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भारतीय अर्थव्यवस्था

रेलवे किराये का समायोजन

  • 11 Mar 2021
  • 9 min read

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में रेलवे की संसदीय स्थायी समिति ने माल और यात्री किराये दोनों के तार्किक समायोजन का सुझाव दिया है।

प्रमुख बिंदु: 

समिति का अवलोकन:

  • सामाजिक सेवा दायित्व:
    • समिति ने रेलवे को कथित रूप से सामाजिक सेवा दायित्वों के कारण यात्री सेवाओं में होने वाले नुकसान पर चिंता व्यक्त की है, गौरतलब है कि सामाजिक सेवा दायित्वों में लागत से कम कीमत के टिकटों के किराये का निर्धारण शामिल है।
    • रेलवे को यात्री परिवहन में एक वर्ष में लगभग 35,000-38,000 करोड़ रुपए की हानि होती है।
  • Covid-19 का प्रभाव:
    • Covid-19 महामारी के दौरान रेलवे परिचालन के निलंबन के कारण यात्री सेवाओं से प्राप्त राजस्व में और अधिक गिरावट देखी गई है।
  • परिचालन अनुपात:
    • समिति ने रेलवे परिचालन अनुपात (Operating Ratio) में नियमित रूप से गिरावट को रेखांकित किया है।
    • OR यह दर्शाता है कि रेलवे को एक रुपया कमाने के लिये कितना धन खर्च करना पड़ता है। यह रेलवे के वित्तीय स्वास्थ्य का आकलन करने में सहायता करता है।
    • उदाहरण के रूप में वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिये 98.36% का परिचालन अनुपात, यह दर्शाता है कि रेलवे को 100 रुपए कमाने के लिये 98.36 रुपए खर्च करने पड़े।
      • वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिये रेलवे परिचालन अनुपात 131.4% होने का अनुमान है।
      • साथ ही वित्तीय वर्ष 2021-22 हेतु रेलवे द्वारा 96.15% परिचालन अनुपात का लक्ष्य रखा गया है। 

रेलवे के परिचालन में चुनौतियाँ

  • भारतीय रेलवे की कुछ प्रमुख चुनौतियाँ निम्नलिखित हैं: नौकरशाही, सार्वजनिक सेवा दायित्व की गलत धारणा के साथ जटिल संरचना, विकृत निवेश  प्राथमिकताएँ, प्रमुख मार्गों पर क्षमता की कमी, तनावपूर्ण टर्मिनल, तर्कहीन यात्री और माल ढुलाई किराया।
  • भारतीय रेलवे का माल ढुलाई भाड़ा विश्व में सबसे अधिक है। किराये में हुई इस वृद्धि ने  उपभोक्ताओं को माल ढुलाई के लिये रेल के बदले रोडवेज़ जैसे अन्य विकल्पों को अपनाने के लिये प्रेरित किया है, जो कि उनके लिये अधिक सुविधाजनक है।
  • रेलवे की सबसे बड़ी चुनौती यह है कि माल ढुलाई से अर्जित लाभ का उपयोग यात्री और अन्य कोच सेवाओं के नुकसान की भरपाई के लिये किया जाता है, जिससे माल तथा यात्री व्यवसाय दोनों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

समिति का सुझाव:

  • सामाजिक सेवा दायित्वों पर पुनर्विचार और COVID-19 के दौरान निलंबित सेवाओं को पुनः शुरू करना।
  • यात्री किराये का समायोजन:  
    • माल ढुलाई पर अधिक किराये के बोझ को कम करने के लिये यात्री किराये का "विवेकपूर्ण समायोजन" करना।
  • किराये को मांग और बाज़ार से जोड़ना:
    • समिति ने यात्री किराये और माल भाड़े की दर दोनों को मांग-सह-बाज़ार चालित होने तथा भिन्न खंडों/क्षेत्रों के लिये इनके अलग-अलग निर्धारण का सुझाव दिया है।
  • ग्राहकों को बनाए रखना:
    • चूँकि एक प्रतिस्पर्द्धी बाज़ार में परिवहन की मांग प्रत्यास्थ (Elastic) होती है, रेलवे को इस तथ्य के प्रति सजग रहना चाहिये कि किराये में किसी भी वृद्धि को अन्य परिवहन माध्यमों से प्रतिस्पर्द्धा के आधार पर एक निश्चित सीमा तक सीमित किया जाना चाहिये।
    • ग्राहक आधार को बनाए रखने और राजस्व बढ़ाने के लिये माल ढुलाई तथा यात्री परिवहन व्यवसाय दोनों में रेलवे की परिचालन दक्षता का अधिक-से-अधिक लाभ उठाना होगा।
  • नियोजन और प्रबंधन को मज़बूत बनाना:
    • रेलवे को विभिन्न तरीकों/स्रोतों से पर्याप्त गैर-किराया राजस्व अर्जित करने के लिये अपने नियोजन, प्रबंधन और मौद्रिक तंत्र को मज़बूत करना चाहिये।
      • उदाहरण: सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, भूमि पट्टे, पार्किंग, स्क्रैप की बिक्री, विज्ञापनों और प्रचार आदि से प्राप्त लाभांश।

हालिया प्रयास: 

  • राष्ट्रीय रेल योजना का मसौदा:
    • देश की कुल माल ढुलाई प्रणाली में रेलवे की हिस्सेदारी को बढ़ाने और रेलवे में क्षमता की कमी को दूर करने के प्रयास के लिये भारतीय रेलवे द्वारा दिसंबर 2020 में राष्ट्रीय रेल योजना का मसौदा जारी किया गया है।
  • समर्पित माल ढुलाई गलियारा:
    • यह एक उच्च गति और उच्च क्षमता वाला रेलवे कॉरिडोर है जो विशेष रूप से माल ढुलाई, या दूसरे शब्दों में माल और वस्तुओं के परिवहन के लिये समर्पित है।
  • निजी यात्री गाड़ियों के संचालन के लिये नीति:
    • जुलाई 2020 में भारतीय रेलवे ने 151 नई ट्रेनों के माध्यम से निजी कंपनियों को अपने नेटवर्क पर यात्री गाड़ियों के संचालन की अनुमति देने की प्रक्रिया शुरू की।
  • आदर्श स्टेशन योजना:
    • इस योजना का उद्देश्य भारत के उपनगरीय स्टेशनों को आदर्श स्टेशनों में अपग्रेड करना है।
  • रेलवे बोर्ड का पुनर्गठन और विभिन्न रेलवे अधिकारी संवर्गों का विलय:
    • वर्ष 2019-20 में सरकार ने भारतीय रेलवे के पुनर्गठन को मंज़ूरी दी, जिसमें बोर्ड की क्षमता (सदस्यों की संख्या) में कमी के साथ-साथ विभिन्न संवर्गों का भारतीय रेलवे प्रबंधन सेवा नामक केंद्रीय सेवा में विलय शामिल था।

आगे की राह: 

  • दैनिक आधार पर या बार-बार रेलवे सेवा का उपयोग करने वाले यात्रियों/उपभोक्ताओं के बैंक खाते में प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के माध्यम से सब्सिडी प्रदान की जा सकती है, जैसा कि कई अन्य सरकारी योजनाओं के मामले में किया जाता है। इससे यह सुनिश्चित हो सकेगा कि यात्री टिकट की पूरी कीमत चुकाएँ और सरकार के लिये सब्सिडी का बोझ केवल उन वर्गों तक सीमित किया जा सके जिन्हें इसकी सबसे अधिक ज़रूरत है।
  • देश के बढ़ते परिवहन बाज़ार में परिवर्तन के साथ एक एकीकृत मल्टी-मोडल 'संपूर्ण यात्रा' सेवा एक प्रमुख मांग होगी। रेलवे की यात्री परिवहन व्यापार रणनीति के लिये अंतर-शहरी यात्री परिवहन श्रेणी को विशेष रूप से लक्षित किये जाने की आवश्यकता है क्योंकि वर्तमान में इसके कोर व्यवसाय के तहत दैनिक रूप से लगभग 4,000 ट्रेनों का संचालन किया जाता है। इस तरह की सेवाओं की आपूर्ति में व्यापक कमी को संबोधित करते हुए उन्हें आधुनिक प्री-बोर्ड और ऑन-बोर्ड सुविधा के साथ पर्याप्त रूप से अपग्रेड और त्वरित बनाया जाना चाहिये। 

स्रोत: द हिंदू

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