NBFC हेतु नए दिशा-निर्देश | 17 Aug 2019
चर्चा में क्यों?
RBI द्वारा गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (Non-Banking Financial Companies- NBFC) को कृषि, सूक्ष्म और लघु उद्यमों तथा प्राथमिक क्षेत्र के तहत आवास श्रेणियों को ऋण में प्राथमिकता देने संबंधी नए दिशा-निर्देश जारी किये गए हैं।
प्रमुख बिंदु:
- बैंकों को अपने कुल प्राथमिक ऋण क्षेत्र (Priority Sector Lending- PSL) में से 5% इन क्षेत्रों को ऋण देने की अनुमति होगी।
- इस कदम से बैंकों द्वारा NBFC विशेषकर आवासीय वित्त कंपनियों (Housing Finance Companies- HFCs) के क्षेत्रक में ऋण की आपूर्ति बढ़ने की उम्मीद है। वर्तमान में यह क्षेत्र अत्यधिक तरलता संकट का सामना कर रहा है।
- RBI ने कहा है कि नवीनतम दिशा-निर्देश चालू वित्त वर्ष तक मान्य होंगे, इसके बाद उनकी फिर से समीक्षा की जाएगी।
- ऑन-लेंडिंग मॉडल (On-lending Model) के तहत दिये गए ऋण को परिपक्वता की अवधि तक PSL के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा।
- वर्तमान ऑन-लेंडिंग दिशा-निर्देशों के तहत बैंकों द्वारा HFC क्षेत्र को दिये गए ऋण को PSL के तहत वर्गीकृत किया जाएगा।
जब कोई संगठन किसी दूसरे संगठन से ऋण लेकर किसी तीसरे क्षेत्र को ऋण देता है तो इसे ऑन-लेंडिंग मॉडल (On-lending Model) कहते हैं। उदाहरण के तौर पर; बैंकिंग क्षेत्र की कोई इकाई केंद्रीय बैंक से ऋण लेकर उसे किसी गैर-बैंकिंग क्षेत्र जैसे- आवासीय क्षेत्र को ऋण प्रदान करें।
- इस व्यवस्था के तहत कृषि क्षेत्र को 10 लाख रुपए, सूक्ष्म और लघु उद्यमों और HFC को 20 लाख रुपए तक के ऋण प्रदान किये जाएँगे।
प्राथमिक ऋण क्षेत्र
(Priority Sector Lending- PSL)
- प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र से तात्पर्य उन क्षेत्रों से है जिन्हें भारत सरकार और भारतीय रिज़र्व बैंक देश की मूलभूत ज़रूरतों के विकास के लिये महत्त्वपूर्ण मानते हैं और इन क्षेत्रों को अन्य क्षेत्रों पर प्राथमिकता दी जाती है।
- सामान्यतः इन क्षेत्रों को समय पर पर्याप्त मात्रा में ऋण की आपूर्ति नहीं हो पाती है, इसलिये केंद्रीय बैंकों द्वारा संपूर्ण ऋण में से इन क्षेत्रों का कोटा निर्धारित कर दिया जाता है। इस प्रकार की कोटा व्यवस्था को ही प्राथमिक ऋण क्षेत्र (Priority Sector Lending कहा जाता है।
- वर्ष 2016 में RBI द्वारा जारी परिपत्र के अनुसार, PSL की आठ व्यापक श्रेणियों में कृषि, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम, निर्यात ऋण, शिक्षा, आवास, सामाजिक अवसंरचना, नवीकरणीय ऊर्जा तथा कुछ अन्य क्षेत्र शामिल हैं।