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शासन व्यवस्था

डिजिटल समाचार मध्यस्थों का विनियमन

  • 11 May 2022
  • 5 min read

प्रिलिम्स के लिये:

अनुच्छेद 19

मेन्स के लिये:

डिजिटल समाचार मध्यस्थों को विनियमित करने की आवश्यकता

चर्चा में क्यों?

हाल ही में कनाडा ने एक विधेयक पेश किया है जिसमे इंटरनेट प्लेटफॉर्म जैसे- Google और Facebook, समाचार प्रकाशकों को उनकी सामग्री के उपयोग हेतु भुगतान करने का प्रावधान किया गया है।

अंतर्निहित विचार:

  • "कनाडाई डिजिटल समाचार बाज़ार में निष्पक्षता बढ़ाने और इसकी स्थिरता में योगदान हेतु यह बिल डिजिटल समाचार मध्यस्थों को विनियमित करने का प्रयास करता है। 
  • इस कानून से चार नतीजे आने की अपेक्षा है।
    • एक ढांँचा या फ्रेमवर्क जो डिजिटल प्लेटफॉर्म और समाचार आउटलेट के बीच उचित व्यापारिक संबंधों का समर्थन करता है।
    • समाचार पारिस्थितिकी तंत्र में स्थिरता।
    • प्रेस की स्वतंत्रता को बनाए रखना।
    • समाचार परिदृश्य में विविधता।

प्रकाशक-प्लेटफॉर्म संबंधों की प्रकृति:

  • उपकरणों और रणनीतियों का उपयोग: 
    • हाल ही में उनका संबंध काफी हद तक इस बात से रहा है कि प्रकाशक इन प्लेटफार्मों द्वारा प्रदान की गई पहुँच का बेहतर उपयोग करने के लिये टूल और रणनीतियों का उपयोग कैसे कर सकते हैं।
    • गूगल और फेसबुक बहुत सारे पारंपरिक समाचार प्रकाशकों के लिये बहुत अधिक ट्रैफ़िक प्रदान करते हैं।
  • धन निर्माण: 
    • प्रकाशकों के संघर्ष के दौरान पूरी दुनिया के प्लेटफॉर्म इस व्यवस्था से बहुत अधिक पैसा कमाने में सक्षम हैं।
    • प्रकाशकों को प्लेटफॉर्म एल्गोरिथम में बार-बार होने वाले बदलावों से भी जूझना पड़ता है, जो उनके द्वारा अचानक बड़ी मात्रा में पाठकों को खोने के वास्तविक खतरा उत्पन्न करता है। 

भारत के लिये ऐसे कानून का महत्त्व: 

  • परिचय: 
    • इस मुद्दे पर कनाडा के आदेश से भारत के समाचार प्रकाशकों को देश में उचित राजस्व-साझाकरण प्रणाली मिलने की संभावना बढ़ सकती है।
    • दिसंबर 2021 में भारत द्वारा कहा गया कि उसकी फेसबुक और गूगल जैसे तकनीकी दिग्गजों को समाचार सामग्री हेतु स्थानीय प्रकाशकों को भुगतान करने की कोई योजना नहीं है।  
    • हालाँकि डिजिटल न्यूज़ पब्लिशर्स एसोसिएशन (DNPA) की एक शिकायत के बाद भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग ने वर्ष 2022 में पहले गूगल की जाँच का आदेश दिया था।
      • आदेश की प्रक्रिया में ऑस्ट्रेलिया और फ्रांँस में विधानों पर ध्यान दिया गया। 
  • विनियमित करने की आवश्यकता: 
    • भारत जो कभी इस सब से अलग विश्व का सबसे बड़ा देश था शीघ्र ही विश्व के सबसे बड़े इंटरनेट-सक्षम राष्ट्रों में से एक होगा, जिसमें 800 मिलियन से अधिक लोगों द्वारा इसका उपयोग किया जाएगा। 
    • प्रौद्योगिकी हमारी अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा है जो हमारे कुल उत्पादन का लगभग पांँचवांँ हिस्सा है।  
    • अनियंत्रित सोशल और डिजिटल मीडिया एक भरोसेमंद एवं ज़िम्मेदार राष्ट्र के रूप में भारत के उदय के साथ-साथ विश्व के सबसे बड़े भारतीय लोकतंत्र के लिये भी खतरा पैदा कर सकता है। 
    • इन चुनौतियों का समाधान सोशल मीडिया को कुशलतापूर्वक विनियमित करके और हमारे कानूनों व संस्थानों का आधुनिकीकरण करके किया जा सकता है।

अन्य देशों में स्थिति:

  • दुनिया भर में समाचार सामग्री का उपयोग करने के लिये Google और Facebook को कानूनी लड़ाई का सामना करना पड़ रहा है।  
    • वे नियामकों और प्रकाशकों के अविश्वास के मुकदमों का भी सामना करते हैं।
  • ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन,यूरोपियन यूनियन और फ्राँस में समाचार प्रकाशकों ने एक निष्पक्ष राजस्व-साझाकरण मॉडल को लागू करने के लिये कानून बनाने की योजना बनाई है, जबकि तकनीकी दिग्गज भारी राजस्व एकत्र  करने के लिये अपनी कथित एकाधिकार प्रणाली को स्थापित करने के लिये संघर्ष कर रहे हैं।

स्रोत: द हिंदू

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