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कृषि

रेफ्रिजरेशन सिस्टम पूसा- FSF

  • 22 Mar 2021
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (Indian Agricultural Research Institute- IARI) के वैज्ञानिकों ने गेहूंँ के गीले आटे (गूँथे हुए आटे से) से ग्लूटेन (Gluten) को अलग करने तथा बाजरे और मक्का के आटे में इसके पुनर्योजन हेतु एक ऑन-फार्म ग्रीन एनर्जी रेफ्रिजरेशन सिस्टम ('पूसा फार्म सन फ्रिज'- Pusa-FSF) और तकनीक विकसित की है

प्रमुख बिंदु:

'पूसा फार्म सन फ्रिज':

  • 'पूसा फार्म सन फ्रिज (Pusa Farm Sun Fridge) एक 100% सौर-संचालित बैटरी-कम कोल्ड स्टोर (Solar-Powered Battery-Less Cold Store) है जो दिन के समय 3-4 डिग्री सेल्सियस तापमान और रात के समय 8-12 डिग्री सेल्सियस तापमान पर लगभग 2 टन ताजी कटी उपज को संरक्षित कर सकता है।
    • इसमें रूफटॉप अर्थात् छत पर सोलर पैनल लगे हुए हैं जो 5 किलोवाट (kilowatt- KW) विद्युत उत्पन्न करते हैं तथा एयर कंडीशनिंग में मदद करते हैं। 
  • ये पैनल 105-वाट के एक सबमर्सिबल पंप को भी ऊर्जा प्रदान करते हैं जो एक ओवरहेड पीवीसी पाइप के ज़रिये एक टैंक से लगभग 1,000 लीटर जल प्रवाहित करता है।
  • रात के समय इसमें केवल निष्क्रिय वाष्पीकरणीय शीतलन (Passive Evaporative Cooling) होता है क्योंकि दिन के दौरान ठंडा हुआ पानी प्राकृतिक ऊष्मा सिंक के रूप में कार्य करता है।
  • सोलर पंप का प्रयोग करने वाले सभी किसान Pusa-FSF हेतु एक संभावित बाज़ार है, भारत में अनुमानित चार लाख से अधिक सौर जल पंप हैं।
    • औसतन 5-अश्वशक्ति (HP) के पंप की कीमत लगभग 2.5 लाख रुपए है जिस पर  70-90% सब्सिडी प्रदान की जाती है।
  • लाभ:
    • किसान अपनी उपज का भंडारण और संरक्षण कर सकते हैं। यह कम कीमत के समय किसानों को बिक्री से बचने और कीमतों में सुधार करने में मदद कर सकता है।
    • यह पोस्ट हार्वेस्टिंग लाॅस (Post Harvest Losses) को कम करने में मदद करेगा।
    • धान और मक्का के अलावा टमाटर, फल जैसे शीघ्र खराब होने वाली उपजों हेतु अधिक स्थान उपलब्ध हो सकता है ।

गेहूंँ के आटे से ग्लूटेन निकालने हेतु तकनीक:

  • तकनीक की आवश्यकता: बाजरा, मक्का, ज्वार, रागी और अन्य मोटे अनाजों में प्रोटीन,  विटामिन, खनिज, कच्चे फाइबर तथा अन्य पोषक तत्त्वों का स्तर गेहूंँ की तुलना में उच्च होता है।

तकनीकी के बारे में: यह तकनीकी बाजरे और मक्के के आटे को लचीला बनाती है तथा संरचनात्मक शक्ति प्रदान करती है, जिससे उनकी चपाती गेहूंँ के आटे से अधिक नरम होती है

  • पाउडर के रूप में प्राप्त किये गए प्रोटीन में गेहूंँ के अलावा अन्य आटे में पुनर्नियोजन या ग्लूटेन नेटवर्क बनाने की क्षमता भी होनी चाहिये।
  • पाउडर फॉर्म में प्राप्त किये गए प्रोटीन में बाजरा और मक्का या अन्य आटे में ग्लूटेन संरचना को विकसित करने की क्षमता होती है।
  • वैज्ञानिकों द्वारा ग्लूटेन-आधारित ‘हालुर’ (Hallur) नामक नरम बाजरे के आटे का निर्माण किया गया है। 

कृषि के क्षेत्र में अन्य तकनीकी विकास:

  • हैप्पी सीडर (Happy Seeder)- यह धान के भूसे के इन-सीटू प्रबंधन हेतु एक मशीन है 

परिशुद्ध कृषि तकनीकी: परिशुद्ध कृषि (Precision Agriculture- PA) खेत प्रबंधन हेतु एक दृष्टिकोण है जो यह सुनिश्चित करने हेतु सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग करती है कि फसलों और मिट्टी को वह सब मिल रहा है जो उनके इष्टतम स्वास्थ्य और उत्पादकता हेतु आवश्यक है। 

ग्लूटेन (Gluten):

  • ग्लूटेन, स्टोरेज प्रोटीन (Storage Proteins) का एक समूह है जिसे सामान्यतः   प्रोलिमिन (Prolamins) के रूप में जाना जाता है  
    • ग्लूटेन में दो मुख्य प्रोटीन ग्लूटेनिन (Glutenin) और ग्लाएडिन (Gliadin) पाए जाते हैं। 
    • रसोईघर में ग्लूटेन के विभिन्न लाभ देखे जाते हैं जैसे- यह खाद्य पदार्थों को नरम बनाने तथा उनकी च्यूवी (चिपचिपा अथवा लिसलिसा) संरचना के निर्धारण हेतु ज़िम्मेदार है।
  • गर्म करने पर ग्लूटेन प्रोटीन एक प्रत्यास्थ/लोचदार नेटवर्क का निर्माण करता  है, जो अपना विस्तार करने और गैस को ट्रैप करने में सक्षम होता है। इससे ब्रेड, पास्ता और अन्य समान खाद्य उत्पादों में खमीर उत्पन्न होता है तथा उनमें नमी बनी रहती है।
  • सीलिएक रोग (Celiac disease), जिसे कोएलियाक रोग (Coeliac Disease) के रूप में भी जाना जाता है, ग्लूटेन असहिष्णुता का सबसे गंभीर रूप है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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