भारतीय अर्थव्यवस्था
पीसीए की पाबंदियों से मुक्त हुए सार्वजनिक क्षेत्र के तीन बैंक
- 01 Feb 2019
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चर्चा में क्यों?
भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India-RBI) ने सार्वजनिक क्षेत्र के 3 बैंकों को त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (Prompt Corrective Action-PCA) की पाबंदियों से मुक्त कर करने का फैसला किया है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु
- जिन तीन बैंकों को PCA की पाबंदियों से मुक्त करने का निर्णय लिया गया है उनमें बैंक ऑफ इंडिया (Bank Of India-BOI), बैंक ऑफ महाराष्ट्र (Bank of Maharashtra) और ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स (Oriental Bank of Commerce) शामिल हैं।
- RBI ने यह निर्णय सरकार द्वारा पूंजी लगाने और इन बैंकों के शुद्ध गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (Non-Performing Assets) के अनुपात में हुई कमी को देखते हुए लिया है।
- रिज़र्व बैंक के अनुसार, बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ महाराष्ट्र ने नियामकीय बाध्यताओं को पूरा कर लिया है। इसके अलावा, तीसरी तिमाही के परिणामों में इन बैंकों का शुद्ध NPA 6% से कम रहा है। इसलिये इन्हें PCA के दायरे से बाहर करने का निर्णय लिया गया है।
- इन तीन बैंकों के PCA दायरे से बाहर निकलने के बाद अभी भी सार्वजनिक क्षेत्र के आठ बैंक प्रतिबंधों का सामना कर रहे हैं जिन पर खराब वित्तीय स्थिति के कारण प्रतिबंध लगाए गए थे।
- ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स में सरकार की ओर से पर्याप्त पूंजी डाले जाने के बाद बैंक का शुद्ध NPA 6% से नीचे आ गया। जिसके चलते इस बैंक को भी PCA के दायरे से बाहर रखने का निर्णय लिया गया है। हालाँकि, ओरियंटल बैंक ऑफ़ कॉमर्स पर कुछ प्रतिबंध लगे रहेंगे और उस पर नज़र रखी जाएगी।
त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (Prompt Corrective Action-PCA)
- त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (PCA) एक ऐसा ढाँचा है जिसके तहत कमज़ोर वित्तीय तंत्र वाले बैंकों को RBI की निगरानी में रखा जाता है।
- RBI ने वर्ष 2002 में PCA फ्रेमवर्क को एक संरचित (Structured) त्वरित हस्तक्षेप तंत्र (Early-Intervention Mechanism) के रूप में उन बैंकों के लिये तैयार किया था जो परिसंपत्ति की ख़राब गुणवत्ता या लाभप्रदता के नुकसान के कारण ख़राब स्थिति में पहुँच चुके थे।
- इसके तहत भारतीय रिज़र्व बैंक कमज़ोर और संकटग्रस्त बैंकों पर आकलन, निगरानी, नियंत्रण और सुधारात्मक कार्रवाई के लिये कुछ सतर्कता बिंदु आरोपित करता है।