क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी | 25 Jul 2017
संदर्भ
क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (Regional Comprehensive Economic Partnership - RCEP) एक मेगा मुक्त व्यापार समझौता है। भारत RCEP पर वार्ता को आगे ले जाने के लिये पूरी तरह प्रतिबद्ध है, लेकिन भारत यह सुनिश्चित करना चाहता है कि यह समझौता, इसमें शामिल एशिया-प्रशांत क्षेत्र के सभी 16 देशों के बीच संतुलित हो, जिससे कि इस मेगा व्यापार समझौते का लाभ सभी को प्राप्त हो सके। भारत के कुछ समूह इस समझौते का विरोध भी कर रहे हैं।
क्या है RCEP ?
- यह एक मेगा मुक्त व्यापार समझौता (FTA) है। इसमें एशिया-प्रशांत क्षेत्र के 16 देश शामिल हैं। इसका उद्देश्य व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने के लिये इसके सदस्य देशों के बीच व्यापार नियमों को उदार एवं सरल बनाना है।
- इस बारे में हैदराबाद इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में बंद कमरों में वार्ता ज़ारी है। यह तकनीकी स्तर पर आरसीईपी व्यापार वार्ता समिति की बैठक का 19वाँ दौर है। इसके अलावा, अब तक चार मंत्रिस्तरीय बैठकें और तीन अंतर–सत्रीय मंत्रिस्तरीय बैठकें हो चुकी हैं।
- भारत क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (RCEP) पर वार्ता को आगे ले जाने के लिये पूरी तरह प्रतिबद्ध है, परन्तु, इसके लाभ को समान रूप से साझा करने के लिये यह आवश्यक है कि यह समझौता सभी 16 देशों के बीच संतुलित हो।
विरोध क्यों
- हैदराबाद में ज़ारी इस वार्ता का देश भर के कई समूहों द्वारा विरोध किया जा रहा है। उनका कहना है कि इस मेगा एफटीए से न केवल किसानों को नुकसान उठाना पड़ेगा, बल्कि किफायती औषधियों तक पहुँच भी कठिन हो जाएगी।
- यह समझौता भारत के डिजिटल उद्योग के संरक्षण को भी प्रभावित करेगा। इन देशों से भारत में सस्ते सामानों के आयात से घरेलू उद्योगों पर असर पड़ेगा।
- हालाँकि वार्ता में शामिल भारतीय टीम भारत के हितों की रक्षा कर सकते हैं और यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि यह एफटीए भारत के लिये अनुचित नहीं है।
- इंडिया इंक एफटीए के एक हिस्से के रूप में, ज़्यादातर व्यापारिक सामानों पर शुल्कों को तुरंत समाप्त करने संबंधित किसी भी बाध्यकारी प्रतिबद्धता को भारत द्वारा स्वीकार करने के पक्ष में नहीं है।
- हालाँकि किसी को भी भारत के विभिन्न क्षेत्रों में मज़बूती को कम करके नहीं आँकना चाहिये। एफटीए वार्ताएँ हमेशा लेन–देन (give and take) के आधार पर तय होती हैं और यह संधि भी भारत के लिये लाभदायक होगी।
भारत के लिये सेवा क्षेत्र महत्त्वपूर्ण
- भारत सेवाओं के उदारीकरण पर बल दे रहा है, जिसमें अल्पकालिक कार्य के लिये पेशेवरों के आने–जाने के नियमों को आसान बनाना शामिल है। हालाँकि, सेवाओं के वार्ता में धीमी प्रगति से भारत चिंतित है।