रिफॉर्म लिंक्ड बॉरोइंग विंडो | 24 Jun 2021
प्रिलिम्स के लिये:रिफॉर्म लिंक्ड बॉरोइंग मेन्स के लिये:विभिन्न क्षेत्रों में सरकार द्वारा किये गए विभिन्न सुधार |
चर्चा में क्यों?
भारतीय राज्य ‘रिफॉर्म लिंक्ड बॉरोइंग विंडो’ के कारण वित्तीय वर्ष 2020-21 (FY21) में 1.06 लाख करोड़ रुपए का अतिरिक्त उधार लेने में सक्षम थे।
- अर्थव्यवस्था पर कोविड-19 महामारी के प्रतिकूल प्रभावों से निपटने के लिये राज्यों को अतिरिक्त छूट प्रदान करने की घोषणा की गई थी।
नोट:
- भारत के संविधान के भाग XII का अध्याय II केंद्र सरकार और राज्य सरकारों द्वारा उधार लेने से संबंधित है।
- इसमें दो प्रावधान शामिल हैं- अनुच्छेद 292 जिसमें केंद्र सरकार द्वारा उधार लेना शामिल है और अनुच्छेद 293 जिसमें राज्य सरकारों द्वारा उधार लेना शामिल है।
- अनुच्छेद 293 (3) के अनुसार, पहले से ही केंद्र सरकार की ऋणी राज्य सरकारों को और उधार लेने से पहले केंद्र सरकार की सहमति लेने की आवश्यकता है।
प्रमुख बिंदु:
- यह एक सहायता थी, जो राज्यों को अतिरिक्त धन प्राप्त करने के लिये प्रगतिशील नीतियों को अपनाने के लिये प्रोत्साहित करती थी।
- अक्तूबर 2020 में केंद्र सरकार ने चार महत्त्वपूर्ण सुधारों के कार्यान्वयन के लिये अपने जीएसडीपी (सकल राज्य घरेलू उत्पाद) का 1% अतिरिक्त उधार लेने की अनुमति प्रदान की थी, ये हैं:
- एक राष्ट्र एक राशन कार्ड प्रणाली का कार्यान्वयन,
- ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस में सुधार,
- शहरी स्थानीय निकाय / उपयोगिता में सुधार और
- विद्युत क्षेत्र में सुधार।
- इस ‘रिफॉर्म लिंक्ड बॉरोइंग विंडो’ के तहत राज्यों को सभी चार सुधारों के पूरा होने पर 2.14 लाख करोड़ रुपए तक की धनराशि प्राप्त करने की सुविधा प्रदान की गई थी।
- चार में से तीन सुधारों को पूरा करने वाले राज्यों के पूंजीगत व्यय के लिये केंद्र 2,000 करोड़ रुपए की अतिरिक्त धनराशि की सहायता प्रदान करेगा।
- पंद्रहवें वित्त आयोग की सिफारिशों के आधार पर वित्त वर्ष 2021-22 के लिये राज्यों हेतु शुद्ध उधार सीमा अनुमानित जीएसडीपी (लगभग 8.46 लाख करोड़ रुपए) के 4% तय की गई है।
‘वन नेशन वन राशन कार्ड’ प्रणाली (ONORC) में सुधार:
- इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) और अन्य कल्याणकारी योजनाओं के तहत लाभार्थियों, विशेष रूप से प्रवासी श्रमिकों तथा उनके परिवारों को देश भर में किसी भी उचित मूल्य की दुकान (Fair Price Shop-FPS) से राशन मिल सके।
- साथ ही इसका उद्देश्य लाभार्थियों को बेहतर तरीके से लक्षित करना, फर्जी/ डुप्लिकेट/ अपात्र राशन कार्डों को समाप्त करना और कल्याण को बढ़ावा देना है।
- इसके लिये सरकार द्वारा राज्य के सभी राशन कार्डों की आधार सीडिंग, लाभार्थियों का बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण और राशन की दुकानों के स्वचालन संबंधी सुधार किये गए हैं।
‘इज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस’ में सुधार
- यह उद्यमों और कंपनियों के संचालन के लिये एक बेहतर वातावरण और बाधा रहित प्रक्रिया की सुविधा प्रदान करता है।
- इस श्रेणी में किये गए सुधारों में शामिल हैं:
- 'ज़िला स्तरीय व्यापार सुधार कार्य योजना' के प्रथम मूल्यांकन का समापन।
- विभिन्न अधिनियमों के तहत व्यवसायों द्वारा प्राप्त पंजीकरण प्रमाणपत्र/ अनुमोदन/ लाइसेंस के नवीनीकरण की आवश्यकता को समाप्त करना।
- अधिनियमों के तहत एक कम्प्यूटरीकृत केंद्रीय यादृच्छिक निरीक्षण प्रणाली का क्रियान्वयन।
शहरी स्थानीय निकाय सुधार:
- इन सुधारों का उद्देश्य राज्यों में शहरी स्थानीय निकायों को वित्तीय मज़बूती प्रदान करना और उन्हें नागरिकों को बेहतर सार्वजनिक स्वास्थ्य और स्वच्छता सेवाएँ प्रदान करने में सक्षम बनाना है।
- इन सुधारों के तहत राज्यों के लिये संपत्ति कर और पानी एवं सीवेज शुल्क की न्यूनतम दरों को अधिसूचित करना अनिवार्य कर दिया गया था। यह शहरी क्षेत्रों में स्टाम्प ड्यूटी गाइडलाइंस, लेन-देन के लिये मूल्य एवं वर्तमान लागत के अनुरूप था।
विद्युत क्षेत्र में सुधार
- विद्युत क्षेत्र में सुधारों के तहत राज्य के लिये तीन मापदंडों को पूरा करना अनिवार्य है- समग्र तकनीकी तथा वाणिज्यिक (AT&C) नुकसान में कमी करना, औसत आपूर्ति लागत औरऔसत राजस्व प्राप्ति (ACS-ARR) में अंतर को कम करना तथा प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) के माध्यम से किसानों को बिजली सब्सिडी प्रदान करना।