प्रौद्योगिकी
मसाला बॉन्ड को कॉरपोरेट बॉन्ड के दायरे से बाहर किया गया
- 23 Sep 2017
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चर्चा में क्यों?
रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (Reserve Bank of India - RBI) द्वारा विदेशी निवेशकों हेतु कॉरपोरेट बॉन्ड में निवेश की सीमा को बढ़ाया गया है। आरबीआई द्वारा कुल कर्ज़ निवेश सीमा के दायरे से रुपए बॉन्ड अथवा मसाला बॉन्ड को बाहर कर दिया गया है।
वर्तमान स्थिति
- वर्तमान में, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (Foreign Portfolio Investors - FPIs) द्वारा कॉरपोरेट बॉन्ड में निवेश की सीमा 2,44,323 करोड़ रुपए है। इसके अंतर्गत 44,001 करोड़ रुपए के (पाइपलाइन सहित) रुपए बॉन्ड यानी मसाला बॉन्ड को भी शामिल किया गया है।
- फिलहाल मसाला बॉन्ड को एफ.पी.आई. और बाह्य वाणिज्यिक उधारों (External Commercial Borrowings - ECBs) हेतु सी.सी.डी.एल. (Combined Corporate Debt Limit - CCDL) के तहत संगणित किया जाता है।
- आर.बी.आई. के कथनानुसार, प्रत्येक तिमाही में 9,500 करोड़ रुपए की राशि केवल दीर्घकालिक एफ.पी.आई. [यानी संप्रभु संपदा धन (sovereign wealth funds), बहुपक्षीय एजेंसियों, एंडॉमेंट फंड (endowment funds), बीमा फंड, पेंशन फंड और विदेशी केंद्रीय बैंकों] के आधार पर बुनियादी ढाँचागत क्षेत्र में निवेश के लिये उपलब्ध होगी।
- इसके अतिरिक्त दीर्घकालिक एफ.पी.आई. बुनियादी ढाँचे के अलावा अन्य क्षेत्रों में निवेश करने के लिये पात्र रहेंगे।
44,001 करोड़ रुपए जारी किये जाएंगे
- 3 अक्तूबर, 2017 से एफ.पी.आई. द्वारा निवेश के लिये मसाला बॉन्ड को कॉरपोरेट बॉन्ड का हिस्सा नहीं माना जाएगा। ये अब ई.सी.बी. का हिस्सा होंगे तथा इसी के तद्नुसार इनकी निगरानी भी की जाएगी।
- मसाला बॉन्ड के स्थानांतरण से 44,001 करोड़ रुपए की राशि को आगामी दो तिमाहियों में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश हेतु कॉर्पोरेट बॉन्ड्स में जारी किया जाएगा।
विभिन्न प्रकार के बॉन्ड
वर्तमान में बहुत से बॉन्ड चर्चा का विषय बने हुए हैं, जिनके कारण अक्सर दुविधा की स्थिति बन जाती है। इस दुविधा से बचने के लिये ही हमने ऐसे कुछ बॉन्डों के विषय में यहाँ संक्षिप्त जानकारी देने का प्रयास किया है, जो कि इस प्रकार हैं -
मसाला बॉन्ड
- मसाला बॉन्ड भारत के बाहर जारी किये गए बॉन्ड होते हैं, लेकिन स्थानीय मुद्रा की बजाय इन्हें भारतीय मुद्रा में निर्दिष्ट किया जाता है।
- डॉलर बॉन्ड के विपरीत (जहाँ उधारकर्त्ता को मुद्रा जोखिम लेना पड़ता है) मसाला बॉन्ड में निवेशकों को जोखिम उठाना पड़ता है।
- नवंबर 2014 में विश्व बैंक के इंटरनेशनल फाइनेंस कॉरपोरेशन द्वारा पहला मसाला बॉन्ड जारी किया गया था।
रुपए बॉन्ड
- रुपए ऋण बॉन्ड (Rupee Debt Bonds) को रुपए डेनोमीनेटेड बॉन्ड (Rupee Denominated Bonds) या ‘मसाला बॉन्ड’ (Masala Bonds) के रूप में भी जाना जाता है।
- इस प्रकार के बॉन्ड को भारतीय संस्थाओं द्वारा विदेशी बाज़ारों में विदेशी मुद्रा जोखिम को खत्म करने के लिये जारी किया जाता है।
- मसाला बॉन्ड, ऑफशोर कैपिटल मार्केट (Offshore Capital Markets) में जारी किये गए भारतीय रुपए डेनोमीनेटेड बॉन्ड (Indian Rupee Denominated Bonds) हैं।
हरित बॉन्ड
- हरित बॉन्ड, संघीय योग्य संगठनों अथवा नगर पालिकाओं द्वारा ब्राउनफील्ड साइटों (Brownfield sites) के विकास के लिये जारी कर-मुक्त बॉन्ड होते हैं।
- ग्रीन बॉन्ड, दूसरे बॉन्डों की तरह ही होते हैं, लेकिन इनके तहत केवल पर्यावरण के अनुकूल परियोजनाओं यानी हरित परियोजनाओं में निवेश किया जाता है। ऐसी परियोजनाएँ आम तौर पर अक्षय ऊर्जा, कचरा प्रबंधन, स्वच्छ परिवहन, सतत् जल प्रबंधन एवं जलवायु परिवर्तन के प्रति अनुकूलित क्षेत्र में अवस्थित होती हैं।
जलवायु बॉन्ड
- जलवायु बॉन्ड (इन्हें ग्रीन बॉन्ड के रूप में भी जाना जाता है) के रूप में निश्चित-आय वाले वित्तीय साधनों (बॉन्ड) को जलवायु परिवर्तन संबंधी समाधानों से किसी-न-किसी तरह से संबद्ध किया जाता है।
- जलवायु बॉन्ड (Climate bonds) अपेक्षाकृत एक नया परिसंपत्ति वर्ग (New Asset Class) है। इसके बावजूद इसमें बहुत तेज़ी से वृद्धि हो रही है।
सामाजिक प्रभाव बॉन्ड
- सामाजिक प्रभाव बॉन्ड (Social Impact Bond) को सफल वित्तपोषण हेतु वेतन (Pay for Success Financing) अथवा सामाजिक लाभ बॉन्ड या केवल एक सामाजिक बॉन्ड के रूप में जाना जाता है।
- वस्तुतः यह सार्वजनिक क्षेत्र के साथ एक अनुबंध के रूप में होता है, जिसमें बेहतर सामाजिक परिणामों के लिये भुगतान करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की जाती है। इसका परिणाम सार्वजनिक क्षेत्र की बचत में परिलक्षित होता है।
विकास प्रभाव बॉन्ड
- विकास प्रभाव बॉन्ड (Development Impact Bonds - DIBs) एक प्रदर्शन-आधारित निवेश साधन है, जिसका उद्देश्य कम संसाधन वाले देशों के विकास कार्यक्रमों को वित्तपोषित करना है।
- विकास प्रभाव बॉन्ड को सामाजिक प्रभाव बॉन्ड के आधार पर बनाया जाता है।
औद्योगिक राजस्व बॉन्ड
- औद्योगिक राजस्व बॉन्ड (Industrial Revenue Bond - IRB) राज्य अथवा स्थानीय सरकार द्वारा आयोजित एक अनूठे प्रकार का राजस्व बॉन्ड होता है।
- इस बॉन्ड को एक सरकारी इकाई द्वारा प्रायोजित किया जाता है।
सामान्य दायित्व बॉन्ड
- एक सामान्य दायित्व बॉन्ड (General Obligation Bond) एक नगरपालिका बॉन्ड होता है।
- ये किसी परियोजना से प्राप्त राजस्व के स्थान पर वितरित अधिकार क्षेत्र के क्रेडिट और कर लगाने की शक्ति द्वारा समर्थित बॉन्ड होते हैं।
- सामान्य दायित्व बॉन्ड को इस धारणा के साथ जारी किया जाता है कि इसके आधार पर नगरपालिका परियोजनाओं से प्राप्त राजस्व अथवा कराधान के माध्यम से अपने ऋण दायित्वों को चुकाने में सक्षम हो जाएंगी।
कॉरपोरेट बॉन्ड
- किसी कॉरपोरेशन द्वारा जारी किये गए बॉन्ड को कॉरपोरेट बॉन्ड कहा जाता है।
- कॉरपोरेट बॉन्ड को पहले से चल रहे कार्यों अथवा विलय एवं अधिग्रहण अथवा व्यापार का विस्तार करने जैसे विभिन्न कारणों हेतु वित्तपोषण बढ़ाने के लिये जारी किया जाता है।
- हालाँकि, कॉरपोरेट बॉन्ड शब्द को बहुत सटीकता के साथ परिभाषित नहीं किया गया है।