एनसीआर के लिये क्षेत्रीय तीव्र पारगमन प्रणाली | 20 Nov 2020
प्रिलिम्स के लिये:क्षेत्रीय तीव्र पारगमन प्रणाली, उपनगर, दिल्ली-एनसीआर, कम्यूटर्स मेन्स के लिये:क्षेत्रीय तीव्र पारगमन प्रणाली |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ के लिये ‘क्षेत्रीय तीव्र पारगमन प्रणाली’ (Regional Rapid Transit System Project- RRTS) हेतु 500 मिलियन के ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किये गए।
प्रमुख बिंदु:
- यह ऋण समझौता ‘आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय’ (Ministry of Housing and Urban Affairs) , ‘राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम’ (National Capital Region Transport Corporation- NCRTC) लिमिटेड और ‘न्यू डेवलपमेंट बैंक’ (New Development Bank- NDB) के बीच किया गया है।
- RRTS परियोजना का उद्देश्य राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र-दिल्ली (National Capital Region-Delhi) को तीव्र, विश्वसनीय, सुरक्षित और आरामदेह ‘सार्वजनिक परिवहन प्रणाली’ प्रदान करना है।
क्षेत्रीय तीव्र पारगमन प्रणाली (RRTS):
- RRTS एक रेल आधारित तीव्र परिवहन प्रणाली होगी जो दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में स्थित अपेक्षाकृत छोटे लेकिन तेज़ी से विकसित हो रहे नगरों को जोड़ेगी।
- राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) एक बहु-राज्य क्षेत्र है जिसके केंद्रीय भाग में राष्ट्रीय राजधानी है। दिल्ली-एनसीआर लगभग 35,000 वर्ग किमी. क्षेत्र में विस्तृत है, जिसमें राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और पड़ोसी राज्य हरियाणा, उत्तर प्रदेश तथा राजस्थान के कुछ हिस्से शामिल हैं।
- परियोजना के तहत एनसीआर क्षेत्र में स्थित उपनगरों (Suburb) तथा औद्योगिक नगरों जैसे 'विशेष आर्थिक क्षेत्रों’ (Special Economic Zones- SEZs) आदि को जोड़ा जाएगा।
- उपनगर नगर के केंद्रीय भाग से बाहर स्थित निवास क्षेत्र होता है।
- RRTS मेट्रो से अलग है क्योंकि इसमें मेट्रो की तुलना में कम स्टॉप और अधिक गति होती है तथा अपेक्षाकृत लंबी दूरी की यात्रा करने वाले यात्रियों की आवश्यकताओं को पूरा किया जाता है।
- RRTS परंपरागत रेलवे से भी अलग है क्योंकि यह उसकी तुलना में अधिक विश्वसनीय है तथा उच्च गति के साथ अधिक चक्र पूरे करती है।
- परियोजना की कुल अनुमानित लागत 3,749 मिलियन डॉलर है, जिसे ‘न्यू डेवलपमेंट बैंक’ (500 मिलियन), ‘एशियाई अवसंरचना निवेश बैंक’ (500 मिलियन), ‘एशियाई विकास बैंक’ (1,049 मिलियन), जापान ( 3 मिलियन), सरकार और अन्य स्रोतों (1,707 मिलियन) द्वारा वित्तपोषित किया जाएगा।
उद्देश्य:
- RRTS का उद्देश्य सड़क परिवहन पर कम्यूटर्स (Commuters) की निर्भरता को कम करने के लिये सड़क-सह रेल (Road-cum Rail) परिवहन प्रणाली का विकास करना है।
- कम्यूटर्स ऐसे व्यक्ति होते हैं जो नियमित रूप से कार्य करने के लिये मुख्य नगर के आसपास के क्षेत्रों से मुख्य नगर आने-जाने लिये कुछ किलोमीटर की दूरी तय करते हैं।
चिह्नित 8 RRTS गलियारे:
- राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र योजना बोर्ड (NCRPB) द्वारा वर्ष 2032 तक एनसीआर की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर किये एक अध्ययन में 8 RRTS गलियारों की पहचान की गई है।
- दिल्ली - गुड़गांव - रेवाड़ी - अलवर;
- दिल्ली - गाजियाबाद - मेरठ;
- दिल्ली - सोनीपत - पानीपत;
- दिल्ली - फरीदाबाद - बल्लभगढ़ - पलवल;
- दिल्ली - बहादुरगढ़ - रोहतक;
- दिल्ली - शाहदरा - बड़ौत;
- गाज़ियाबाद - खुर्जा;
- गाजियाबाद - हापुड़;
RRTS परियोजना का महत्त्व:
सतत् विकास (Sustainable Development):
- राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सहित एनसीआर क्षेत्र में RRTS का क्रियान्वयन ‘शहरी विकास लिये सतत् विकास लक्ष्य (SDG- 11) को प्राप्त करने में सहयोग करेगा।
- यह ऐसी प्रक्रियाओं को सक्रिय करेगा जो भविष्य की पीढ़ियों के लिये पर्यावरण संरक्षण के साथ ही स्थायी आर्थिक और सामाजिक विकास को बढ़ावा देती हो।
कम प्रदूषक उत्सर्जन और भीड़-भाड़ में कमी:
- RRTS प्रणाली पर्यावरण के अनुकूल है जिसमें प्रदूषकों का बहुत कम उत्सर्जन होता है।
- उच्च गति (औसत 100 किमी. प्रति घंटा) होने के कारण सड़क परिवहन की तुलना में यह कई गुना अधिक यात्रियों को ले जाने सक्षम है। जिससे सड़कों पर लगने वाले जाम में कमी आएगी।
- कुल मिलाकर यह एनसीआर में परिवहन से होने वाले उत्सर्जन को काफी कम कर देगा।
संतुलित आर्थिक विकास:
- निर्बाध उच्च गति कनेक्टिविटी के परिणामस्वरूप क्षेत्र के संतुलित आर्थिक विकास के चलते समाज के सभी वर्गों को लाभ होगा तथा दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में विकास के कई नोड्स विकसित हो सकेंगे।
चुनौतियाँ:
- परियोजना के प्रथम चरण के तहत दिल्ली - गाजियाबाद - मेरठ कॉरिडोर सहित 2 अन्य गलियारों का चयन किया गया। परियोजना अभी प्रारंभिक चरण में है, अत: परियोजना को दिल्ली-एनसीआर की मांग के अनुसार समय पर पूरा करना एक प्रमुख चुनौती है।
- परियोजना की आर्थिक लागत बहुत अधिक है, जिसका अधिकांश हिस्सा अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं के सहयोग पर निर्भर है। इस वजह से भविष्य में परियोजना में वित्त-व्यवस्था संबंधी बाधाएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
निष्कर्ष:
लगभग 1 मिलियन वाहन (वर्ष 2007 के आँकड़ों के आधार पर) प्रतिदिन दिल्ली-एनसीआर क्षेत्रों से राष्ट्रीय राजधानी की सीमा में प्रवेश करते हैं उनमें से एक-चौथाई का आवागमन क्षणिक प्रकृति का होता है। यह क्षेत्र के लिये एक वैकल्पिक परिवहन व्यवस्था जैसे RRTS की आवश्यकता को बताता है।