मंदी और यील्ड वक्र | 27 Dec 2022

प्रिलिम्स के लिये:

मंदी, यील्ड वक्र

मेन्स के लिये:

वृद्धि और विकास

चर्चा में क्यों?

जैसे-जैसे नए साल के आगमन का समय नज़दीक आ रहा है दुनिया की कई प्रमुख शीर्ष अर्थव्यवस्थाएँ, विशेष रूप से सबसे बड़ी और प्रभावशाली संयुक्त राज्य अमेरिका की अर्थव्यस्था मंदी का सामना कर रही है।

  • संयुक्त राज्य अमेरिका के ट्रेज़री यील्ड (अर्थव्यस्था के संदर्भ में उत्पादन के घटकों के आपूर्तिकर्त्ताओं को वापस मिलने वाला धन यील्ड/लब्धि/प्रतिफल कहलाता है।) का कम होना एक महत्त्वपूर्ण संकेतक है कि अमेरिका मंदी की ओर बढ़ रहा है।

मंदी:

  • मंदी में सामान्यतः रोज़गार और समग्र मांग में कमी के साथ कम-से-कम दो लगातार तिमाहियों के लिये अनुबंधित अर्थव्यवस्था में समग्र उत्पादन शामिल होता है।
  • यूएस नेशनल ब्यूरो ऑफ इकोनॉमिक रिसर्च (NBER) अर्थव्यवस्था पर प्रभाव, प्रसार और अवधि के आकलन के आधार पर यह निर्धारित करता है कि अर्थव्यवस्था मंदी में है या नहीं।
    • कभी-कभी अवधि दीर्घकालिक नहीं हो सकती है लेकिन गिरावट बहुत गंभीर हो सकती है क्योंकि ऐसा कोविड-19 महामारी के मद्देनज़र हुआ है।
    • इसकी गंभीरता एवं प्रसार अपेक्षाकृत कम हो सकता है लेकिन मंदी लंबे समय तक रह सकती है जैसा कि आर्थिक संकट के मद्देनज़र यूनाइटेड किंगडम में अपेक्षित है।

संयुक्त राज्य अमेरिका का ट्रेज़री: 

  • किसी भी अर्थव्यवस्था में सबसे सुरक्षित ऋण वे होते हैं जो सरकारों को दिये जाते हैं, ऐसी संस्थाएँ जो हमेशा बनी रहेंगी और जो सामान्यतः अपने ऋण पर चूक नहीं करती हैं।
  • सरकारों को धन उधार लेने की आवश्यकता होती है क्योंकि अक्सर उनका कर राजस्व उनके सभी खर्चों को पूरा करने के लिये पर्याप्त नहीं होता है।
  • जिस साधन द्वारा सरकार बाज़ार से उधार लेती है उसे सरकारी बॉण्ड कहा जाता है।
  • भारत में उन्हें जी-सेक कहा जाता है, ब्रिटेन में उन्हें गिल्ट कहा जाता है और अमेरिका में उन्हें ट्रेज़री कहा जाता है।

राजकोष की लब्धि/यील्ड:

  • बैंक ऋण जिसकी एक परिवर्तनीय ब्याज दर होती है, के विपरीत एक सरकारी बॉण्ड में एक निश्चित "कूपन" भुगतान होता है।
  • नतीजतन, अमेरिकी सरकार 100 अमेरिकी डॉलर के अंकित मूल्य और 5 अमेरिकी डॉलर के कूपन भुगतान के साथ 10 साल के बॉण्ड को "फ्लोट" कर सकती है। इसका मतलब यह है कि यदि आप इस बॉण्ड को खरीदते हैं और अमेरिकी सरकार को 100 अमेरिकी डॉलर उधार देते हैं, तो आपको अगले दस वर्षों के लिये प्रतिवर्ष 5 अमेरिकी डॉलर, साथ ही दस वर्षों के अंत में 100 अमेरिकी डॉलर की पूरी राशि प्राप्त होगी।
  • लेकिन यदि किसी कारण से किसी ने इस बाॅण्ड को किसी अन्य निवेशक को बेच दिया, तो जिस कीमत पर बाॅण्ड बेचा जाता है, उसके आधार पर यील्ड बदल जाएगी। यदि कीमत में वृद्धि होती है और बाॅण्ड को USD 110 में बेचा जाता है, तो यील्ड कम हो जाएगा क्योंकि वार्षिक रिटर्न (USD5) समान रहता है और यदि कीमत गिरती है, तो यील्ड बढ़ जाएगा। 

यील्ड वक्र: 

  • सरकारें 1 महीने से 30 वर्ष तक की अवधि के लिये उधार लेती हैं।  
  • आमतौर पर लंबी अवधि के लिये यील्ड अधिक होता है क्योंकि इसमें धन लंबे समय तक के लिये उधार दिया जाता है।
  • यदि बाॅण्ड के अलग-अलग कार्यकाल के लिये यील्ड को मापा जाता है, तो यह ऊपर की ओर ढाल वाला वक्र प्रदान करेगा।
  • बाज़ार में उपलब्ध धन और अपेक्षित समग्र आर्थिक गतिविधियों के आधार पर वक्र सपाट या सीधा हो सकता है। जब निवेशक अर्थव्यवस्था के बारे में उत्साहित महसूस करते हैं, तो वे दीर्घकालिक बाॅण्ड से पैसा निकालते हैं और इसे शेयर बाज़ारों जैसे अल्पकालिक ज़ोखिम वाली परिसंपत्तियों में निवेश करते हैं। जैसे-जैसे दीर्घकालिक बाॅण्ड की कीमतें गिरती हैं, उनका यील्ड बढ़ता है और यील्ड वक्र बढ़ता जाता है।

Yield-curves

यील्ड व्युत्क्रमण (Yield inversion):

  • यील्ड व्युत्क्रम तब होता है जब कम अवधि के बाॅण्ड के लिये यील्ड लंबी अवधि के बाॅण्ड पर यील्ड की तुलना में अधिक होता है। यदि निवेशकों को संदेह है कि अर्थव्यवस्था संकट की ओर बढ़ रही है, तो वे अल्पकालिक ज़ोखिम वाली परिसंपत्तियों (जैसे शेयर बाज़ार) से पैसा निकालेंगे और इसे दीर्घकालिक बाॅण्ड में निवेश करेंगे। इससे दीर्घकालिक बाॅण्ड की कीमतें बढ़ जाती हैं और उनका यील्ड घट जाता है। यह प्रक्रिया पहले सपाट और अंततः यील्ड व्युत्क्रमण की स्थिति होती है। 
  • यील्ड व्युत्क्रम लंबे समय से अमेरिका में मंदी का एक विश्वसनीय अनुमान प्रदान कर रहा है तथा अमेरिकी कोष में पिछले कुछ समय से यील्ड व्युत्क्रमण देखा जा रहा है।
  • 10 वर्ष और 3 महीने के ट्रेज़री की यील्ड्स का प्रसार नकारात्मक देखा जा रहा है।

Yield-Spread

भारत के लिये इसका महत्त्व:

  • ब्याज दरें बढ़ने से रुपए के मुकाबले अमेरिकी डॉलर और भी मज़बूत हो सकता है। परिणामस्वरूप भारतीय आयात महँगा हो जाएगा तथा यह घरेलू मुद्रास्फीति को बढ़ा सकता है।
  • अमेरिका के उच्च यील्ड से भारत में आने वाले निवेशों से आयात- निर्यात में कुछ पुनर्संतुलन की स्थिति देखी जा सकती है
  • कमज़ोर रुपए के कारण भारतीय निर्यात को लाभ हो सकता है लेकिन मंदी भारतीय निर्यात की मांग को कम कर देगी।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, पिछले वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रश्न. आर्थिक मंदी के समय निम्नलिखित में से कौन-सा कदम उठाए जाने की सबसे अधिक संभावना है?

(a) कर की दरों में कटौती के साथ-साथ ब्याज़ दर में वृद्धि करना
(b) सार्वजनिक परियोजनाओं पर व्यय में वृद्धि करना
(c) कर की दरों में वृद्धि के साथ-साथ ब्याज़ दर में कमी करना
(d) सार्वजनिक परियोजनाओं पर व्यय में कमी करना  

उत्तर: (b)  

व्याख्या: 

  • आर्थिक मंदी एक मैक्रोइकोनॉमिक शब्द है जो लंबे समय तक आर्थिक गतिविधियों में मंदी या बड़े पैमाने पर संकुचन को संदर्भित करता है, या यह कहा जा सकता है कि जब मंदी का दौर काफी लंबे समय तक बना रहता है, तो इसे मंदी कहा जाता है।
  • आर्थिक मंदी से निपटने के लिये अर्थव्यवस्था में मुद्रा की आपूर्ति बढ़ानी होगी। अर्थव्यवस्था में मुद्रा आपूर्ति को बढ़ावा देने के विभिन्न तरीके हैं:
    • विस्तारवादी मौद्रिक नीति: इससे बाज़ार में धन की आपूर्ति बढ़ेगी। बैंकों और वित्तीय संस्थानों के पासआसान ब्याज़ दरों के साथ उधार देने के लिये अधिक धन होगा। यह उधारकर्त्ताओं को धन उधार लेने के लिये आकर्षित करेगा जिससे आर्थिक गतिविधियों जैसे- व्यय, निवेश, उत्पादन, खपत आदि में वृद्धि होगी।
    • सार्वजनिक परियोजनाओं पर उच्च व्यय: सार्वजनिक परियोजनाओं पर व्यय में वृद्धि से धन की आपूर्ति में वृद्धि होगी, यह देश को आर्थिक मंदी से बाहर निकालने में सहायक होगा।
  • कर की दरों में कटौती से अर्थव्यवस्था में मुद्रा की आपूर्ति में वृद्धि होगी हालाँकि उच्च ब्याज दर से धन की आपूर्ति कम होगी बैंक उच्च ब्याज दरों पर ऋण देंगे व इससे कम उधारी होगी।
  • ब्याज दर में कमी से अर्थव्यवस्था में धन की आपूर्ति में वृद्धि होगी, आर्थिक मंदी से निपटने में मदद मिलेगी, हालाँकि कर दरों में वृद्धि इस दिशा में सहायक नहीं होगी क्योंकि इससे लोगों का खर्च कम होगा।
  • सार्वजनिक परियोजनाओं पर व्यय में कमी से अर्थव्यवस्था में मुद्रा आपूर्ति में कमी आएगी। अतः  विकल्प (b) सही उत्तर है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस