सीकेपी सहकारी बैंक का लाइसेंस रद्द | 04 May 2020
प्रीलिम्स के लियेन्यूनतम पूंजी, नियामक पूंजी, जमा बीमा और क्रेडिट गारंटी निगम मेन्स के लियेबैंकों के विनियमन में RBI की भूमिका |
चर्चा में क्यों?
भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India-RBI) ने अस्थिर वित्तीय स्थिति के मद्देनज़र मुंबई स्थित सीकेपी सहकारी बैंक (CKP Co-operative Bank) के लाइसेंस को रद्द कर दिया है।
प्रमुख बिंदु
- RBI के अनुसार, महाराष्ट्र के सहकारी समिति पंजीयक (Registrar of Co-operative Societies) से भी सीकेपी सहकारी बैंक के मामले को निपटाने और एक लिक्वीडेटर (Liquidator) नियुक्त करने का आदेश जारी करने हेतु अनुरोध किया गया है।
- किसी कंपनी या बैंक से संबंधित मामलों के निपटना हेतु नियुक्त किये गए व्यक्ति को लिक्वीडेटर (Liquidator) कहते हैं।
- लिक्वीडेशन (Liquidation) पर प्रत्येक जमाकर्त्ता जमा बीमा और क्रेडिट गारंटी निगम (Deposit Insurance and Credit Guarantee Corporation- DICGC) से 5 लाख रुपए की सीमा तक उसकी जमा राशि के पुनर्भुगतान का हकदार होगा।
- वित्तीय क्षेत्र में लिक्वीडेशन (Liquidation) का अभिप्राय किसी एक व्यवसाय को समाप्त करने और दावेदारों को संपत्ति वितरित करने की प्रक्रिया से होता है।
कारण
- सीकेपी सहकारी बैंक (CKP Co-operative Bank) का लाइसेंस रद्द करते हुए RBI ने कहा कि बैंक की वित्तीय स्थिति अभी काफी चिंताजनक और अस्थिर है।
- इसके अतिरिक्त किसी अन्य बैंक के साथ सीकेपी सहकारी बैंक के विलय के लिये कोई ठोस पुनरुद्धार योजना या प्रस्ताव भी नहीं आया है।
- RBI के अनुसार, सीकेपी सहकारी बैंक न्यूनतम पूंजी (Minimum Capital) और न्यूनतम संचय (Minimum Reserves) जैसी आवश्यकताओं के अतिरिक्त यह 9 प्रतिशत की न्यूनतम नियामक पूंजी (Regulatory Capital) की आवश्यकता को भी पूरा नहीं करता है।
- सीकेपी सहकारी बैंक अपने वर्तमान और भविष्य के जमाकर्त्ताओं को भुगतान करने की स्थिति में नहीं है।
सीकेपी सहकारी बैंक
(CKP Co-operative Bank)
- सीकेपी सहकारी बैंक (CKP Co-operative Bank) मुंबई का एक सहकारी बैंक है, जिसका मुख्यालय मुंबई के माटुंगा (Matunga) में स्थित है।
- बैंक की मुंबई और ठाणे में कुल 8 शाखाएँ है।
- ध्यातव्य है कि बैंक का घाटा बढ़ने और नेट वर्थ (Net worth) में बड़ी गिरावट आने के कारण बैंक के लेन-देन पर वर्ष 2014 में प्रतिबंध लगाया गया था, जिसके पश्चात् कई बार बैंक का घाटा कम करने का प्रयत्न किया गया, किंतु बैंक की स्थिति में सुधार नहीं आया है।
न्यूनतम पूंजी (Minimum Capital)
- न्यूनतम पूंजी (Minimum Capital) एक अवधारणा है जिसका उपयोग कंपनी कानूनों और बैंकिंग विनियमनों में यह निर्धारित करने के लिये किया जाता है कि संगठन को न्यूनतम आवश्यकता के रूप में कितनी संपत्ति रखनी चाहिये।
नियामक पूंजी (Regulatory Capital)
- पूंजी-पर्याप्तता (Capital Adequacy) का अभिप्राय पूंजी के उस वैधानिक न्यूनतम भंडार से होता है जो एक बैंक या अन्य वित्तीय संस्थान के पास किसी भी समय उपलब्ध होना अनिवार्य है।
जमा बीमा और क्रेडिट गारंटी निगम
(Deposit Insurance and Credit Guarantee Corporation-DICGC)
- जमा बीमा और क्रेडिट गारंटी निगम वर्ष 1978 में जमा बीमा निगम (Deposit Insurance Corporation-DIC) तथा क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (Credit Guarantee Corporation of India-CGCI) के विलय के बाद अस्तित्व में आया था।
- यह भारत में बैंकों के लिये जमा बीमा और ऋण गारंटी के रूप में कार्य करता है। यह भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा संचालित और पूर्ण स्वामित्त्व वाली सहायक कंपनी है।