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भारतीय अर्थव्यवस्था

कोविड-19 की दूसरी लहर से उत्पन्न चुनौतियों का सामना करने के लिये RBI के उपाय

  • 07 May 2021
  • 8 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India- RBI) ने कोविड-19 के संक्रमण की दूसरी लहर के खिलाफ देश की लड़ाई में सहयोग देने के लिये कई उपायों की घोषणा की है।

  • ये उपाय महामारी के खिलाफ एक समुचित और व्यापक रणनीति का पहला हिस्सा हैं।
  • रिज़र्व बैंक ने इससे पूर्व भी वर्ष 2020 में महामारी के कारण आई आर्थिक गिरावट से निपटने के लिये उपायों की घोषणा की थी।

प्रमुख बिंदु

हेल्थकेयर इंफ्रास्ट्रक्चर के लिये टर्म लिक्विडिटी सुविधा:

  • आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाओं के प्रदाताओं के लिये ऋण तक पहुँच को आसान बनाने हेतु रेपो दर (Repo Rate) पर 3 वर्ष तक के कार्यकाल के साथ 50,000 करोड़ रुपये की तरलता सुविधा।
  • इस योजना के अंतर्गत बैंक वैक्सीन निर्माताओं, वैक्सीन के आयातकों/आपूर्तिकर्त्ताओं, अस्पतालों/डिस्पेंसरी, पैथोलॉजी लैब, ऑक्सीजन और वेंटिलेटर के आपूर्तिकर्त्ताओं आदि को ऋण सहायता प्रदान करेंगे।
  • इन ऋणों पुनर्भुगतान या परिपक्वता अवधि, जो भी पहले हो, तक प्राथमिकता क्षेत्र के रूप में वर्गीकृत किया जाता रहेगा।
    • ऋण संबंधी यह सुविधा 31 मार्च, 2022 तक उपलब्ध रहेगी।

लघु वित्त बैंकों के लिये विशेष दीर्घकालिक रेपो परिचालन:

  • RBI लघु वित्त बैंकों (Small Finance Banks-SFBs) के लिये रेपो दर पर 10,000 करोड़ रुपए का तीन वर्षीय विशेष दीर्घकालिक रेपो परिचालन (SLTRO) का आयोजन करेगा।
    • दीर्घकालिक रेपो परिचालन एक ऐसा उपकरण है, जिसके तहत केंद्रीय बैंक प्रचलित रेपो दर पर बैंकों को एक वर्ष से तीन वर्ष तक पैसा मुहैया कराता है।
  • SFBs इससे प्रति उधारकर्त्ता को 10 लाख रुपए तक के नए ऋण की सुविधा देने में सक्षम होंगे।
  • इसका उद्देश्य लघु व्यावसायिक इकाइयों, सूक्ष्म और लघु उद्योगों तथा अन्य असंगठित क्षेत्र की संस्थाओं को महामारी की वर्तमान लहर के दौरान सहायता प्रदान करना है।

प्राथमिकता क्षेत्र ऋण:

  • लघु वित्त बैंकों को अब 500 करोड़ रुपए तक की परिसंपत्ति के आकार वाले माइक्रोफाइनेंस संस्थानों (Micro Finance Institution) को नए ऋण देने की अनुमति है।
    • यह सुविधा 31 मार्च, 2022 तक उपलब्ध रहेगी।

MSME उद्यमियों के लिये ऋण प्रवाह:

  • गैर-बैंकिंग सुविधा वाले सूक्ष्म, लघु एवं मध्‍यम उद्यमों को बैंकिंग प्रणाली में शामिल करने के लिये फरवरी 2021 में प्रदान की गई छूट, जिसमें अधिसूचित बैंकों को नकद आरक्षित अनुपात (Cash Reserve Ratio) की गणना हेतु शुद्ध माँग और समय देयताएँ (Net Demand & Time Liability) में से नए MSME उधारकर्त्ताओं को दिये गए क्रेडिट की कटौती करने की अनुमति दी गई थी,  को अब 31 दिसंबर, 2021 तक बढ़ा दिया गया है।

दबाव समाधान फ्रेमवर्क 2.0:

  • यह फ्रेमवर्क उधारकर्त्ताओं की सबसे संवेदनशील श्रेणियों अर्थात् निजी व्यक्तियों, उधारकर्त्ताओं और MSMEs द्वारा महसूस किये जाने वाले दबाव से राहत देने के लिये है।
  • ऐसे व्यक्ति, उधारकर्त्ता और सूक्ष्‍म, लघु एवं मध्‍यम उद्यम, जिन्होंने किसी भी पिछले फ्रेमवर्क के तहत पुनर्गठन का लाभ नहीं उठाया वे इस फ्रेमवर्क के तहत पात्र होंगे।
  • समाधान फ्रेमवर्क 1.0 के अंतर्गत ऋणों के पुनर्गठन का लाभ उठाने वाले व्यक्तियों और छोटे व्यवसायों के लिये, उधार देने वाले संस्थान अब अवशिष्ट अवधि को 2 वर्ष की कुल अवधि तक बढ़ा सकते हैं।
    • उधार देने वाली संस्थाओं को कार्यशील पूंजी के अनुमोदन की सीमाओं की समीक्षा करने की अनुमति है।

 फ्लोटिंग प्रोविज़न्स एंड काउंटर साइक्लिकल बफर:

  • बैंक अब महामारी संबंधी दबाव को कम करने और पूंजी संरक्षण को सक्षम करने के उपाय के रूप में गैर निष्पादित परिसंपत्तियों (Non-Performing Asset) के लिये विशिष्ट प्रावधान करने हेतु 31 दिसंबर, 2020 तक उनके पास मौजूद फ्लोटिंग प्रोविज़न्स का शत–प्रतिशत उपयोग कर सकते हैं। ऐसे उपयोग को 31 मार्च, 2022 तक क्रियान्वित किये जाने की अनुमति है।
  •  फ्लोटिंग प्रोविजन्स और काउंटर साइक्लिकल बफर (Floating Provisions and Countercyclical Provisioning Buffer) आमतौर पर उस विशिष्ट राशि को संदर्भित करती है, जिसे बैंकों को आरबीआई द्वारा निर्धारित अन्य न्यूनतम पूंजी आवश्यकताओं के अतिरिक्त रखने की आवश्यकता होती है। इसका उपयोग केवल आर्थिक मंदी के समय या असाधारण समय में किया जाता है। बैंकों ने वर्ष 2010 से ऐसे भंडार का निर्माण शुरू किया है।

राज्यों के लिये ओवरड्राफ्ट सुविधा में छूट:

  • राज्य सरकारों के लिये एक तिमाही में ओवरड्राफ्ट के दिनों की अधिकतम संख्या 36 से बढ़ाकर 50 दिन कर दी गई है। वहीं राज्यों के लिये लगातार ओवरड्राफ्ट लेने के दिनों की संख्या 14 से बढ़ाकर 21 दिन कर दी गई है।
    • यह सुविधा 30 सितंबर, 2021 तक उपलब्ध है।
    • इससे पहले राज्यों के अर्थोपाय अग्रिम (Ways and Means Advance) की सीमाएँ बढ़ा दी गई थीं।

KYC मानदंडों का युक्तीकरण:

  • आरबीआई ने मालिकाना हक वाली फर्मों, अधिकृत हस्ताक्षरकर्त्ताओं और कानूनी संस्थाओं के लाभकारी मालिकों जैसे ग्राहकों की नई श्रेणियों के लिये वीडियो KYC (Knowing Your Customer) या V-CIP (वीडियो-आधारित ग्राहक पहचान प्रक्रिया) का दायरा बढ़ाने का भी फैसला किया है।

आगे की राह

  • वायरस की विनाशकारी गति को रोकने के लिये सबसे संवेदनशील वर्गों सहित विभिन्न वर्गों को शामिल करते हुए तेज़, व्यापक, क्रमबद्ध और सही समय पर कार्रवाई की जानी आवश्यक है।
  • भारत ने दूसरी लहर के दौरान संक्रमण और मृत्यु दर में हुई भयंकर वृद्धि से बहादुरी के साथ लड़ते हुए टीकाकरण तथा चिकित्सा सहायता मुहैया कराने संबंधी अभियानों में बढ़ोतरी की है। ऐसी परिस्थिति में कार्यस्थलों, शिक्षा एवं आय तक पहुँच को सामान्य बनाना और आजीविका स्तर पर सामान्य स्थिति बहाल करना अनिवार्य हो जाता है।

स्रोत: पी.आई.बी.

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