क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी: भारत के हित में व्यापार संधि का आकलन करेगी कमेटी | 07 Aug 2018
संदर्भ
16 देशों कि क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (RCEP) में शामिल होने के बारे में भारत एक बार फिर से विचार कर रहा है। उल्लेखनीय है कि RCEP में चीन भी शामिल है जिसके साथ भारत का व्यापार घाटा सबसे अधिक है।
प्रमुख बिंदु
- क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी का विरोध सिर्फ उद्योग ही नहीं बल्कि कुछ मंत्रालयों द्वारा भी किया जा रहा है।
- बढ़ते घरेलू प्रतिरोध के बीच भारत ने वाणिज्य और उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु की अध्यक्षता में मंत्रियों का एक पैनल गठित किया है जो यह सुनिश्चित करेगा कि यह व्यापार समझौता देश के सर्वोत्तम हित में है अथवा नहीं।
- पैनल में वाणिज्य और उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु के अलावा वित्त मंत्री पीयूष गोयल, रक्षा मंत्री (पूर्व वाणिज्य मंत्री) निर्मला सीतारमण तथा आवास और शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी शामिल हैं। उल्लेखनीय है कि हरदीप सिंह पुरी को IFS अधिकारी के रूप में व्यापार कूटनीति में पूर्व के अनुभव के लिये चुना गया है।
- संभवतः सरकार ने यह कदम इस साल के अंत तक वार्ता में पर्याप्त प्रगति प्रदर्शित करने के लिये अन्य संभावित RCEP सदस्यों के दबाव में उठाया है।
RCEP समझौते का विरोध
- इस्पात से लेकर फार्मास्यूटिकल्स तक के घरेलू उद्योग सभी आसियान, जापान और दक्षिण कोरिया के साथ विभिन्न मौजूदा व्यापार समझौतों की आलोचना कर रहे हैं कि इन समझौतों के बाद इन देशों के साथ भारत का व्यापार घाटा केवल बढ़ गया है।
- इसके अलावा, 2017-18 में भारत का चीन के साथ व्यापार घाटा 63 बिलियन डॉलर का था।
- चीन जो इस समझौते में शामिल है, के कारण सस्ते उत्पाद बाज़ार में बहुत अधिक मात्र में आएंगे। उदाहरण के लिये, इस्पात मंत्रालय का तर्क है कि किसी भी FTA (Free Trade Agreement) के बिना भी भारत का चीन के साथ व्यापार घाटा (इस्पात में) 2 मिलियन टन का है और इस बात पर विचार करना आवश्यक है कि RCEP पर हस्ताक्षर करने के बाद यह व्यापार घाटा और अधिक बढ़ जाएगा।
- फार्मा उद्योग को भी डर है कि सस्ते चीनी उत्पादों का भारत में अप्रतिबंधित रूप से प्रवेश होगा।
- इसके अलावा, वित्त मंत्रालय द्वारा 2016 के अनुमान के मुताबिक, अगर भारत व्यापारिक आयात पर टैरिफ को पूरी तरह से घटा देता है तो इसे सालाना 75,733 करोड़ रुपए के कर राजस्व का नुकसान हो सकता है।
RCEP के बारे में :
- RCEP या क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी, दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ (आसियान) के दस सदस्यीय देशों तथा छ: अन्य देशों (ऑस्ट्रेलिया, चीन, भारत जापान, दक्षिण कोरिया और न्यूज़ीलैंड), जिनके साथ आसियान का मुक्त व्यापार समझौता है, के बीच प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौता है।
- इसका उद्देश्य व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने के लिये इसके सदस्य देशों के बीच व्यापार नियमों को उदार एवं सरल बनाना है।
- RCEP समूह में 16 सदस्य हैं।
- इसकी औपचारिक शुरुआत नवंबर 2012 में कंबोडिया में आसियान शिखर सम्मेलन में की गई थी।
- RCEP को ट्रांस-पैसिफिक भागीदारी के एक विकल्प के रूप में देखा जाता है।