REDD+ हिमालय’ परियोजना | 02 Sep 2019

चर्चा में क्यों?

हिमालयी राज्यों के लिये चलाए जा रहे निर्वनीकरण एवं वन निम्नीकरण से होने वाले उत्सर्जन में कटौती (Reducing Emissions from Deforestation and Forest Degradation-REDD+) परियोजना के क्रियान्वयन की अवधि को जुलाई 2020 तक के लिये बढ़ा दिया गया है।

प्रमुख बिंदु

  • REDD+ परियोजना का कार्यान्वयन एकीकृत पर्वतीय विकास के लिये अंतर्राष्ट्रीय केंद्र (International Centre for Integrated Mountain Development-ICIMOD) एवं भारतीय वानिकी अनुसंधान और शिक्षा परिषद (Indian Council of Forestry Research and Education- ICFRE) द्वारा संयुक्त रूप से चलाया जा रहा है।
  • इसके शुरुआत वर्ष 2016 में मिज़ोरम राज्य से की गई। इसे हिमालयी राज्यों में निर्वनीकरण एवं वन निम्नीकरण हेतु उत्तरदायी कारकों के विषय में कार्यवाही करने के लिये शुरू किया गया था।
  • हालाँकि इस कार्यक्रम की समय सीमा वर्ष 2018 में समाप्त हो गई थी परंतु इसके महत्त्व तथा योगदान को देखते हुए इस अवधि को जुलाई 2020 तक बढ़ा दिया गया है।
  • इस कार्यक्रम का उद्देश्य क्षमता निर्माण करना है। हिमालय क्षेत्र में स्थानीय समुदाय ईंधन और आजीविका के लिये वनों पर निर्भर रहते हैं। स्थानीय समुदायों के वनों पर रहने के कारण निर्वनीकरण एवं वन निम्नीकरण को बढ़ावा मिलता है।
    • इस कार्यक्रम के तहत स्थानीय लोगों को उच्च क्षमता के स्टोव उपलब्ध करवाकर ईंधन के लिये वनों पर उनकी निर्भरता को कम किया गया।
    • बाँस रोपण व कॉफ़ी बागानों के साझाकरण के द्वारा आजीविका के वैकल्पिक स्रोत उपलब्ध कराए गए।
    • इस क्षेत्र के हल्दी उत्पादक किसानों को हल्दी को सुखाने और उसके प्रसंस्करण के लिये सोलर ड्रायर उपलब्ध करवाए गए हैं।

‘REDD+ हिमालय’ कार्यक्रम

  • वर्ष 2013 में ICIMOD द्वारा ‘REDD+ हिमालय’ कार्यक्रम भूटान, नेपाल, भारत, म्याँमार शुरू किया गया।
  • इसका उद्देश्य REDD+ का समर्थन करना है।
  • यह परियोजना जर्मनी के पर्यावरण, प्रकृति संरक्षण और परमाणु सुरक्षा मंत्रालय द्वारा समर्थित है।
  • REDD+ कार्यक्रम को संयुक्त राष्ट्र द्वारा वर्ष 2005 में विकासशील देशों में वन प्रबंधन के माध्यम से जलवायु परिवर्तन को कम करने के लिये शुरू किया गया था।

एकीकृत पर्वतीय विकास के लिये अंतर्राष्ट्रीय केंद्र

(International Centre for Integrated Mountain Development-ICIMOD)

  • ICIMOD एक स्‍वतंत्र पर्वत शिक्षा और ज्ञान केंद्र है, जो हिंदुकुश-हिमालय (Hindu-kush Himalaya- HKH) क्षेत्र के आठ देशों- अफगानिस्‍तान, बांग्‍लादेश, भूटान, चीन, भारत, म्याँमार, नेपाल एवं पाकिस्‍तान तथा वैश्विक पर्वतीय समूह को अपनी सेवाएँ देता है।
  • इसकी स्थापना वर्ष 1983 में की गई थी तथा इसका मुख्यालय काठमांडू (नेपाल) में है।
  • यह संस्‍था अंतरसरकारी, परंतु स्‍वतंत्र संगठन है।

उद्देश्य

  • इसका उद्देश्‍य विस्‍तृत हिमालयी क्षेत्र में आर्थिक और पर्यावरणीय रूप से सशक्‍त पर्वतीय पारिस्‍थतिकी का निर्माण करना तथा पर्वतवासियों की जीवन-दशा को सुधारना है।
  • इसने आठों क्षेत्रीय सदस्‍य देशों और क्षेत्र के भीतर या बाहर की संस्‍थाओं के साथ साझेदारी विकसित की है।

लक्ष्य

  • ICIMOD का लक्ष्‍य पर्वतवासियों को मौजूदा पर्यावरणीय परिवर्तनों के बारे में समझाना, इसके लिये उन्‍हें तैयार करना और नई क्षमताओं का सृजन करना है।
  • इसके कार्यों का रणनीतिक क्षेत्र इस प्रकार है-
  1. एकीकृत जल और अपशिष्‍ट प्रबंधन
  2. पर्यावरणीय परिवर्तन और पारिस्थि‍तिकीय सेवाएँ
  3. स्‍थायी जीवनयापन और गरीबी निवारण।

ICIMOD के क्षेत्रीय कार्यक्रम

Thematic core compelencies

हिंदुकुश हिमालय क्षेत्र

(Hindu Kush Himalayan Region)

  • हिंदू कुश हिमालय (HKH) क्षेत्र पश्चिम में अफगानिस्तान से लेकर पूर्व में म्याँमार तक आठ देशों के सभी भागों या लगभग 3,500 किमी. से अधिक क्षेत्र में फैला हुआ है।

Hindukush Himalaya

  • यह क्षेत्र एशिया की दस बड़ी नदी प्रणालियों- आमू दरिया, सिंधु, गंगा, ब्रह्मपुत्र, इरावदी, सल्वेन (नू), मेकांग (लंकांग), यांग्त्से (जिंशा), येलो रिवर (ह्वांग) और तरिम का स्रोत है। इन नदियों की घाटियों से 1.9 बिलियन लोगों को जलापूर्ति होती है जो दुनिया की कुल आबादी का एक चौथाई हिस्सा है।
  • यह क्षेत्र में लगभग 240 मिलियन लोगों की आबादी के लिये जल, पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएँ और आजीविका का आधार प्रदान करता है।

स्रोत: डाउन टू अर्थ