भारतीय अर्थव्यवस्था
रिज़र्व बैंक के रुख में बदलाव लेकिन ब्याज दर यथावत
- 06 Oct 2018
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति ने बाजार की आशा के विपरीत चौथी द्विमासिक नीति समीक्षा में प्रमुख नीतिगत दर को 6.5% पर रखने का निर्णय लिया है। हालाँकि रिज़र्व बैंक ने तटस्थ रहने की जगह नीतियों में कठोरता की जाँच करने का निर्णय लिया है।
प्रमुख बिंदु
- नीतिगत दरों की इस घोषणा ने रुपए को कमज़ोर कर दिया और सेंसेक्स में 800 अंकों की गिरावट आई। सितंबर के आखिरी सप्ताह में अमेरिकी फेड द्वारा नीतिगत दरों में वृद्धि और रुपए पर गंभीर संकट के कारण भी भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा नीतिगत दरों में बढ़ोतरी की उम्मीद की गई थी।
- भारतीय रिज़र्व बैंक की इस कार्रवाई से यह संकेत मिलता है कि वह मुद्रास्फीति, जो कि उसके अनुमान से कम थी, की तुलना में तरलता और बॉण्ड पर लाभ संबंधी कठोर नियमों के बारे में अधिक चिंतित था।
- भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने कहा, रुपए का मूल्यह्रास कुछ मामलों में कई अन्य ईएमई [उभरते बाजार अर्थव्यवस्था] देशों की तुलना में मामूली रहा है। मार्च अंत से लेकर सितंबर अंत तक रुपए में 5.6% तक की मामूली प्रभावी गिरावट दर्ज की गई है। वास्तविक प्रभावी शर्तों के अनुसार रुपए का मूल्यह्रास 5% रहा है, साथ ही भारत बाहरी कारकों के कारण वैश्विक संकटों से प्रतिरक्षित नहीं है।
- आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के दूसरे छमाही के लिये मुद्रास्फीति पूर्वानुमान जो पहले 4.8% अनुमानित था, को 3.9-4.5% तक और 2019-20 के पहली तिमाही के लिये 5.8% से 4.8% तक कम किया। आरबीआई के अनुसार, "हालाँकि 2018-19 और 2019-20 की पहली तिमाही के लिये मुद्रास्फीति के अनुमान को अगस्त के प्रस्ताव से कम पर संशोधित किया गया है, किंतु इसके प्रक्षेपवक्र का अगस्त 2018 के प्रस्ताव से ऊपर बढ़ने का अनुमान है।"
- रुपए ने 74 डॉलर के निशान को पार कर दिन के अंत में 73.77 डॉलर पर बंद होने से पहले 74.22 के निशान को छू लिया जो कि इसके पिछले बंद से 0.24% कम था।
- मौद्रिक नीति को तटस्थ से कड़े रुख में बदलने पर श्री पटेल ने कहा कि इसका मतलब यह होगा कि इस चक्र में दर कटौती तालिका से बाहर थी लेकिन आरबीआई हर बैठक में दरों में वृद्धि करने के लिये बाध्य नहीं है।
- आरबीआई ने प्रत्येक अवसर पर पिछले दो नीति समीक्षा मीटिंगों में 25 बीपीएस की ब्याज दरों में वृद्धि का फैसला किया था। आरबीआई द्वारा तरलता पर ध्यान केंद्रित करने के निर्णय से ब्याज दरों, विशेष रूप से अल्पकालिक दरों पर एक गंभीर प्रभाव पड़ने की उम्मीद है।
- बैंकों ने इस सप्ताह की शुरुआत में उधार दरों में वृद्धि की उम्मीद से उधार दरों को बढाया था, वे आगे ब्याज दर बढ़ाने से बच सकते हैं।
मौद्रिक नीति समिति
मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee-MPC) भारत सरकार द्वारा गठित एक समिति है जिसका गठन ब्याज दर निर्धारण को अधिक उपयोगी एवं पारदर्शी बनाने के लिये 27 जून, 2016 को किया गया था। भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम में संशोधन करते हुए भारत में नीति निर्माण को नवगठित मौद्रिक नीति समिति (MPC) को सौंप दिया गया है।
- वित्त अधिनियम 2016 के द्वारा रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया अधिनियम 1934 (आरबीआई अधिनियम) में संशोधन किया गया, ताकि मौद्रिक नीति समिति को वैधानिक और संस्थागत रूप प्रदान किया जा सके।
- आरबीआई एक्ट के प्रावधानों के अनुसार, मौद्रिक नीति समिति के छह सदस्यों में से तीन सदस्य आरबीआई से होते हैं और अन्य तीन सदस्यों की नियुक्ति केंद्रीय बैंक करता है।
- रिज़र्व बैंक के गवर्नर इस समिति के पदेन अध्यक्ष हैं, जबकि भारतीय रिज़र्व बैंक के डिप्टी गवर्नर मौद्रिक नीति समिति के प्रभारी के तौर पर काम करते हैं।