भारत में दुर्लभ रोग | 11 Dec 2019
प्रीलिम्स के लिये
दुर्लभ रोग, लाइसोसोमल स्टोरेज डिसऑर्डर, एंज़ाइम रिप्लेसमेंट थेरेपी-ईआरटी क्या है?
मेन्स के लिये
भारत में दुर्लभ रोगों की समस्या तथा इनके उपचार के प्रयास
चर्चा में क्यों?
हाल ही में यह बताया गया कि लाइसोसोमल स्टोरेज डिसऑर्डर (Lysosomal Storage Disorder) नामक एक दुर्लभ बीमारी से पीड़ित अधिकांश रोगियों के आवेदन पिछले कई महीनों से केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के पास इलाज के लिये वित्तीय सहायता की प्रतीक्षा में लंबित हैं।
मुख्य बिंदु:
- देश भर में दुर्लभ बीमारियों से 2,000 से अधिक बच्चे संक्रमित हैं। उनमें से कई को एंज़ाइम रिप्लेसमेंट थेरेपी-ईआरटी (Enzyme Replacement Therapy-ERT) की आवश्यकता है।
- ईआरटी एक चिकित्सीय उपचार है। इसके माध्यम से शरीर में उपस्थित उन एंज़ाइमों को विस्थापित किया जाता है जिनकी मात्रा शरीर में कम है।
- इन दुर्लभ रोगों के उपचार के लिये राष्ट्रीय नीति, 2017 (National Policy for Treatment of Rare Diseases, 2017) में भी सुधार की मांग की गई है।
लाइसोसोमल स्टोरेज डिसऑर्डर:
- लाइसोसोमल स्टोरेज डिसऑर्डर एक आनुवंशिक मेटाबॉलिक बीमारी (Inherited Metabolic Disease) है। इसमें एंज़ाइम की कमी के परिणामस्वरूप शरीर की कोशिकाओं में विभिन्न विषाक्त पदार्थों का असामान्य रूप से निर्माण होता है।
- यह कंकाल, मस्तिष्क, त्वचा, हृदय और केंद्रीय तंत्रिका तंत्र सहित शरीर के विभिन्न हिस्सों को प्रभावित कर सकता है।
- वर्तमान में कई लाइसोसोमल स्टोरेज रोगों के लिये कोई अनुमोदित उपचार उपलब्ध नहीं है परंतु ईआरटी द्वारा इन्हें कुछ हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।
दुर्लभ रोग (Rare Disease):
- दुर्लभ बीमारी एक ऐसी स्वास्थ्य स्थिति होती है जिसका प्रचलन लोगों में प्रायः कम पाया जाता है या सामान्य बीमारियों की तुलना में बहुत कम लोग इन बीमारियों से प्रभावित होते हैं।
- दुर्लभ बीमारियों की कोई सार्वभौमिक रूप से स्वीकृत परिभाषा नहीं है तथा अलग-अलग देशों में इसकी अलग-अलग परिभाषाएँ हैं।
- हालाँकि दुर्लभ बीमारियाँ कम लोगों में पाई जाती हैं परंतु सामूहिक रूप से वे जनसंख्या के काफी बड़े अनुपात को प्रभावित करती हैं।
- 80 प्रतिशत दुर्लभ बीमारियाँ मूल रूप से आनुवंशिक होती हैं, इसलिये बच्चों पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ता है।
- भारत में 56-72 मिलियन लोग दुर्लभ बीमारियों से प्रभावित हैं।
दुर्लभ रोगों के उपचार के लिये राष्ट्रीय नीति, 2017:
- इस नीति में दुर्लभ बीमारियों से निपटने के लिये सरकार द्वारा किये गए प्रयासों पर प्रकाश डाला गया है।
- इसके अंतर्गत दुर्लभ रोगों के लिये विभिन्न मंत्रालयों और विभागों की पहल को समन्वित और नियंत्रित करने के लिये एक अंतर-मंत्रालयी परामर्श समिति के गठन का विचार रखा गया है।
- इसमें दुर्लभ बीमारियों के उपचार के लिये केंद्र और राज्य स्तर पर एक वित्तीय कोष के निर्माण का भी उल्लेख किया गया है।
- इस नीति के तहत दुर्लभ रोग से संबंधित शोध को बढ़ावा देने के लिये भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (Indian Council of Medical Research-ICMR) में पीड़ित रोगियों के लेखागार (Patient Registry) की व्यवस्था की जाएगी।
- क्योंकि दुर्लभ बीमारियों के उपचार के लिये उच्च लागत की आवश्यकता होती है। अतः इस नीति के माध्यम से उपचार की सुलभता के साथ ही स्वास्थ्य प्रणाली को वहनीय बनाने की कोशिश की गई है।
- इसका उद्देश्य चिकित्सकों, रोगी के परिजनों तथा आम लोगों को दुर्लभ बीमारियों के बारे में जागरूक करना है।