताव विचाराधीन हो।
- अनुच्छेद 67(b) के अनुसार उपराष्ट्रपति को पद से हटाया जा सकता है यदि "राज्यसभा के सभी तत्कालीन सदस्य" प्रभावी बहुमत से प्रस्ताव पारित करते हैं, जिस पर लोकसभा को "सहमति" देनी होगी तथा प्रस्ताव लाने से पहले कम से कम 14 दिन का नोटिस देना होगा।
- शक्ति एवं कार्य:
- यदि कोरम पूरा न हो तो राज्यसभा का सभापति सदन की कार्यवाही स्थगित कर सकता है या उसकी बैठक स्थगित कर सकता है।
- संविधान की 10वीं अनुसूची सभापति को दल-बदल के संबंध में किसी राज्यसभा सदस्य की अयोग्यता पर निर्णय लेने का अधिकार देती है।
- सदन में विशेषाधिकार हनन का प्रश्न उठाने के लिये सभापति की स्वीकृति आवश्यक होती है।
- संसदीय समितियाँ (चाहे वे सभापति द्वारा या सदन द्वारा गठित हों) सभापति के मार्गदर्शन में कार्य करती हैं।
- सभापति विभिन्न स्थायी समितियों एवं विभागीय संसदीय समितियों के सदस्यों की नियुक्ति करता है। वह कार्य मंत्रणा समिति, नियम समिति तथा सामान्य प्रयोजन समिति की अध्यक्षता भी करता है।
- सभापति संविधान और सदन से संबंधित नियमों की व्याख्या करने के लिये ज़िम्मेदार होता है और कोई भी सभापति की व्याख्या पर विवाद नहीं कर सकता है।
नोट: मूल संविधान में यह प्रावधान था कि उपराष्ट्रपति का चयन संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक द्वारा किया जाएगा।
- इस जटिल प्रक्रिया को 11वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1961 द्वारा समाप्त कर दिया गया।
भारत और अमेरिका के उपराष्ट्रपतियों के बीच अंतर
भारत |
अमेरिका |
पाँच वर्ष का कार्यकाल होता है एवं पुनः निर्वाचन का पात्र होता है। |
चार वर्ष का कार्यकाल होता है तथा पुनः निर्वाचन का पात्र होता है। |
राज्यसभा के पदेन सभापति के रूप में कार्य करता है। |
सीनेट के अध्यक्ष के रूप में कार्य करता है, लेकिन केवल मत बराबर होने की स्थिति में ही मतदान करता है। |
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राष्ट्रपति का पद रिक्त होने पर वह राष्ट्रपति का पद ग्रहण करता है तथा उनके शेष कार्यकाल तक राष्ट्रपति बना रहता है। |
दृष्टि मेन्स प्रश्न प्रश्न: भारत में उपराष्ट्रपति से संबंधित संवैधानिक प्रावधानों को बताते हुए संसदीय लोकतंत्र में इसकी भूमिका पर चर्चा कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2013)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (b) |