भारतीय अर्थव्यवस्था
धीमी जमा वृद्धि पर RBI की चिंता
- 23 Nov 2022
- 6 min read
प्रिलिम्स के लिये:मुद्रास्फीति, कोविड-19, रूस-यूक्रेन, परिसंपत्ति गुणवत्ता, NPA। मेन्स के लिये:धीमी जमा वृद्धि और परिसंपत्ति गुणवत्ता पर चिंताएँ। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में RBI ने क्रेडिट ग्रोथ, एसेट क्वालिटी और नए जमाने के टेक्नोलॉजी सॉल्यूशंस को अपनाने के संबंध में डिपॉज़िट में पिछड़ने पर चिंता जताई है और बैंकों को सतर्क रहने की सलाह दी है।
बैंकों को सतर्क रहने की आवश्यकता:
- रिज़र्व बैंक ने कहा कि घरेलू समष्टि अर्थशास्त्र परिदृश्य को मज़बूत माना जा सकता है लेकिन वैश्विक चुनौतियों के प्रति यह संवेदनशील है।
- यह वर्तमान वैश्विक तीन स्रोतों से उत्पन्न हो रही हैं;
a. यूक्रेन में रूस की कार्रवाई ऊर्जा आपूर्ति और कीमतों को (विशेष रूप से यूरोप में) प्रभावित करती है।
b. चीन में ज़ीरो-कोविड नीति के कारण बार-बार लॉकडाउन लगने के कारण आर्थिक मंदी।
c. मुद्रास्फीति के दबाव के कारण जीवन यापन की लागत में वृद्धि।
इस प्रकार दुनिया भर में मौद्रिक नीतियों, विशेष रूप से उन्नत अर्थव्यवस्थाओं को सख्त किया जा रहा है, जिससे उभरती और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में वित्तीय स्थिरता ज़ोखिम के बारे में चिंताएँ बढ़ रही हैं।
डिपॉज़िट और क्रेडिट ग्रोथ:
- बैंकों की क्रेडिट-डिस्बर्सिंग बैंडविड्थ उनके इन-हाउस रिज़र्व द्वारा निर्धारित की जाती है। इससे भी महत्त्वपूर्ण बात यह है कि अधिक आर्थिक गतिविधि के साथ ऋण की मांग बढ़ती है।
- भारतीय रिज़र्व बैंक के अनुसार, कुल ऋण मांग वर्तमान में एक "असमान प्रोफाइल" है।
- शहरी मांग मज़बूत दिखाई दे रही है और ग्रामीण मांग जो सुस्त थी, उसने भी हाल ही में कुछ मज़बूती हासिल करना शुरू कर दिया है।
- सेवाओं, व्यक्तिगत ऋण, कृषि और उद्योग के नेतृत्व में वाणिज्यिक बैंक ऋण वृद्धि भी हो रही है।
- यह कार्यशील पूंजी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये बैंक ऋण हेतु बढ़ती प्राथमिकता को दर्शाता है।
- अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के लिये आरबीआई के नवीनतम साप्ताहिक आँकड़ों के अनुसार कुल डिपॉज़िट राशि साल-दर-साल आधार पर 11.4% की तुलना में 8.2% बढ़ी है, जबकि साल-दर-साल आधार पर 7.1% की वृद्धि की तुलना में क्रेडिट ऑफ-टेक में 17% की वृद्धि हुई है। .
- CRISIL के अनुसार ऐसा नहीं है कि डिपॉज़िट ग्रोथ कम गई है, लेकिन क्रेडिट ग्रोथ पिछली कुछ तिमाहियों में बढ़ी है।
- महामारी के दौरान कम आर्थिक गतिविधियों के कारण ऋण वृद्धि धीमी थी। अब आर्थिक गतिविधि के सामान्य स्थिति में लौटने के साथ विशेष रूप से पिछली तीन तिमाहियों में ऋण वृद्धि में तेज़ी आई है।
बैंकों की संपत्ति की गुणवत्ता की स्थिति:
- सकल गैर-निष्पादित संपत्ति (Non-Performing Assets-GNPA) में लगातार गिरावट आई है, शुद्ध NPA कुल संपत्ति का 1% तक गिर गया है।
- लिक्विडिटी कवर मज़बूत है और लाभदेयता बढ़ी है। हालाँकि बाज़ार सहभागियों ने व्यापक आर्थिक स्थिति के आलोक में कॉरपोरेट्स के संबंध में चिंता जताई है।
- संपत्ति की गुणवत्ता में सुधार का कारण पिछले कुछ वर्षों में कॉर्पोरेट इंडिया में हुआ डी-लीवरेजिंग है, जिसमें अधिकांश कॉर्पोरेट अपने ऋण स्तर में कटौती करने और अपने क्रेडिट प्रोफाइल में सुधार करने में सक्षम हुए हैं।
- नेशनल एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड की स्थापना के कारण आगामी वित्त वर्ष के दौरान कॉर्पोरेट NPA में कमी आने की उम्मीद है, इससे उन कुछ पुराने कॉर्पोरेट ऋण NPA को खत्म किये जाने की उम्मीद है जो अभी भी बैंकों के पास हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (c) |