भारतीय विरासत और संस्कृति
रावण का विमानन मार्ग
- 21 Jul 2020
- 6 min read
प्रीलिम्स के लिये:थेरवाद, रावण-1, दांडू मोनारा मेन्स के लिये:श्रीलंका में सांस्कृतिक प्रभुत्त्व का उभार और भारत के हित |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में श्रीलंका के विमानन प्राधिकरण ने कहा है कि वह एक पौराणिक चरित्र रावण के ‘विमानन मार्गों’ (Ravana’s Aviation Routes) का अध्ययन करने के लिये एक शोध परियोजना का नेतृत्व करेगा।
प्रमुख बिंदु:
- सिंहल में एक हालिया अखबार के विज्ञापन में श्रीलंका के नागरिक उड्डयन प्राधिकरण (Civil Aviation Authority of Sri Lanka) ने ‘राजा रावण और अब खो चुके हवाई मार्गों के प्राचीन प्रभुत्त्व’ विषय पर शोध करने के लिये जनता से कोई भी प्रासंगिक दस्तावेज़ एवं साहित्य की मांग की है और उनसे ईमेल एवं फोन नंबर पर संपर्क करने के लिये कहा है।
- यह विज्ञापन श्री लंका के पर्यटन एवं विमानन मंत्रालय (Ministry of Tourism and Aviation) द्वारा जारी किया गया था।
- श्रीलंकाई सरकार का मानना है कि रावण ने 5000 वर्ष पहले उड़ान भरी थी और वह दुनिया का पहला विमान चालक था। श्री लंका प्राचीन काल में उड़ान भरने के लिये इस्तेमाल किये जाने वाले तरीकों की खोज करना चाहता है।
- अनुसंधान में पहले चरण के रूप में श्रीलंका के नागरिक उड्डयन प्राधिकरण ने राजा रावण से संबंधित दस्तावेज़, किताबें एवं अन्य ऐतिहासिक सामग्री एकत्र करना शुरू किया है।
महत्त्व:
1. रामायण से संबंधित तथ्य:
- भारतीय धर्मग्रंथ रामायण के अनुसार, रावण ने पुष्पक विमान (Pushpak Vimana) नामक एक विमान का उपयोग किया था और इसे विश्वकर्मा ने बनाया था।
2. रावण-1 (Ravana-1):
- श्रीलंका ने अपना पहला उपग्रह रावण-1 (Ravana-1) नामित किया जिसे जून 2019 में प्रक्षेपित किया गया था।
3. दांडू मोनारा (Dandu Monara):
- वर्ष 2016 में कोलंबो में एक सम्मेलन में नागरिक उड्डयन विशेषज्ञों को संबोधित करते हुए तत्कालीन श्री लंका के परिवहन एवं नागरिक उड्डयन मंत्री निमल सिरिपाला डी सिल्वा (Nimal Siripala de Silva) ने टिप्पणी की थी कि वैश्विक उड्डयन का आधुनिक इतिहास राइट ब्रदर्स (Wright Brothers) के साथ शुरू हुआ किंतु श्रीलंका में किंवदंती है कि रावण नामक एक राजा ने न केवल देश के भीतर बल्कि आस पास के क्षेत्र में भी उड़ान भरने के लिये ‘दांडू मोनारा’ (Dandu Monara) नामक एक उड़ने वाली मशीन का इस्तेमाल किया था।
4. सिंहला-बौद्ध समुदाय (Sinhala-Buddhits community):
- श्रीलंका का बहुसंख्यक सिंहला-बौद्ध समुदाय राजा रावण का गुणगान करता है और यह समूह खुद को ‘रावण बलाया’ (Ravana Balaya) कहता है।
5. भारत से संबंध:
- तमिलनाडु में राजनीतिक द्रविड़ियन दलों ने रावण को श्रीलंका के बौद्ध समुदाय की तरह ‘बहादुर राजा’ के रूप में स्वीकार किया है।
6. पर्यटन:
- उल्लेखनीय है कि श्रीलंका का पर्यटन क्षेत्र भारत के पर्यटकों के लिये 'रामायण पदचिन्ह' (Ramayana Trail) को बढ़ावा देता है। भारत, श्रीलंका के सबसे बड़े पर्यटन बाज़ारों में से एक है।
सिंहला-बौद्ध समुदाय:
- यह समुदाय बौद्ध धर्म की थेरवाद शाखा पर केंद्रित है जो श्रीलंका के अधिकांश सिंहलियों की बहुसंख्यक विश्वास प्रणाली है।
- सिंहली श्री लंका में सबसे बड़ा जातीय समूह है।
- यह ब्रिटिश साम्राज्य द्वारा श्रीलंका के औपनिवेशीकरण की प्रतिक्रिया में उत्पन्न हुआ और श्री लंका की स्वतंत्रता के बाद तेज़ी से मुखर हुआ।
- वर्ष 1948 में ब्रिटिश औपनिवेशिक वर्चस्व की समाप्ति के बाद सिंहली बहुसंख्यक द्वारा तमिल अल्पसंख्यक के खिलाफ भेदभाव से श्रीलंका में जातीय संघर्ष हुए।
थेरवाद:
- वर्तमान में यह बौद्ध धर्म की सबसे प्राचीन शाखा है।
- यह भगवान बुद्ध की मूल शिक्षाओं के सबसे करीब है।
- थेरवाद बौद्ध धर्म श्रीलंका में विकसित हुआ और बाद में शेष दक्षिण-पूर्व एशिया में फैल गया।
- यह कंबोडिया, लाओस, म्यांमार, श्रीलंका और थाईलैंड में बुद्ध धर्म का प्रमुख रूप है।
- भारत में, बौद्ध धर्म की इस शाखा का प्रतिनिधित्त्व डॉ. बी. आर. अंबेडकर के अनुयायियों द्वारा किया जाता है। जिन्हें ‘अंबेडकर बौद्ध’ के रूप में जाना जाता है।