भारतीय अर्थव्यवस्था
निष्क्रिय खातों और दावा न की गई जमाराशियों पर RBI के दिशा-निर्देश
- 04 Jan 2024
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प्रिलिम्स के लिये:भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI), निष्क्रिय खाता, जमाकर्ता शिक्षण और जागरूकता (DEA) निधि, अपने ग्राहक को जानिये/नो योर कस्टमर मेन्स के लिये:उपभोक्ता हितों, बैंकिंग क्षेत्र की रक्षा में RBI के उपाय |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने हाल ही में वर्गीकरण तथा सक्रियण प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने के उद्देश्य से निष्क्रिय खातों (Inoperative Account) तथा अदावी/दावा न किये गए जमा (Unclaimed Deposits) के संबंध में दिशा-निर्देशों को संशोधित किया है।
- संशोधित दिशा-निर्देश सभी वाणिज्यिक बैंकों तथा सभी सहकारी बैंकों पर लागू होंगे तथा 1 अप्रैल 2024 से क्रियान्वित किये जाएँगे।
निष्क्रिय खाते और अदावी जमा क्या हैं?
- निष्क्रिय खाता:
- दो वर्षों से अधिक समय तक कोई 'ग्राहक-प्रेरित लेन-देन' नहीं करने वाला खाता निष्क्रिय माना जाता है।
- ग्राहक-प्रेरित विनिमय, बैंक अथवा तीसरे पक्ष द्वारा खाताधारक के अनुरोध पर शुरू किया गया अथवा पूर्व में किया गया वित्तीय लेन-देन, एक गैर-वित्तीय लेन-देन अर्थात प्रत्यक्ष रूप से अथवा डिजिटल माध्यमों जैसे इंटरनेट बैंकिंग अथवा बैंक के मोबाइल बैंकिंग एप्लिकेशन अपने ग्राहक को जानिये (Know Your Customer- KYC) के माध्यम से अपडेट हो सकता है।
- निष्क्रिय बैंक खातों में लगभग ₹1-1.30 लाख करोड़ जमा होने का अनुमान है।
- दो वर्षों से अधिक समय तक कोई 'ग्राहक-प्रेरित लेन-देन' नहीं करने वाला खाता निष्क्रिय माना जाता है।
- अदावी जमा:
- 10 वर्षों से निष्क्रिय बचत/चालू खातों में जमा राशि अथवा परिपक्वता के 10 वर्षों के बाद दावा नहीं किये गए मीयादी जमा (Term Deposit) को अदावी निक्षेप माना जाता है।
- मार्च 2023 तक बैंकों में लगभग ₹42,270 करोड़ अदावी थे।
संशोधित RBI दिशानिर्देश क्या हैं?
- वार्षिक समीक्षा:
- बैंकों को उन खातों की वार्षिक समीक्षा करनी चाहिये जिनमें एक वर्ष से अधिक समय से कोई ग्राहक-प्रेरित विनिमय नहीं हुआ है।
- सावधिक जमा को नवीनीकृत करने के स्पष्ट आदेश के अभाव में बैंकों को ऐसे खातों की समीक्षा करनी चाहिये।
- ऐसी जमा राशियों को अन्क्लेम्ड/दावा न किये जाने (Unclaimed) से बचाने के लिये, बैंकों को उन खातों की जाँच करनी चाहिये जहाँ उपभोक्ताओं ने परिपक्वता अवधि पूरी होने पर अपनी आय की निकासी नहीं की है या उसे अपने बचत या चालू खाते में स्थानांतरित नहीं किया है।
- बैंकों को उन खातों की वार्षिक समीक्षा करनी चाहिये जिनमें एक वर्ष से अधिक समय से कोई ग्राहक-प्रेरित विनिमय नहीं हुआ है।
- संचार प्रोटोकॉल:
- बैंकों को निर्देश दिया गया है कि वे पिछले वर्ष में परिचालन की कमी के बारे में खाताधारकों को पत्र, ईमेल या SMS के माध्यम से सूचित करें।
- यदि अगले वर्ष कोई परिचालन नहीं होता है तो अलर्ट संदेशों में खाते की आसन्न 'निष्क्रिय' स्थिति स्पष्ट रूप से बताई जानी चाहिये।
- ऐसे मामलों में ग्राहकों को पुनः सक्रियण के लिये नए KYC दस्तावेज़ जमा करने होंगे।
- निष्क्रिय खातों के लिये वर्गीकरण मानदंड:
- वर्गीकरण के लिये केवल ग्राहक-प्रेरित विनिमय पर विचार किया जाता है, न कि बैंक-प्रेरित विनिमय पर।
- स्थायी निर्देश या बिना किसी अन्य परिचालन के स्वत: नवीनीकरण जैसे अधिदेशों को भी ग्राहक-प्रेरित विनिमय माना जाता है।
- बैंक-प्रेरित विनिमय में भुगतान शुल्क, शुल्क, ब्याज भुगतान, ज़ुर्माना और कर शामिल हैं।
- किसी खाते का निष्क्रिय खाते के रूप में वर्गीकरण, ग्राहक के किसी विशेष खाते के संदर्भ में होगा न कि ग्राहक के।
- वर्गीकरण के लिये केवल ग्राहक-प्रेरित विनिमय पर विचार किया जाता है, न कि बैंक-प्रेरित विनिमय पर।
- निष्क्रिय वर्गीकरण से छूट:
- सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों और छात्रों के लिये खोले गए खातों (शून्य बैलेंस के साथ) को कोर बैंकिंग समाधान में पृथक किया जाना चाहिये।
- यह सुनिश्चित करता है कि दो वर्ष से अधिक समय तक खाते का संचालन न होने के कारण 'निष्क्रिय' लेबल लागू नहीं किया जाएगा।
- सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों और छात्रों के लिये खोले गए खातों (शून्य बैलेंस के साथ) को कोर बैंकिंग समाधान में पृथक किया जाना चाहिये।
- पुनर्सक्रियन प्रक्रिया:
- निष्क्रिय खातों को पुनः सक्रिय करने के लिये KYC दस्तावेज़ जमा करना आवश्यक है। यह प्रक्रिया गैर-घरेलू शाखाओं सहित सभी शाखाओं पर लागू होती है।
- खाताधारक द्वारा अनुरोध किये जाने पर वीडियो-ग्राहक पहचान प्रक्रिया (Video based Customer Identification Process - V-CIP) का उपयोग पुनः सक्रियण के लिये भी किया जा सकता है।
- निष्क्रिय खातों को सक्रिय करने के लिये किसी शुल्क की अनुमति नहीं है।
- निष्क्रिय खातों को पुनः सक्रिय करने के लिये KYC दस्तावेज़ जमा करना आवश्यक है। यह प्रक्रिया गैर-घरेलू शाखाओं सहित सभी शाखाओं पर लागू होती है।
- दंड एवं ब्याज:
- निष्क्रिय खाते के रूप में वर्गीकृत किसी भी खाते में न्यूनतम शेष राशि न बनाए रखने पर बैंक दंडात्मक शुल्क लगाने के लिये अधिकृत नहीं हैं।
- सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों और छात्रों के लिये खोले गए खातों (शून्य बैलेंस के साथ) को कोर बैंकिंग समाधान में अलग किया जाना चाहिये।
- यह सुनिश्चित करता है कि दो साल से अधिक समय तक संचालन न होने के कारण 'निष्क्रिय' लेबल लागू नहीं किया जाता है।
- बचत खातों पर ब्याज नियमित रूप से जमा किया जाना चाहिये, भले ही खाता चालू हो या नहीं।
- जमाकर्त्ता शिक्षा और जागरूकता कोष:
- बैंकों में खोले गए किसी भी जमा खाते में क्रेडिट शेष, जो दस साल या उससे अधिक समय से संचालित नहीं है, को बैंकों द्वारा रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा बनाए गए जमाकर्त्ता शिक्षा और जागरूकता (Depositor Education and Awareness- DEA) कोष में स्थानांतरित करना आवश्यक है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. यदि आर.बी.आई. प्रसारवादी मौद्रिक नीति का अनुसरण करने का निर्णय लेता है, तो वह निम्नलिखित में से क्या नहीं करेगा? (2020)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये- (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (b) मेन्स:प्रश्न. क्या आप इस मत से सहमत हैं कि सकल घरेलू उत्पाद की स्थायी संवृद्धि तथा निम्न मुद्रास्फीति के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था अच्छी स्थिति में है? अपने तर्कों के समर्थन में कारण दीजिये। (2019) |