भूगोल
रतले पनबिजली परियोजना
- 23 Jan 2021
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चर्चा में क्यों?
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ ज़िले में चिनाब नदी पर स्थित 850 मेगावाट की रतले पनबिजली परियोजना (Ratle Hydropower Project) हेतु 5281.94 करोड़ रुपए के निवेश की मंज़ूरी दे दी है।
प्रमुख बिंदु
रतले पनबिजली परियोजना:
- विशेषताएँ: इसमें 133 मीटर लंबा बाँध और एक-दूसरे से सटे दो बिजली स्टेशन शामिल हैं।
- दोनों पावर स्टेशनों की स्थापित क्षमता 850 मेगावाट होगी।
- पृष्ठभूमि: तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री ने जून 2013 में इस बाँध की आधारशिला रखी थी।
- पाकिस्तान अक्सर आरोप लगाता रहता है कि यह परियोजना सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty), 1960 का उल्लंघन करती है।
- हाल की स्वीकृति: इसके तहत लगभग 5282 करोड़ रुपए के निवेश की परिकल्पना की गई है और इस परियोजना को 60 महीने के भीतर चालू किया जाएगा।
पाकिस्तान की आपत्तियाँ और सिंधु जल संधि:
- पाकिस्तान सरकार ने वर्ष 2013 में बाँध के निर्माण पर आपत्ति जताते हुए दावा किया था कि यह सिंधु जल संधि के अनुरूप नहीं है।
- भारत को बाँध बनाने की अनुमति विश्व बैंक (World Bank) ने अगस्त 2017 में दे दी थी।
- पाकिस्तान ने विश्व बैंक में अपनी इस आपत्ति को उठाया, लेकिन अब केंद्र ने निर्माण को जारी रखने का फैसला लिया है।
- विश्व बैंक की मदद से भारत और पाकिस्तान के बीच नौ साल तक चली बातचीत के बाद वर्ष 1960 में सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर किये गए थे। विश्व बैंक इस संधि का एक हस्ताक्षरकर्त्ता भी है।
- यह संधि भारत को पूर्वी नदियों के पानी पर पूर्ण नियंत्रण प्रदान करती है, जबकि पाकिस्तान को पश्चिमी नदियों के पानी को बिना रोके उपयोग करने का अधिकार देती है।
- पूर्वी नदियों में रावी, व्यास और सतलज शामिल हैं तो पश्चिमी नदियों में चिनाब, झेलम और सिंधु शामिल हैं।
लाभ:
- रणनीतिक:
- भारत सरकार जम्मू-कश्मीर को केंद्रशासित प्रदेश बनाने से पहले ही यहाँ रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण जलविद्युत परियोजनाओं में तेज़ी लाने पर विचार कर रही थी, यह परियोजना भी इसी पृष्ठभूमि में आती है। भारत सरकार सिंधु जल संधि के तहत अपने हिस्से के पानी का पूरी तरह से उपयोग करना चाहती है।
- इस कार्य को चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (China-Pakistan Economic Corridor) के संदर्भ में रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण माना जाता है।
- सामाजिक-आर्थिक विकास: इस परियोजना की निर्माण संबंधी गतिविधियों के परिणामस्वरूप लगभग 4000 व्यक्तियों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से रोज़गार मिलेगा और साथ ही यह परियोजना केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के समग्र सामाजिक-आर्थिक विकास में अहम योगदान देगी।
- सस्ती दरों पर बिजली: इससे केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर को 5289 करोड़ रुपए की मुफ्त बिजली मिलेगी।
- अधिशेष बिजली: इस परियोजना से उत्पन्न बिजली ग्रिड (Grid) को संतुलन प्रदान करने में मदद करेगी और साथ ही इससे बिजली आपूर्ति की स्थिति में सुधार होगा।
- ग्रिड के संतुलन के लिये मौजूदा बिजली उत्पादन के बुनियादी ढाँचे को विकसित करना होगा।
- सरकारी राजस्व: जम्मू-कश्मीर को रतले पनबिजली परियोजना (40 वर्ष जीवन चक्र) से 9581 करोड़ रुपए का लाभ होगा।
चिनाब बेसिन पर अन्य परियोजनाएँ:
- कीरू पनबिजली परियोजना:
- कीरू महा परियोजना की कुल क्षमता 624 मेगावाट है जो चिनाब नदी (किश्तवाड़ ज़िला) पर प्रस्तावित है।
- पकल डल पनबिजली परियोजना:
- यह जम्मू-कश्मीर के डोडा ज़िले में चिनाब नदी की सहायक मारुसुदर (Marusudar) नदी पर प्रस्तावित एक जलाशय आधारित योजना है।
- दुलहस्ती पावर स्टेशन:
- यह पावर स्टेशन 390 मेगावाट क्षमता वाली ‘रन आफ द रिवर’ (Run-of-the-River) स्कीम है, जो चिनाब नदी की जलविद्युत क्षमता का दोहन करती है।
- सलाल पावर स्टेशन:
- यह एक रन-ऑफ-द-रिवर स्कीम है। इसके तहत 690 मेगावाट की स्थापित क्षमता के साथ चिनाब नदी की जल विद्युत क्षमता का उपयोग किया जाता है। यह जम्मू-कश्मीर के रियासी (Reasi) ज़िले में स्थित है।
चिनाब नदी:
- चिनाब नदी भारत-पाकिस्तान होकर बहने वाली एक प्रमुख नदी है और पंजाब क्षेत्र की 5 प्रमुख नदियों में शामिल है।
उद्गम:
- इसका उद्गम भारत के हिमाचल प्रदेश के लाहुल एवं स्पीति ज़िले में ऊपरी हिमालय के बारालाचा-ला दर्रे के पास से होता है। इसके बाद चिनाब नदी जम्मू-कश्मीर के जम्मू क्षेत्र से बहती हुई पाकिस्तान के पंजाब के मैदान में प्रवेश करती है और आगे चलकर सतलज नदी में मिल जाती है।
- चिनाब नदी हिमाचल प्रदेश के लाहुल एवं स्पीति ज़िले के तांडी में दो नदियों चंद्र एवं भागा के संगम से बनती है।
- भागा नदी सूर्या ताल झील से निकलती है जो हिमाचल प्रदेश में बारालाचा-ला दर्रे के पास अवस्थित है।
- चंद्र नदी का उद्गम बारालाचा-ला दर्रे (चंद्र ताल के पास) के पूर्व के ग्लेशियरों से होता है।