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शासन व्यवस्था

यूनिफॉर्म बोर्ड परीक्षाओं हेतु नियामक

  • 31 Aug 2022
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

‘परख’ (Performance Assessment, Review, and Analysis of Knowledge for Holistic Development- PARAKH), NCERT, राष्ट्रीय मूल्यांकन केंद्र (NAS), राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020।

मेन्स के लिये:

एकल नियामक परख का महत्त्व।

चर्चा में क्यों?

केंद्र सरकार माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्तर पर छात्रों के आकलन हेतु एक बेंचमार्क ढाँचा तैयार करने हेतु एक राष्ट्रीय नियामक प्रदर्शन मूल्यांकन, समीक्षा और समग्र विकास के लिये ज्ञान का विश्लेषण(PAREKH) स्थापित करने की योजना बना रही है।

परख:

  • परिचय:
    • यह एक प्रस्तावित नियामक है जो NCERT की एक घटक इकाई के रूप में कार्य करेगा और इसे राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण (NAS) और राज्य उपलब्धि सर्वेक्षण जैसे आवधिक शिक्षण परिणाम परीक्षण आयोजित करने का भी कार्य सौंपा जाएगा।
    • इसमें भारत और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा प्रणाली की गहरी समझ रखने वाले प्रमुख मूल्यांकन विशेषज्ञ शामिल होंगे।
    • यह अंततः राष्ट्रीय स्तर पर और जहाँ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लागू हो, सभी रूपों में सीखने के मूल्यांकन का समर्थन करने के लिये सभी मूल्यांकन-संबंधित सूचनाओं और विशेषज्ञता के लिये राष्ट्रीय एकल-खिड़की स्रोत बन बनेगा।
  • उद्देश्य:
    • समान मानदंड और दिशानिर्देश:
      • भारत के सभी मान्यता प्राप्त स्कूल बोर्डों के लिये छात्र मूल्यांकन और निर्धारण हेतु मानदंड, मानक और दिशानिर्देश निर्धारित करना,
    • मूल्यांकन पैटर्न बढ़ाना:
      • यह 21वीं सदी की कौशल आवश्यकताओं को पूरा करने की दिशा में अपने मूल्यांकन पैटर्न को बदलने के लिये स्कूल बोर्डों को प्रोत्साहित करेगा,
    • मूल्यांकन में असमानता कम करना:
      • यह राज्य और केंद्रीय बोर्डों में एकरूपता लाएगा जो वर्तमान में मूल्यांकन के विभिन्न मानकों का पालन करते हैं, जिससे अंकों में व्यापक असमानताएंँ पैदा होती हैं।
    • बेंचमार्क आकलन:
      • बेंचमार्क मूल्यांकन ढांँचा राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 में निहित मुद्दों को संबोधित करेगा।
  • सुझाव:
    • दो बार आयोजित करें बोर्ड परीक्षाएँ:
      • विभिन्न राज्यों ने वर्ष में दो बार बोर्ड परीक्षा आयोजित करने के NEP के प्रस्ताव का समर्थन किया है, जिसमें छात्रों को उनके स्कोर में सुधार करने में मदद करने के लिये भी शामिल है।
    • गणित के लिये दो प्रकार की परीक्षाएँ:
      • गणित पर दो प्रकार के प्रश्न पत्र- एक मानक परीक्षा, और दूसरा उच्च स्तरीय योग्यता का परीक्षण करने के प्रस्ताव के संबंध में राज्य बोर्ड भी सहमत हैं।
  • महत्त्व:
    • डर में कमी:
      • यह छात्रों के बीच गणित के डर को कम करने और सीखने को प्रोत्साहित करने में मदद करेगा।
    • कॉलेज प्रवेश में असमानता को दूर करना:
      • यह CBSE स्कूलों में अपने साथियों की तुलना में कॉलेज प्रवेश के दौरान कुछ राज्य बोर्डों के छात्रों के नुकसान की समस्या से निपटने में मदद करेगा।
    • अभिनव मूल्यांकन:
      • यह स्कूली शिक्षा के सभी स्तरों पर परीक्षण की विधि, संचालन, विश्लेषण और रिपोर्टिंग के लिये तकनीकी मानकों को विकसित और कार्यान्वित करेगा।

आगे की राह

  • परख समान अवसर पैदा करता है और विभिन्न राज्य बोर्डों के बीच असमानता को कम करता है तथा आगे शिक्षा के लिये समावेशी, भागीदारी एवं समग्र दृष्टिकोण की सुविधा प्रदान करना है, जो क्षेत्र के अनुभवों, अनुभवजन्य अनुसंधान, हितधारक प्रतिक्रिया के साथ-साथ सर्वोत्तम प्रथाओं से सीखे गए सबक को ध्यान में रखता है।
  • यह शिक्षा के प्रति अधिक वैज्ञानिक दृष्टिकोण की ओर प्रगतिशील बदलाव है।
    • निर्धारित संरचना बच्चे की क्षमता, संज्ञानात्मक विकास के चरणों के साथ-साथ सामाजिक और शारीरिक जागरूकता को पूरा करने में मदद करेगी।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न:

प्रीलिम्स

प्रश्न: निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)

  1. शिक्षा का अधिकार (RTE) अधिनियम के अनुसार, राज्य में शिक्षक के रूप में नियुक्ति के लिये पात्र होने के लिये व्यक्ति को संबंधित राज्य शिक्षक शिक्षा परिषद द्वारा निर्धारित न्यूनतम योग्यता रखने की आवश्यकता होगी।
  2. RTE अधिनियम के अनुसार, प्राथमिक कक्षाओं को पढ़ाने के लिये, एक उम्मीदवार को राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद के दिशानिर्देशों के अनुसार आयोजित शिक्षक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण करना आवश्यक है।
  3. भारत में 90% से अधिक शिक्षक शिक्षा संस्थान सीधे राज्य सरकारों के अधीन हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) 1 और 2
(b) केवल 2
(c) 1 और 3
(d) केवल 3

उत्तर: (b)

व्याख्या:

  • बच्चों के मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार (RTE) अधिनियम, 2009 के तहत केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित शैक्षणिक प्राधिकरण ने कक्षा I के लिये शिक्षक के रूप में नियुक्ति हेतु में पात्र होने के लिये कक्षा। -VIII तक न्यूनतम शैक्षिक और व्यावसायिक योग्यता निर्धारित की है, जो राज्य सरकारों के अंतर्गत आने वाले स्कूलों सहित प्रारंभिक शिक्षा प्रदान करने वाले सभी स्कूलों पर लागू होते हैं। शिक्षक के रूप में नियुक्ति योग्य होने के लिये उन्हें शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) उत्तीर्ण करनी होगी। अतः कथन 1 सही नहीं है।
  • TET, राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देशों के अनुसार उपयुक्त राज्य सरकार द्वारा आयोजित की जाती है। अत: कथन 2 सही है।
  • वर्ष 2012 में गठित वर्मा आयोग ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि 90% शिक्षक निकाय निजी थे। अत: कथन 3 सही नहीं है।

मेन्स:

प्र. शिक्षा कोई निषेधाज्ञा नहीं है, यह एक व्यक्ति और सामाजिक परिवर्तन के सर्वांगीण विकास के लिये एक प्रभावी और व्यापक उपकरण है। उपरोक्त कथन के आलोक में नई शिक्षा नीति, 2020 का परीक्षण करें। (2020)

स्रोत:इंडियन एक्सप्रेस

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