भारतीय अर्थव्यवस्था
RBI ने ECB मानदंडों को आसान बनाया
- 17 Jan 2019
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चर्चा में क्यों?
भारत में व्यापार को आसान और बेहतर बनाने के लिये भारतीय रिज़र्व बैंक ने एक नया बाह्य वाणिज्यिक ऋण (External Commercial Borrowing-ECB) ढाँचा तैयार किया है।
प्रमुख बिंदु
- नए ढाँचे के तहत सभी योग्य उधारकर्त्ता ऑटोमेटिक रूट के ज़रिये एक वित्त वर्ष में 750 मिलियन डॉलर या इसके बराबर की रकम बाहरी वाणिज्यिक ऋण के रूप में ले सकते हैं। पहले यह सीमा अलग-अलग क्षेत्रों के लिये अलग-अलग निर्धारित थी
- केंद्रीय बैंक ने पात्र उधारकर्त्ताओं और मान्यता प्राप्त उधारदाताओं की सूची का भी विस्तार किया है।
- कच्चे तेल की खरीद के लिये डॉलर की मांग के चलते विदेशी मुद्रा बाज़ार में उत्पन्न अस्थिरता पर अंकुश लगाने के लिये यह ढाँचा सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों को एक विशेष छूट प्रदान करता है।
- इसके अलावा सभी वाणिज्यिक ऋणों की न्यूनतम औसत परिपक्वता अवधि (Minimum Average Maturity Period-MAMP) तीन साल निर्धारित की गई है, चाहे जितनी भी रकम हो।
- एफडीआई प्राप्त करने के लिये पात्र सभी संस्थाओं को शामिल करने हेतु उधारकर्त्ताओं की सूची का विस्तार किया गया है।
- इसके अतिरिक्त, पोर्ट ट्रस्ट, SEZ, SIDBI, एक्जिम बैंक की इकाइयों और सूक्ष्म वित्त (Micro-finance) जैसी गतिविधियों में लगे पंजीकृत कंपनियाँ भी इस ढाँचे के तहत उधार ले सकती हैं।
परिपक्वता अवधि
- ECB के लिये न्यूनतम परिपक्वता अवधि तीन वर्ष होगी, मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों को यह एक वर्ष की परिपक्वता अवधि के साथ प्रति वित्तीय वर्ष में 50 मिलियन डॉलर तक बढ़ाने की अनुमति देता है।
- इसके अलावा यदि ECB को विदेशी इक्विटी धारक द्वारा बढ़ाया जाता है और कार्यशील पूंजी, सामान्य कॉर्पोरेट उद्देश्यों या रुपए में ऋणों के पुनर्भुगतान के लिये उपयोग किया जाता है तो परिपक्वता अवधि पाँच वर्ष होगी।
- यह संभवतः विदेशी शेयर धारकों को प्रोत्साहित करने के लिये किया गया है, विशेष रूप से भारतीय एयरलाइंस में अपने भारतीय भागीदारों का समर्थन करने के लिये। इससे जेट एयरवेज़ को अपने मौजूदा वित्तीय संकट से निपटने में मदद मिल सकती है।