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शिक्षा क्षेत्र में सुधार

  • 07 Jul 2022
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद, राष्ट्रीय शिक्षा नीति, संसदीय समितियाँ

मेन्स के लिये:

शिक्षा क्षेत्र में सुधार, राष्ट्रीय शिक्षा नीति की विशेषताएंँ, प्रत्यायन पर प्रभाव, आर्थिक विकास में शिक्षा का महत्त्व

चर्चा में क्यों?

संसदीय स्थायी समिति ने भारत के उच्च शिक्षा संस्थानों में शिक्षा मानकों, मान्यता (प्रत्यायन) प्रक्रिया, अनुसंधान, परीक्षा सुधारों और शैक्षणिक वातावरण की समीक्षा की।

रिपोर्ट के निष्कर्ष:

  • केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के उच्च शिक्षा विभाग ने समिति को सूचित किया कि मात्र 30% विश्वविद्यालय और 20% कॉलेज प्रत्यायन प्रणाली में हैं।
    • कुल 50,000 कॉलेजों में से 9,000 से कम कॉलेज मान्यता प्राप्त हैं।
  • कई डीम्ड विश्वविद्यालयों ने तेज़ी से पैसा कमाने के लिये मुक्त दूरस्थ शिक्षा पाठ्यक्रम शुरू किया है जिससे शोध कार्य की गुणवत्ता में कमी आती हैै।
  • कई राज्य विश्वविद्यालय सुचारु रूप से मूल्यांकन करने में लगातार विफल रहे हैं, जिसकी वजह से अक्सर प्रश्नपत्र लीक और नकल जैसे बड़े मामले समाचारों में देखे जाते हैं।

प्रत्यायन प्रणाली:

  • परिचय:
    • प्रत्यायन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें इस बात का मानकीकरण होता है कि कौन से न्यूनतम बेंचमार्क बनाए जाने हैं।
    • यह एक औपचारिक, स्वतंत्र सत्यापन प्रक्रिया है जो यह निर्धारित करती है कि कोई कार्यक्रम या संस्थान परीक्षण, निरीक्षण या प्रमाणन के मामले में स्थापित गुणवत्ता मानकों को पूरा करता है या नहीं।
  • महत्त्व:
    • यह स्वास्थ्य, शिक्षा, भोजन के साथ-साथ अन्य क्षेत्रों में उत्पाद और सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार के लिये एक महत्त्वपूर्ण उपकरण है।
    • यह गुणवत्ता प्रबंधन प्रणाली, खाद्य सुरक्षा प्रबंधन प्रणाली और उत्पाद प्रमाणन से संबंधित गुणवत्ता मानकों को अपनाने पर भी जोर देता है।
    • यह भारतीय उत्पादों और सेवाओं की गुणवत्ता प्रतिस्पर्द्धात्मकता में सुधार के उद्देश्य को साकार करने में मदद करता है।
  • ग्रेडिंग प्रक्रिया:
    • वर्तमान में राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद (NAAC), विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के तहत एक स्वायत्त निकाय है, जो पठन-पाठन, अनुसंधान एवं बुनियादी ढांँचे सहित कई मापदंडों पर उच्च शिक्षा संस्थानों का मूल्यांकन करता तथा संस्थानों को A++ से लेकर C तक के ग्रेड प्रदान करता है।
      • यदि किसी संस्थान को D ग्रेड दिया जाता है, तो इसका अर्थ है कि वह मान्यता प्राप्त नहीं है।
    • ग्रेडिंग पांँच वर्ष के लिये वैध होती है।
  • अंतर्राष्ट्रीय प्रत्यायन मंच (International Accreditation Forum-IAF):
    • IAF अनुरूपता मूल्यांकन प्रत्यायन निकायों और प्रबंधन प्रणालियों, उत्पादों, सेवाओं, कर्मियों तथा अनुरूपता मूल्यांकन के अन्य समान कार्यक्रमों के क्षेत्र में रुचि रखने वाले अन्य निकायों का वैश्विक संघ है।
      • अनुरूपता मूल्यांकन निकाय: ये ऐसे निकाय हैं जो उत्पाद, प्रक्रिया या सेवाओ तथा प्रबंधन प्रणालियों को प्रमाणित करतें हैं।
        • उदाहरण के लिये अंतर्राष्ट्रीय मानकीकरण संगठन (ISO)।
    • भारत भी इसका सदस्य है।

समिति की प्रमुख सिफारिशें:

  • मुद्दों का विश्लेषण:
    • NAAC और राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड (NBA), जो उच्च शिक्षा संस्थानों द्वारा पेश किये जाने वाले पाठ्यक्रमों को मान्यता देता है, के सामने आने वाले मुद्दों का विश्लेषण किया जाना चाहिये और उन पर काम किया जाना चाहिये।
  • लगातार प्रत्यायन:
    • प्रत्यायन की आवृत्ति और आवधिकता के मानदंडों को परिभाषित किया जाना चाहिये ताकि संस्थान समीक्षा के बिना वर्षों तक ग्रेड बनाए रखने की प्रवृत्ति विकसित न करें, क्योंकि यह प्रवृत्ति समीक्षा के बिना संस्थानों को आत्मसंतुष्टता की ओर ले जाती है और गुणवत्ता तंत्र को कमज़ोर करती है।
  • परीक्षा प्रबंधन:
    • समिति अनुशंसा करती है कि संस्थान की परीक्षा प्रबंधन योग्यता के मानदंड को भी मान्यता के विचार के लिये अनिवार्य मानदंड के रूप में माना जाए।
    • इसने कोचिंग सेंटरों के सहयोग से कदाचार में शामिल उच्च संस्थानों की मान्यता रद्द करने सहित सख्त कार्रवाई का भी सुझाव दिया।
    • सभी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को इस आधार पर ग्रेड प्रदान किया जाना चाहिये कि उनकी परीक्षाएंँ कितनी विश्वसनीय और आसान हैं।
  • डीम्ड विश्वविद्यालय:
    • तथाकथित "डीम्ड विश्वविद्यालयों" को भी 'विश्वविद्यालय' शब्द का उपयोग करने की अनुमति दी जानी चाहिये क्योंकि अन्य देशों में ऐसी कोई अवधारणा नहीं है।
  • संस्थानों का वित्तपोषण:
    • अधिक वित्तपोषण को प्रोत्साहित करने के लिये इसने सुझाव दिया कि "व्यक्तियों, पूर्व छात्रों और संस्थानों द्वारा दिया गया दान" 100% कर कटौती योग्य होना चाहिये।
  • डिजिटल पाठ्यक्रम मानदंड:
    • इसने यह भी सुझाव दिया कि ऑनलाइन पाठ्यक्रम शुरू करने के लिये मानदंडों पर फिर से विचार करने और संशोधित करने की तत्काल आवश्यकता है।
    • मुक्त दूरस्थ शिक्षा पाठ्यक्रमों के संबंध में विकल्पों की सावधानीपूर्वक जांँच करने के बाद समिति ने ऐसी प्रवृत्तियों को रोकने के लिये पर्याप्त उपाय करने की सिफारिश की।

भारत में शिक्षा क्षेत्र के लिये पहल: 

  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति:
    • NEP 2020 का उद्देश्य "भारत को एक वैश्विक ज्ञान महाशक्ति बनाना" है।
    • कैबिनेट ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय करने की भी मंज़ूरी दे दी है।
    • कैबिनेट द्वारा स्वीकृत NEP आज़ादी के बाद से भारत में शिक्षा के ढाँचे में तीसरा बड़ा सुधार है।
      • इससे पहले की दो शिक्षा नीतियाँ वर्ष 1968 और 1986 में लाई गई थीं।
  • मार्गदर्शन:
    • अच्छे प्रत्यायन रिकॉर्ड वाले संस्थानों या शीर्ष प्रदर्शन करने वाले संस्थानों को अपेक्षाकृत नए 10 से 12 संभावित संस्थानों को सलाह देने के लिये चुना जाता है।
    • संस्थानों में अपनाई जाने वाली सर्वोत्तम शिक्षण और सीखने की प्रथाओं का अनुकरण चिह्नित मेंटर संस्थान में किया जाएगा।
    • संस्थानों को प्रशिक्षण, कार्यशालाओं, सम्मेलनों आदि जैसी विभिन्न गतिविधियों के लिये तीन वर्ष की अवधि में 50 लाख रुपए (किश्तों में) तक प्रति संस्थान वित्तपोषण भी प्रदान किया जाएगा।
  • एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट:
    • यह एक डिजिटल बैंक के रूप में परिकल्पित है जो किसी भी पाठ्यक्रम में छात्र द्वारा अर्जित क्रेडिट को संग्रह है।
    • यह बहुविषयक और समग्र शिक्षा की सुविधा के लिये एक प्रमुख साधन है।
    • यह उच्च शिक्षा में छात्रों के लिये कई प्रवेश और निकास विकल्प प्रदान करेगा।
    • यह युवाओं को भविष्योन्मुखी बनाएगा और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से संचालित अर्थव्यवस्था के लिये रास्ता खोलेगा।

स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स

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