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सोशल मीडिया पर प्रचार का विनियमन

  • 21 Jan 2023
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये:

सोशल मीडिया, समर्थन दिशा-निर्देश, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, साइबर सुरक्षा, हेट स्पीच, नकली विज्ञापन, डेटा गोपनीयता।

मेन्स के लिये:

भारत में सोशल मीडिया का विस्तार, सोशल मीडिया से जुड़ी चुनौतियाँ।

चर्चा में क्यों?  

केंद्र सरकार ने सार्वजनिक हस्तियों और सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर के लिये पुष्टि संबंधी नियम (Endorsement Rules) जारी किये हैं जिसके तहत उन्हें किसी भी ब्रांड या उत्पाद (जिसका वे सोशल मीडिया पर प्रचार करते हैं) से प्राप्त होने वाले वित्तीय या भौतिक लाभ का खुलासा करना आवश्यक है।

सोशल मीडिया पर प्रवर्तन हेतु नई गाइडलाइन:  

  • प्रकटीकरण मानदंड:  
    • प्रकटीकरण के समर्थन को प्रमुखता से और स्पष्ट रूप से प्रदर्शित किया जाना चाहिये तथा 'विज्ञापन', 'प्रायोजित' या 'सशुल्क प्रचार' जैसे शब्दों का उपयोग सभी प्रकार के विज्ञापनों हेतु किया जाना चाहिये। 
    • इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि व्यक्ति उत्पादों या सेवाओं का समर्थन करते समय अनुचित व्यापार प्रथाओं के माध्यम से अपने दर्शकों को गुमराह न करें और वे उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 एवं संबंधित नियमों या दिशा-निर्देशों का  अनुपालन करें।
    • स्पष्टीकरण को हैशटैग या लिंक के समूह के साथ मिश्रित नहीं किया जाना चाहिये। साथ ही लाइव स्ट्रीम के मामले में सोशल मीडिया पर पूरी स्ट्रीम के दौरान वस्तु या सेवा के संबंध में स्पष्टीकरण लगातार और प्रमुखता से प्रदर्शित किया जाना चाहिये।
  • दंड:
    • यदि कोई उल्लंघन होता है, तो उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत भ्रामक विज्ञापनों के लिये निर्धारित ज़ुर्माना लागू होगा।
    • इस तरह के मामले में केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (Central Consumer Protection Authority- CCPA) निर्माताओं, विज्ञापनदाताओं और एंडोर्सर्स पर 10 लाख रुपए तक का ज़ुर्माना लगा सकता है एवं बार-बार अपराध करने पर 50 लाख रुपए तक का ज़ुर्माना लगाया जा सकता है।
    • CCPA किसी भ्रामक विज्ञापन के एंडोर्सर को एक वर्ष तक के लिये कोई भी एंडोर्समेंट करने से रोक सकता है और बाद के उल्लंघन हेतु निषेध को तीन साल तक बढ़ा सकता है।

भारत में सोशल मीडिया की उपयोगिता का दायरा: 

  • भारत में सोशल मीडिया का विस्तार:  
    • ग्लोबल स्टैटिस्टिक्स के अनुसार, भारत में लोगों के बीच इंटरनेट कनेक्टिविटी की मज़बूत पहुँच के कारण वर्ष 2022 में सोशल मीडिया उपयोगकर्त्ताओं की संख्या 467 मिलियन की स्थिर दर से बढ़ रही है।  
      • इसके अलावा कुल मिलाकर भारत में इंटरनेट उपयोगकर्त्ताओं की संख्या बढ़कर 658 मिलियन हो गई है, जो भारत की कुल जनसंख्या का लगभग 47% है
  • सोशल मीडिया के लाभ:  
    • सूचना का लोकतंत्रीकरण: सोशल मीडिया द्वारा ज्ञान और व्यापक संचार के लोकतंत्रीकरण की अनुमति दी जा रही है। दुनिया भर के अरबों नेटिज़ेंस अब सूचना के पारंपरिक क्यूरेटर को बायपास करने के लिये सशक्त महसूस करते हैं। 
      • वे केवल इसके उपभोक्ता ही नहीं, विषय-वस्तु के निर्माता और प्रसारक भी बन गए हैं।
    • सरकार से सीधा संवाद: आज सोशल मीडिया ने आम लोगों को सरकार से सीधे संवाद करने और सीधे सरकारी सेवाओं का लाभ उठाने में सक्षम बनाया है।
      • आम लोगों द्वारा रेलवे और अन्य मंत्रालयों तथा उनके प्रति जवाबदेह एजेंसियों को टैग करना इन दिनों आम बात ही गई है। 
    • रचनात्मकता और आत्म-अभिव्यक्ति को बढ़ावा देना: सोशल मीडिया उपयोगकर्त्ताओं को अपने विचारों तथा रचनात्मकता को विश्व के साथ साझा करने के लिये एक मंच प्रदान करता है।
    • ग्राहक जुड़ाव में वृद्धि: सोशल मीडिया विभिन्न व्यवसायों को अपने ग्राहकों के साथ इस तरह से जोड़ता है जो पहले संभव नहीं था और इस प्रकार यह अधिक प्रभावी ग्राहक सेवा की सुविधा प्रदान करता है
      • सोशल मीडिया विभिन्न व्यवसायों के लिये उनके उत्पादों और सेवाओं का विपणन और विज्ञापन करने का एक लागत प्रभावी माध्यम है।
  • सोशल मीडिया से संबंधित चुनौतियाँ:  
    • भ्रामक विज्ञापन: सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग अक्सर उत्पादों और सेवाओं के विज्ञापन के लिये किया जाता है, लेकिन कुछ व्यवसाय भ्रामक अथवा झूठे विज्ञापन का इस्तेमाल करते हैं जो कि सर्वथा अनुचित है।
      • सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग प्रभावशाली व्यक्तियों द्वारा उत्पाद समीक्षा पोस्ट करने के लिये भी किया जाता है, लेकिन कुछ समीक्षाएँ नकली अथवा पक्षपाती हो सकती हैं, जो उपभोक्ताओं को गुमराह कर सकती हैं, साथ ही निष्पक्ष-व्यापार प्रथा का उल्लंघन भी हो सकती हैं।
    • साइबर बुलिंग और उत्पीड़न: सोशल मीडिया साइबर बुलिंग एवं उत्पीड़न का एक प्रमुख साधन बन गया है, जिससे मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे और यहाँ तक कि कुछ मामलों में आत्महत्या तक देखी जाती है।
    • गोपनीयता संबंधी चिंताएँ: सोशल मीडिया प्लेटफाॅर्म बड़ी मात्रा में व्यक्तिगत डेटा एकत्रित और संग्रहीत करते हैं, यह गोपनीयता एवं डेटा सुरक्षा संबंधी चिंता का विषय  है।
    • विनियमन और ध्रुवीकरण का अभाव: सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर नियंत्रण की कमी के परिणामस्वरूप हानिकारक सामग्री, फेक न्यूज़ और हेट स्पीच के मामले देखे जा सकते हैं।
      • इसके अलावा सोशल मीडिया एक प्रतिध्वनि कक्ष प्रभाव  (Echo Chamber Effect) बना सकता है जहाँ लोगों को समान दृष्टिकोण और विचारों से अवगत कराया जाता है, जिससे समाज में ध्रुवीकरण होता है। 

आगे की राह 

  • सामाजिक जागरूकता: एक डिजिटल साक्षर देश समय की आवश्यकता है। ज़िम्मेदार सोशल मीडिया के उपयोग के बारे में देश के प्रत्येक स्कूल और कॉलेज में पढ़ाया जाना चाहिये, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में जहाँ लोगों को आसानी से बहकाया/फुसलाया जा सकता है। 
  • सख्त कंटेंट मॉडरेशन: हानिकारक कंटेंट को पहचानने और हटाने के लिये सोशल मीडिया कंपनियों को सख्त कंटेंट मॉडरेशन नीतियों एवं अधिक मज़बूत प्रणालियों को लागू करने की आवश्यकता होगी।
    • इससे उनके प्लेटफॉर्म पर गलत सूचना, अभद्र भाषा और अन्य हानिकारक सामग्री के प्रसार को कम करने में मदद मिलेगी।
  • एक समर्पित सोशल मीडिया नीति: उपभोक्ताओं या भविष्य के उपभोक्ताओं के रूप में युवाओं को लक्षित नहीं करने के लिये सोशल मीडिया प्लेटफाॅर्मों की जवाबदेही तय कर सोशल मीडिया को विनियमित करने के लिये एक समग्र नीति आवश्यक है।
    • यह एल्गोरिदम को युवाओं के बजाय वयस्कों के प्रति अधिक अभ्यस्त बना देगा। 

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. ‘सामाजिक संजाल साईटें’ (Social Networking Sites) क्या होती हैं और इन साईटों से क्या सुरक्षा उलझनें प्रस्तुत होती हैं? (मुख्य परीक्षा- 2013) 

स्रोत: द हिंदू

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