फ्लेक्सी फेअर योजना (-flexi fare scheme) का पुनर्गठन | 01 Nov 2018
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारतीय रेलवे ने समीक्षा समिति की सिफारिशों, नियंत्रण और महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट और यात्रियों के प्रतिवेदन के आधार पर फ्लेक्सी फेअर योजना की समीक्षा करने का निर्णय लिया।
प्रमुख बिंदु
- भारतीय रेलवे ने 9 सितंबर, 2016 से फ्लेक्सी फेअर योजना की शुरूआत की थी। इस योजना ने उच्च राजस्व एकत्र किया, हालाँकि आरंभ में यात्रियों की संख्या में गिरावट आई लेकिन बाद में इसमें तेज़ी देखी गई।
- रेलवे द्वारा किराये को तर्कसंगत बनाने के उद्देश्य से 8 सदस्यीय समिति का गठन किया गया ताकि फ्लेक्सी फेअर योजना की समीक्षा की जा सके तथा इसे यात्रियों के और अनुकूल बनाया जा सके।
- पिछले वर्ष जिन 15 ट्रेनों में यात्रियों की औसत मासिक संख्या 50 प्रतिशत से कम थी उनमें फ्लेक्सी फेअर को समाप्त कर दिया गया है।
- पिछले वर्ष कम भीड़भाड़ वाले तीन महीनों में जिन 32 ट्रेनों में यात्रियों की औसत मासिक संख्या 50–75 प्रतिशत रही उनमें भी फ्लेक्सी फेअर को समाप्त कर दिया गया है।
- सभी श्रेणियों में अधिकतम किराये की वर्तमान सीमा को मूल किराये के 1.5 गुना से कम कर 1.4 गुना कर दिया गया है।
- उन ट्रेनों, जिनमें 2एसी, 3एसी, सीसी आदि श्रेणी वाले यात्रियों की संख्या कम है और हमसफर ट्रेनें, जिनमें एक विशेष श्रेणी में यात्रियों की संख्या 60 प्रतिशत से कम है (ट्रेन के निर्धारित समय पर रवाना होने से 4 दिन पहले), फ्लेक्सी फेअर के साथ सभी ट्रेनों में अंतिम किराये पर 20 प्रतिशत की क्रमिक छूट दी जाएगी।
- रेलवे ने अतिरिक्त राजस्व उत्पन्न करने के लिये अपनी माल ढुलाई दर को भी तर्कसंगत बनाया है। इसके परिणामस्वरूप कोयला, लौह और इस्पात, लौह अयस्क, तथा इस्पात संयंत्रों के लिये कच्चे माल जैसे प्रमुख वस्तुओं हेतु माल ढुलाई में 8.75% की वृद्धि होगी।
- कंटेनरों के ढुलाई शुल्क में 5% की वृद्धि हुई है और अन्य छोटे सामानों की माल ढुलाई 8.75% बढ़ी है। इस कदम से रेलवे को ₹ 3,344 करोड़ का अतिरिक्त राजस्व प्राप्त होगा।
फ्लेक्सी फेअर योजना क्या है?
- फ्लेक्सी किराया, रेलवे द्वारा सितंबर 2016 में राजधानी, शताब्दी और दूरंतो जैसी प्रीमियम ट्रेनों के लिये पेश की गई एक बढ़ती कीमत प्रणाली है।
- इसमें शुरुआत में पहली 10 प्रतिशत सीटों के लिये सामान्य किराया लागू होता है, इसके बाद प्रत्येक 10 प्रतिशत बर्थ की बुकिंग के बाद किरायों में 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर दी जाती है। मांग के आधार पर इसमें अधिकतम 50 फीसदी तक किराया बढ़ता है।
- सेकेंड एसी और चेयरकार के लिये अधिकतम 50 फीसदी की बढ़ोतरी होती है। वहीं, थर्ड एसी के लिये यह सीमा मूल किराये का 40 फीसदी अधिक होती है।