भारतीय अर्थव्यवस्था
अनुसंधान एवं विकास से संबंधित खर्च प्रणाली
- 26 Jul 2019
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चर्चा में क्यों ?
हाल ही में अनुसंधान एवं विकास से संबंधित खर्च प्रणाली (Research & Development Expenditure Ecosystem) शीर्षक पर आधारित एक रिपोर्ट जारी की गई।
प्रमुख बिंदु:
- इस रिपोर्ट को प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद द्वारा संकलित किया गया।
- इस रिपोर्ट के अनुसार अनुसंधान और विकास (R&D) से संबंधित व्यय में वृद्धि सकल घरेलु उत्पाद (GDP) में वृद्धि के अनुरूप होनी चाहिये और इस व्यय को वर्ष 2022 तक GDP का 2% होना चाहिये।
- भारत का R&D में सार्वजनिक निवेश GDP के एक अंश के रूप में पिछले दो दशकों में स्थिर रहा है।
- रिपोर्ट के अनुसार यह निवेश GDP के लगभग 0.6 प्रतिशत से 0.7 प्रतिशत पर स्थिर बना हुआ है जो कि अमेरिका (2.8%), चीन (2.1%), इज़राइल (4.3%) और कोरिया (4.2%) जैसे देशों के निवेश से काफी कम है।
- रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि भारत में R&D में निवेश करने में केंद्र सरकार प्रमुख निवेशक है जबकि उन्नत देशों में निजी क्षेत्र R&D में मुख्य निवेशक है। इसलिये इस क्षेत्र के कुल व्यय में राज्य सरकार और निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ाये जाने की आवश्यकता है।
- यह रिपोर्ट राज्यों को भी केंद्र के साथ मिलकर संयुक्त रूप से सामाजिक रूप से अभिकल्पित केंद्रीय प्रायोजित योजनाओं (Central Sponsored Schemes-CSS) के माध्यम से अनुसंधान और नवाचार कार्यक्रमों का संयुक्त रूप से वित्तपोषण करने का सुझाव देती है।
- रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान में मौजूद कर कानून कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व (Corporate Social Responsiblity-CSR) निवेश को R&D में शामिल करने के पक्षधर हैं, इस संदर्भ में R&D की गतिविधियों के प्रकार को और अधिक विस्तारित किया जाना चाहिये।
- रिपोर्ट नवीन ज्ञान में वृद्धि हेतु सुदृढ़ आधार की स्थापना के लिये तेज़ी से निवेश के साथ-साथ अविष्कार व ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था दोनों पर R&D के प्रभाव का आंकलन करने का सुझाव देती है।
- यह रिपोर्ट 30 समर्पित R&D एक्सपोर्ट्स हब बनाने के साथ-साथ क्रॉस कटिंग (Cross Cutting) थीम के साथ राष्ट्रीय हित की मेगा परियोजनाओं को वित्तपोषित करने के लिये 5,000 करोड़ रुपए के एक कोष के निर्माण का भी समर्थन करती है।
- नवोन्मेष (Innovation) और औद्योगिक R&D के क्षेत्र में भारत का नेतृत्व सुनिश्चित करने के लिये R&D में निजी निवेश को बढ़ावा देना होगा, जो वर्तमान में GDP का मात्र 0.35% है। रिपोर्ट भारत में पंजीकृत माध्यम व बड़े उद्योगों को उनके कुल टर्नओवर के एक निश्चित भाग को R&D में निवेश करने का सुझाव देती है।
उद्देश्य
- इस रिपोर्ट का पहला उद्देश्य R&D आँकड़ों के संकलन में मौजूद खामियों को दूर करना है ताकि R&D के बारे में विश्वभर में भारत के वास्तविक दर्जे को दर्शाने हेतु अद्यतन आँकड़ों को उपलब्ध कराया जा सके।
- इसका दूसरा उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों में खर्च के रुझानों और उनकी खामियों की जाँच करना है।
- इसका तीसरा उद्देश्य वर्ष 2022 तक R&D पर होने वाले खर्च के वांछित लक्ष्य को प्राप्त करने की योजना तैयार करना है।
प्रधानमंत्री आर्थिक सलाहकार परिषद
(Economic Advisory Council to the Prime Minister-EAC-PM)
- प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद एक स्वतंत्र निकाय है जिसका गठन भारत सरकार को और विशेष रूप से प्रधानमंत्री को आर्थिक एवं संबंधित अन्य मुद्दों पर सलाह देना है। इस परिषद में उच्च ख्याति प्राप्त और श्रेष्ठ अर्थशास्त्री शामिल होते है।
- इसमें एक अध्यक्ष तथा चार सदस्य होते हैं।
- इसके सदस्यों का कार्यकाल प्रधानमंत्री के कार्यकाल के बराबर होता है।
- आमतौर पर प्रधानमंत्री द्वारा शपथ ग्रहण के बाद सलाहकार समिति के सदस्यों की नियुक्ति की जाती है।
- प्रधानमंत्री द्वारा पद मुक्त होने के साथ ही सलाहकार समिति के सदस्य भी त्यागपत्र दे देते हैं।
निष्कर्ष
भारत को R&D पर राष्ट्रीय व्यय में वृद्धि करते हुए विज्ञान और अनुसंधान प्रणाली में अपनी रैंकिंग में सुधार करने के अपने प्रयासों को फिर से दोगुना करने की आवश्यकता है। R&D से संबंधित खर्च में वृद्धि GDP की वृद्धि के अनुरूप होनी चाहिये और वर्ष 2022 तक उसे GDP के कम-से-कम दो प्रतिशत तक पहुंच जाना चाहिये।