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भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंक लेखा परीक्षकों से संबंधित मानदंडों को किया सख्त

  • 05 Jul 2018
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने बुधवार को बैंकों के सांविधिक लेखा परीक्षकों से संबंधित  नियमों को सख्त कर दिया। भारतीय रिज़र्व बैंक के लेखा परीक्षकों द्वारा की जाने वाली लेखा परीक्षा प्रक्रिया में किसी भी चूक (बैंक के वित्तीय वक्तव्य का गलत तरीका या लेखा रिपोर्ट में गलत जानकारी) के मामले में उनके खिलाफ कार्रवाई करेगा। भारतीय रिज़र्व बैंक ने यह कदम बैंकों में हुए घोटालों को देखते हुए उठाया है जिसमें पंजाब नेशनल बैंक के 13,000 करोड़ रुपए के घोटाले के अलावा अन्य कई बैंकों के घोटाले भी शामिल हैं।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • भारतीय रिज़र्व बैंक के अनुसार, यदि लेखा परीक्षा की गुणवत्ता संतोषजनक न मिली तो वह निर्दिष्ट अवधि के लिये ऐसे लेखा परीक्षकों की नियुक्तियों को स्वीकार न करने का अधिकार सुरक्षित रखता है। PNB घोटाले ने बैंकों में लेखा परीक्षा प्रक्रिया में कई चूकों का खुलासा किया था। 
  • इस ढाँचे में बैंकों के लेखा परीक्षकों द्वारा वित्तीय वक्तव्यों के साथ-साथ भारतीय रिज़र्व बैंक के निरीक्षण के दौरान परिसंपत्तियों के वर्गीकरण और विचलन आदि के उदाहरण शामिल होंगे।
  • पिछले तीन सालों में कई बैंकों ने अपने बैड लोन को कम करके बताया है जिससे पिछले कुछ वर्षों के दौरान गैर-निष्पादित संपत्तियों (NPA) में वृद्धि हुई है।

लेखा परीक्षकों को कार्रवाई से पूर्व दिया जाएगा नोटिस

  • भारतीय भारतीय रिज़र्व बैंक के अनुसार, प्रवर्तन कार्रवाई का निर्णय लेने से पहले सुनवाई का उचित अवसर प्रदान करने के उद्देश्य से भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा लेखा परीक्षकों को एक लिखित नोटिस दिया जाएगा इसके अनुसार लेखा परीक्षकों को उन्हें लिखित में यह कारण बताने की आवश्यकता होगी कि उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जानी चाहिये। 
  • नोटिस का जवाब देने के लिये लेखा परीक्षा फर्मों को 15 कार्य दिवसों की अवधि दी जाएगी।
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